देशभर में पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है. पशुपालन में नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिनमें से एक तकनीक है कृत्रिम गर्भाधान. आज हम आपको कृत्रिम गर्भाधान के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं.
चलिए सबसे पहले जानते हैं कृत्रिम गर्भाधान क्या है?
यह एक तकनीक है, जिसके जरिए मादा पशुओं को गर्भवती किया जाता है. इसमें नर पशु का वीर्य लेकर विभिन्न क्रियाओं के माध्यम से संचित किया जाता है, फिर इसे मादा पशुओं के गर्भाशय में डाला जाता है. इसके जरिए गायों, भैंस, बकरियों, भेड़ों, घोड़े को गर्भवती किया जाता है.
आईए जानते हैं कृत्रिम गर्भाधान के लाभ-
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कृत्रिम गर्भाधान में पशुपालकों ने नर पशु रखने की जरुरत नहीं होती. संचित किए गए वीर्य से मादा पशुओं को गर्भवती किया जाता है. इस प्रकार नर पशुओं को रखने में आने वाला खर्च नहीं आता.
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इस तकनीक से देश-विदेश में अच्छी किस्म के पशुओं के वीर्य का प्रयोग कर लाभ उठाया जा सकता है.
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प्राकर्तिक गर्भाधान में कम मादा पशुओं को गर्भित किया जा सकता है, लेकिन कृत्रिम गर्भाधान में एक नर पशु से अनेक मादाओं को गर्भित किया जा सकता है.
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कई मादा पशु अपाहिज होने पर प्राकर्तिक गर्भाधान नहीं कर पाती, उनके लिए कृत्रिम गर्भाधान का उपयोग किया जा सकता है.
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उत्तम गुणों वाले बूढ़े व असहाय पशु का प्रयोग भी प्रजनन के लिए किया जा सकता है. वहीं जिन पशुओं की मृत्यु हो जाने के बाद भी संचित वीर्य का उपयोग किया जा सकता है.
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कृत्रिम गर्भाधान से पैदा होने वाले पशु के आकार में कोई परिवर्तन नहीं आता.
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इस विधि से नर से मादा और मादा से नर में फैलने वाले संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है.
कृत्रिम गर्भाधान के नुकसान-
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कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रशिक्षित व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है. साथ ही खर्च भी आता है.
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इसमें उपयुक्त होने वाले उपकरणों को यदि ठीक से साफ नहीं किया गया तो संक्रमण का खतरा बना रहता है.
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इस तकनीक से गर्भाधान की सफलता काफी हद तक मादा पशुओं पर निर्भर करती है.
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तकनीक के इस्तेमाल के लिए मादा पशुओं के मदकाल के सही समय का पता लगाना बहुत जरुरी है, इसमें लापरवाही होने पर लाभ नहीं मिलता.
कृत्रिम गर्भाधान के समय इन बातों का ध्यान रखना है आवश्यक
कृत्रिम गर्भाधान तभी करवाएं जब मादा मदकाल में हो. मदकाल की स्थिति में मादा पशुओं में अलग-अलग लक्षण दिखाई देते हैं. अधिकतर मादाएं क्रियाशील हो जाती हैं. आवाजें करती हैं. मादा पशुओं के योनि द्वारा में लाल पन व चिपचिपा पदार्थ बहता है. मादा अन्य पशुओं के ऊपर चढ़ती है. बकरियां, गायों, भैंसों में मदकाल के लक्षण अलग अलग समय के लिए दिखाई देते हैं. अच्छे वीर्य का इस्तेमाल करें. कृत्रिम गर्भाधान से पहले मादा पशुओं को डराएं या मारें नहीं. वीर्य प्रवेश कराने के बाद मादा पशुओं को अच्छा पौष्टिक आहार दें, ज्यादा न चलाएं.
मारें नहीं, खूब पानी पिलाएं व आराम दें. कई बार बच्चे दानी में संक्रमण होने से मादाएं गर्भवती नहीं होती. इसलिए पहले से जांच करा लें. कृत्रिम गर्भाधान के लिए सरकार के द्वारा विभिन्न गर्भाधान सेंटर्स बनाए गए हैं इसके अलावा किसान भाई पशु चिकित्साधिकारी से संपर्क करके भी जानकारी ले सकते हैं.
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