देश में गाय की कई नस्ल पाई जाती हैं, लेकिन पशुपालक को जिस नस्ल से अधिक दूध उत्पादन और मुनाफ़ा मिले, उसको उन्नत नस्ल की श्रेणी में रख दिया जाता है. आधुनिक समय में डेयरी का बिजनेस तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऐसे में पशुपालक के लिए गाय की उन्नत नस्ल की जानकारी अवश्य होनी चाहिए. गाय की उन्नत नस्ल की बात की जाए, तो इसमें देसी, विदेशी और संकर, तीनों नस्ल शामिल हैं. आइए आज आपको गाय की इन तीन वर्ग की उन्नत नस्लों की जानकारी देते हैं.
गाय की प्रमुख देसी नस्लें
साहिवाल- इस नस्ल की गाय मध्यम आकार की होती हैं, जिनका रंग लाल, सिर लंबा, सींग छोटे, चमड़ी ढीली और थन लंबे होते हैं. यह गाय प्रति ब्यांत पर करीब 1900 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है.
लाल सिन्धी- इस गाय का शरीर भी मध्यम आकार का होता है. यह गाय गहरे लाल और भूरे रंग की होती है. इनके सींग छोटे और कान बड़े होते हैं. यह प्रति ब्यांत पर करीब 1600 लीटर तक दूध दे सकती हैं.
गीर- यह गाय मध्यम आकार की गोती हैं, जिनका शरीर लाल रंग का होता है. यह अधिकतर गुजरात की गीर पहाड़ियों में पाई जाती हैं. इनके सींग माध्यम आकार के होचे हैं, साथ ही कान लंबे औऱ पूंछ कोड़े जैसी पाई जाती है. इनसे प्रति ब्यांत पर करीब 1500 लीटर तक दूध मिल सकता है.
थारपारकर - इन गाय की शरीर गठीला होता है, जिनका चेहरा लंबा होता है. यह मध्यम आकार की होती हैं. इनके सींग लंबे और पूंछ बड़ी होती है. यह अधिकतर राजस्थान के थार मरुस्थल और कच्छ में पाई जाती हैं. यह प्रति ब्यांत पर करीब 2200 लीटर तक दूध दे सकती हैं.
हरियाणा नस्ल- यह गाय सफेद रंग की पाई जाती हैं, जिनका चेहरा लंबा, माथा चौड़ा, सींग छोटे और पूंछ लंबी होती है. यह प्रति ब्यांत पर करीब 900 लीटर तक दूध दे सकती हैं.
ये खबर भी पढ़ें: डेयरी बिजनेस में लखपति बनाएंगी विदेश नस्ल की ये 2 गाय, रोजाना मिलेगा 25 से 30 लीटर दूध
गाय की प्रमुख विदेशी नस्लें
हौल्सटी- फ्रीजियन- यह गाय नीदर लैण्ड में पाई जाती हैं. यह काफी बड़ी, काली और सफेद रंग की होती हैं. विश्व में इन्हें सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल कहा जाता है. यह प्रति ब्यांत पर करीब 7000 लीटर तक दूध दे सकती हैं.
ब्राउन स्विस- इन गया का मूल स्थान स्विटजरलैण्ड माना जाता है. यह हल्के भूरे रंग की पाई जाती हैं, जिनकी पीठ और गर्दन ऊपर से सीधी होती है. इनमें प्रति ब्यांत पर करीब 5000 लीटर तक दूध देने की क्षमता होती है.
जर्सी- इनका मूल स्थान जर्सी द्वीप है, जिनका रंग हल्का लाल या बादामी पाया जाता है. इनके शरीर पर सफेद रंग के धब्बे भी होते हैं. इसके साथ ही सींग छोटे और अंदर की तरफ मुड़े हुए पाए जाते हैं. इसके अलावा माथा, कंधा और पीठ समतल होती है. यह करीब 30 माह के अंदर बच्चा देती हैं. इनसे प्रति ब्यांत पर औसतन 4500 लीटर तक दूध मिल जाता है.
ये खबर भी पढ़ें: जमुनापारी नस्ल की बकरियों का पालन कर कमाएं भारी मुनाफा!
गाय की प्रमुख संकर नस्ल
करन स्विस- यह गाय लाल रंग की होती है, जो कि प्रति ब्यांत पर करीब 3300 लीटर तक दूध दे सकती है. इस गाय को राष्ट्रीय दुग्ध अनुसन्धान संस्थान, करनाल द्वारा ब्राउन स्विस, साहिवाल लाल और सिन्धी नस्ल के संयोग से विकसित किया गया है.
करन फ्रीज- इस नस्ल की गाय के शरीर पर काले धब्बे पाए जाते हैं, जो कि राष्ट्रीय दुग्ध अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा थपारकर और हॉल्सटीन फ्रीजियन नस्ल के संयोग से विकसित की गई हैं. इनमें प्रति ब्यांत पर करीब 3700 लीटर तक दूध देने की क्षमता होती है.
ये खबर भी पढ़ें: News Business Idea: कम लागत में शुरू करें होम डिलीवरी का बिजनेस, होगा हजारों रुपए का मुनाफ़ा