
देश के डेयरी क्षेत्र में तकनीकी क्रांति से दुग्ध उत्पादन में एक बड़ी कामयाबी पाई है. राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (NDRI), करनाल ने क्लोनिंग तकनीक के जरिये एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. दरअसल, पहली बार क्लोन गिर नस्ल की गाय/ Cloned Gir Breed Cow 'गंगा' के अंडाणुओं से एक दूसरी गाय ने स्वस्थ बछड़ी को जन्म दिया है.
वैज्ञानिकों की इस पहल से न सिर्फ पशुपालन में मल्टीप्लिकेशन तकनीक को गति मिलेगी, बल्कि देश में दूध उत्पादन और श्रेष्ठ नस्लों की संख्या बढ़ाने में भी मील का पत्थर साबित होगी. इस प्रयोग से पशु प्रजनन का समय कम होगा और बेहतर नस्ल के पशुओं की संख्या बढ़ेंगी.
गंगा: पहली क्लोन गिर गाय
डॉ. सिंह ने जानकारी दी कि 16 मार्च 2023 को संस्थान में देश की पहली क्लोन गिर नस्ल की गाय ‘गंगा’ का जन्म हुआ था. गंगा पूरी तरह स्वस्थ रही और उसके व्यवहार, दूध देने की क्षमता और जैविक गतिविधियों की गहन निगरानी की गई.
9 महीने की समय बचत
आमतौर पर एक पशु को हीट में आने से लेकर बछड़ा पैदा होने तक 33-36 महीने लगते हैं, जबकि गंगा में यह प्रक्रिया केवल 27 महीनों में पूरी हो गई. यानी करीब 9 महीने की महत्वपूर्ण समय बचत हुई. यह शोध पशुपालन और डेयरी उद्योग के लिए नई उम्मीद की किरण है.
18 महीने में हीट, फिर बछड़ी का जन्म
गंगा ने मात्र 18 महीने की उम्र में ही हीट में आकर वैज्ञानिकों को चौंका दिया. इस दौरान उससे ओपीयू तकनीक से 50 अंडाणु प्राप्त किए गए. इनमें से 12 भ्रूण बनाए गए, जिन्हें पांच अलग-अलग नस्ल की गायों में प्रत्यारोपित किया गया. इन प्रयासों के फलस्वरूप, एक शाहीवाल नस्ल की गाय ने गिर नस्ल की स्वस्थ बछड़ी को जन्म दिया.
नई बछड़ी के नाम पर मंथन
एनडीआरआई अब इस नई बछड़ी के नाम को लेकर मंथन कर रहा है. यह बछड़ी केवल एक वैज्ञानिक प्रयोग नहीं, बल्कि दुग्ध उत्पादन और पशुधन सुधार की दिशा में देश के लिए एक नई राह है.
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