कुक्कुट पालन कम समय में अधिक आमदनी का जरिया है लेकिन अच्छी प्रजातियों के न मिलने से कई बार कुक्कुट पालकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अधिक लाभ पाने के लिए जरूरी है कि कुक्कुट पालक तकनीकियों पर भी ध्यान देना होगा।
कुक्कुट पालन के लिए प्रमुख प्रजातियाँ-
इसके लिए जानना आवश्यक है कि माँस व अण्डा दोनों के लिए ही किस प्रकार प्रजाति का चयन करना होगा।
अण्डा उत्पादन के लिए व्हाइट लेगहार्न, रेड कार्निश, प्लेमॉउथरॉक, कैरी सोनाली।
मांस उत्पादन के लिए आई.आई.आर, कैरी धनराजा, कैरीब्रो विशाल, कैरी रेनब्रो।
द्विकाजी प्रयोजन के लिए कैरी देवेंद्रा, कैरी श्यामा, कैरी निर्भीक, हितकारी, उपकारी।
इसके अतिरिक्त जरूरी है कि कुक्कुटों के रहने के लिए आवास प्रबंधन अच्छा होना चाहिए। सर्दियों में न ही अधिक सर्दी होनी चाहिए जबकि गर्मियों में अधिक गर्मी भी नहीं होनी चाहिए। पानी देने के बर्तन तथा साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। खुले शेड की लंबाई 30-32 फीट से अधिक नहीं होनी चाहिए। शेड की चौड़ाई 24-25 फीट रखना आवश्यक है। शेड के लिए छत सीमेंट अथवा टिन की बनाई जा सकती है। छत के बाहर 3 फीट का छज्जा निकालना आवश्यक है। हवा आवागमन के लिए वेंटीलेशन रखना आवश्यक है। सामान्य तापमान वाले क्षेत्रों में शैड की ऊंचाईं 8-9 फीट होनी चाहिए।
कुक्कुटशाला में प्रयोग हेतु उपकरण-
सफल कुक्कुटपालन के लिए कुक्कुटशाला में इन्फ्रारेड ब्रूडर, होवर, ब्रूडिंग गार्ड, फीडर, वाटर, डिवीकर, इन्सीरेटर, फ्यूरिमिगेटर, फोगर, वेइंग ब्लेंस आदि उपकरण की आवश्यकता होती है। इसमें से ब्रूडिंग इकाई में चूजों को रखने की आवश्यकता होती है। एक दिन के चूजों को पाँच से छह दिन के दौरान अतिरिक्त गर्मी की जरूरत होती है। यह गर्मी विभिन्न प्रकार से दी जाती है। कमरों को गर्म करने के लिए बल्ब व हीटर आदि की जरूरत पड़ती है। इस व्यवस्था के लिए प्रारंभ में पूरे कमरे का तापमान 29 डिग्री सेल्सियस तापमान नियंत्रित करना पड़ता है।
ग्रामीण इलाकों में शेड का निर्माण-
इन इलाकों में छोटे बैकयार्ड स्तर के शेड का निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए कुक्कुट पालकों को स्थानीय सामग्री का उपयोग करके आवास निर्माण किया जा सकता है। बांस व बल्लियों के द्वारा शेड का निर्माण किया जा सकता है लेकिन जैसे-जैसे व्यवसाय बढ़ता जाए तो यथोचित सुधार किया जा सकता है।
कुक्कुट के लिए आहार प्रबंधन-
ब्रायलर पालन कुक्कुट मांस के लिए आसानी से व कम लागत में किया जा सकता है। एक वर्ष में ब्रायलर के 6 समूह एक साथ शेड में पाले जा सकते हैं। इसके जरिए साल भर ब्रायलर पालन किया जा सकता है। अधिक वजन के ब्रायलर बेचने के लिए अधिक जगह की आवश्यकता होती है। एक ब्रायलर को सामान्य तौर पर एक वर्ग फीट की जगह चाहिए होती है। ब्रायलर को शुरुआती तीन सप्ताह में ब्रायलर स्टार्टर आहार देना चाहिए। इसके उपरांत ब्रायलर फिनिशर आहार देना चाहिए। आजकल बाजार में ऐसे आहार उपलब्ध हैं जिनसे कुक्कुट अच्छा वजन प्राप्त कर सकते हैं।
चूजों की उपलब्धता-
तेजी से बढ़ने वाले चूजों को केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर (बरेली, उत्तर प्रदेश), गोबिन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्दोगिकी विश्वविद्दालय पंतनगर से प्राप्त किए जा सकते हैं। लेकिन चूजों के आवास के रख-रखाव का विशेष ध्यान देना चाहिए।
चूजों को प्रथम आहार के रूप में दो दिन बाद दाने में 80 प्रतिशत मक्का का दलिया व 20 प्रतिशत स्टारटर मिलाकर देना चाहिए। चूजों को शुरुआत में अखबार अथवा ट्रे पर आहार दिया जाता है। चार-पांच दिन बाद बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए। आहार व पानी को भूसे पर न गिरने दें ऐसा होने पर चूजों को निमोनिया व सांस की बीमारी भी हो सकती है। मोटे तौर पर सौ चूजों के लिए दाने के चार व पानी के दो बर्तन अनिवार्य है।
( डॉ. अवनीश कुमार सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र, ढकरानी, देहरादून)
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