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Updated on: 23 November, 2020 12:00 AM IST
Quail Farming

बटेर पालन भारत में धीरे-धीरे मुर्गीपालन की तरह एक लोकप्रिय व्यवसाय बनता जा रहा है. कम लागत में बटेर पालन से अच्छी कमाई की जा सकती है. मुर्गी पालन की तुलना में बटेर पालन इसलिए भी आसान है कि मुर्गियों की तुलना में बटेर में संक्रामक रोग कम लगते हैं.

यही वजह है कि यह व्यावसायिक तौर पर उपयोगी होता है. बटेर में मुर्गियों की अपेक्षा बेहद कम बीमारी का प्रकोप लगता है. साथ ही मुर्गे मुर्गियों में लगने वाली बहुत सी बीमारी बटेरों में नहीं पाई जाती है. लेकिन उनके संपर्क में आने से बटेर भी आक्रांत हो सकते हैं.  यदि आप बटेर पालन को व्यावसायिक तौर अपनाना चाहते हैं तो उनमें होने वाले प्रमुख रोगों के बारे में और उसकी रोकथाम के उपाय जरूर जानने लें.  

अल्सरेटिव इटेराइटिस (Ulcerative)-इसका पूरा नाम अल्सरेटिव इटेराइटिस है यह जीवाणु जनित बीमारी है. इससे बटेर के अंदर अल्सर हो जाता है. इस बीमारी में बटेर अकेले झुककर रहता है. वह झुंड से अलग रहता है. उसके पंख नीचे गिरे रहते हैं.इस बीमारी की रोकथाम के लिए साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. यह बीमारी एक बटेर से दूसरे बटेर में पहुंचती है.

कॉक्सीडियोसिस(Coccidiosis)-बटेर को होने वाली यह दूसरी प्रमुख बीमारी है. यह भी खराब रखरखाव के कारण होती है. इस बीमारी में सारे बटेर एक जगह झुण्ड एक जगह एकत्रित रहते हैं. पंख गिराकर रहते हैं. वहीं उनके ड्राफिंगस से खून आता है. इससे बचाव के लिए एमटोलियम पावडर आधा टी-स्पून और एक गैलन पानी में 5 -7 दिनों तक उपयोग करें. हिस्टोमोनियासिस (Histomoniasis)-यह बीमारी एक प्रोटोजोआ के जरिए बटेर में होती है. यह बटेर के लीवर को प्रभावित करती है. इससे बटेर की मृत्यु भी हो जाती है. इससे बचाव के लिए समय-समय परडिवर्मिंग इस्तेमाल करना चाहिए. इस बीमारी में बटेर पीला पड़ जाता है. वहीं पंखें झुकाकर रखते है.

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अधिक जानकारी:

यदि आप बटेर सम्बंधित किसी बीमारी के बारे जानना चाहते हैं तो यहां संपर्क करें. 

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान -0581 2300204 2301220

पशुधन समस्या निवारण केंद्र टोल फ्री नंबर- 18001805141 0522-2741991

English Summary: quail diseases symptoms and treatments
Published on: 23 November 2020, 06:50 IST

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