अगर आप पशुपालन करते हैं, तो अक्सर पशुओं में होने वाली बीमारियों से परेशान रहते हैं. इस बीच एक नई पशुओं में होने वाली एक बीमारी सामने आई है. मौजूदा समय में इस बीमारी का संक्रमण गाय-भैंस में ज्यादा फैल रहा है.
इस बीमारी का नाम लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) है. यह बीमारी यूपी के बागपत के साथ-साथ तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक, केरल, असम, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में पशुओं में देखी गई है. भारत में सबसे पहले ये बीमारी साल 2019 में पश्चिम बंगाल में देखी गई थी. फिलहाल, अभी तक इस वायरस का कोई टीका नहीं आया है, इसलिए इसके लक्षणों के आधार पर दवा दी जाती है. तो आइए आपको लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) के बारे में विस्तार से बताते हैं.
लंपी स्किन डिजीज क्या है? (What is Lumpy Skin Disease?)
आपको बता दें कि लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) एक वायरल बीमारी होती है, जो गाय-भैंसों में होती है. इस बीमारी में शरीर पर गांठें बनने लगती हैं, जो कि सिर, गर्दन, और जननांगों के आस-पास बनती हैं. इसके बाद धीरे-धीरे गांठे बड़ी होने लगती हैं और घाव का रूप ले लेती हैं. इसके साथ ही पशुओं को तेज बुखार आ जाता है, जिससे दुधारु पशु दूध देना कम कर देते हैं. वहीं, मादा पशुओं का गर्भपात हो जाता है. कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है.
कैसे फैलती है लंपी स्किन डिजीज? (How does Lumpy Skin Disease spread?)
गाय-भैंसों में होने वाली यह बीमारी मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से आसानी से फैल जाती है. इसके साथ ही दूषित पानी, लार और चारे के माध्यम से भी फैलती है. बता दें कि पिछले महीने सितंबर में उत्तराखंड उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर के एक डेयरी फार्म की गायों में इस बीमारी के लक्षण पाए गए थे. इसके बाद पशुओं का सैंपल बरेली स्थित भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान में भेजा गया. यहां इस बीमारी की पुष्टि की गई.
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लंपी स्किन डिजीज का इलाज(Lumpy Skin Disease Treatment)
गाय-भैंस को इस बीमारी से बचाने के लिए अभी तक कोई टीका नहीं बना है, लेकिन फिर भी ये बीमारी बकरियों में होने वाली गोट पॉक्स की तरह ही है. ऐसे में गाय-भैंसों को भी गोट पॉक्स का टीका लगा दिया जाता है. इसका अच्छा रिजल्ट भी आ रहा है. इसके अलावा ध्यान दें कि अगर पशु इस बीमारी से संक्रमित हो जाते हैं, तो उन्हें एकदम अलग बांधें. उनका बुखार और लक्षण के हिसाब से इलाज कराएं.
जरूर जानकारी (Essential Information)
बताया जा रहा है कि आईवीआरआई में इस बीमारी से बचने का टीका बन रहा है. शायद आने वाले एक साल में इसका टीका आ जाए.