आज तक आपने बच्चों और बड़ों को चॉकलेट खाते देखा होगा, लेकिन अब इसका सेवन सिर्फ आम इंसानों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि चॉकलेट जानवर भी खा सकेंगे. जी हां, बहुत जल्द ही बाजारों में जानवरों के लिए भी चॉकलेट उपलब्ध होने वाली है.
दरअसल, मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा एक खास किस्म की कैंडी चॉकलेट विकसित की गई है. विशेषज्ञों की मानें, तो यह कैंडी चॉकलेट गाय और भैंस के लिए बहुत उपयोगी है. यह चॉकलेट खाने में बहुत स्वादिष्ट है, साथ ही इसमें कई पोषक तत्व भी मौजूद हैं, जो जानवरों के लिए लाभकारी साबित होंगे. तो चलिए पशुपालकों को कैंडी चॉकलेट के बारे में और अधिक जानकारी देते हैं...
क्या है कैंडी चॉकलेट का नाम?
विश्वविद्यालय में विकसित कैंडी चॉकलेट का नाम “नर्मदा विटा मिन लिक” रखा गया है, लेकिन यह चॉकलेट आम इंसानों की चॉकलेट से एकदम अलग है. इस कैंडी चॉकलेट को खाने से कोई भी नुकसान नहीं होगा, बल्कि कई फायदे होंगे. जब गाय या भैंस के खाने के लिए चारा और भूसा नहीं होगा, तब यह कैंडी चॉकलेट उनके सेहत के लिए बहुत लाभकारी साबित होगी.
बता दें, कि पशु पोषण विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वह पशुओं के लिए एक खास किस्म का फूड सप्लीमेंट विकसित करें. जिससे पशुओं को तमाम पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मिल सकें. इसके बाद विशेषज्ञों द्वारा नर्मदा विटा मिन लिक मान की कैंडी चॉकलेट विकसित की गई. इस चॉकलेट को तकनीकी भाषा में कैटल चॉकलेट कहा जा रहा है. इसे जल्द ही बाजार में उपलब्ध कराया जा सकता है.
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कैसे बनाई कैंडी चॉकलेट?
इस चॉकलेट में आयोडीन, गुड़ समेत कई आवश्यक चीजों को मिलाया गया है, ताकि पशुओं को यह मीठी और स्वादिष्ट लगे. पशु इस चॉकलेट को चाटकर खा सकेंगे. खास बात यह है कि एक कैंडी करीब 3 से 4 दिन में खत्म होगी.
पशुओं के लिए लाभकारी है कैंडी चॉकलेट
गाय या भैंस के लिए कैंडी चॉकलेट काफी फायदेमंद है. इससे पशुओं की तमाम दिक्कतों को आसानी से दूर किया जा सकता है. वहीं, दूध का प्रोडक्शन भी बढ़ाया जा सकता है.
विश्वविद्यालय द्वारा जल्द ही इन कैंडी चॉकलेट को किसानों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. इस संबंध में शासन को पत्र लिखा जाएगा, साथ ही सरकारी मशीनरी के आधार पर ही प्रदेशभर में जल्द उपलब्ध कराया जाएगा.