Jafarabadi Buffalo: देश के ग्रामीण इलाकों में खेती और पशुपालन की परंपरा बहुत पुरानी है. खासकर पिछले कुछ सालों में पशुपालन की तरफ किसानों का रूझान तेजी से बढ़ा है. खेती के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आय का यह दूसरा प्रमुख हिस्सा है. पशुपालन के जरिए किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. आमतौर पर किसान गाया या भैंस पालना पसंद करते हैं. जिन्हें दूध के लिए पाला जाता है. इनके दूध के जरिए किसान अच्छा मुनाफा कमाते हैं. दूध की बढ़ती मांग को देखते हुए पिछले कुछ समय में गाय-भैंस पालन का चलन तेजी से बढ़ा है और इसी मांग के जरिए डेयरी बिजनेस भी खूब फल-फूल रहा है.
वैसे तो गाय और भैंस की सारी प्रजातियां ही एक से बढ़कर एक हैं, लेकिन भैंस की एक नस्ल ऐसी है जिसकी खूब चर्चा की जाती है. भैंस की इस नस्ल को भैंसों का 'बाहुबली' भी कहा जाता है. क्योंकि ये भैंस दिखने में खूब हट्टी खट्टी होती है और खास बात यह है की इसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता अन्य गाय-भैसों के मुकाबले कई ज्यादा है. जी हां, हम बात करें रहे हैं भैंस की जाफराबादी नस्ल की. ऐसे में अगर आप भी डेयरी बिजनेस के जरिए मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आज ही इस भैंस को अपने घर ले आएं. आइए आपको विस्तार से इस भैंस के बारे में बताते हैं.
रोजाना 30 लीटर तक देती है दूध
जाफराबादी भैंस की उत्पत्ति गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र से हुई है. यह गुजरात के गिर के जंगलों और आसपास के क्षेत्रों, जैसे जूनागढ़, भावनगर, जामनगर, पोरबंदर, अमरेली और राजकोट जिलों में पाई जाती है. भैंस की इस नस्ल का नाम गुजरात के अमरेली जिले के जाफराबाद क्षेत्र के नाम पर पड़ा है. यहां जाफराबादी भैंसों की प्रजाति बड़ी संख्या में देखने को मिलती है. जाफराबादी भैंस का वजन काफी भारी होता है. दूध का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए भैंस की ये नस्ल किसी सोने से कम नहीं है. क्योंकि ये भैंस रोजना 20 से 30 लीटर तक दूध (Milk Capacity of Jafarabadi Buffalo) देने की क्षमता रखती है. जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है.
इस कीमत पर बिकती है एक भैंस
जाफराबादी भैंस अन्य भैंस की तुलना में ज्यादा दिनों तक दूध देती है. इसके अलावा भैंस की ये नस्ल हर साल बच्चा भी देती है, जिससे डेयरी व्यवसाय करने वाले लोगों को बड़ा फायदा होता है. बच्चों को पाल पोस कर बड़ा किया जाता है, ताकि उनसे दूध निकाला जा सके. कीमत की बात करें तो भैंस की इस नस्ल की कीमत 90 हजार रुपये से डेढ़ लाख रुपये तक (Price of Jafarabadi Buffalo) होती है. जाफराबादी भैंस की अधिक दूध उत्पादन क्षमता के चलते ही यह इतनी महंगी कीमत पर बिकती है. इसे भावनगरी, गिर या जाफरी के नाम से भी जाना जाता है.
जाफराबादी भैंस की पहचान और विशेषताएं (Characteristics of Jafarabadi Buffalo)
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जाफराबादी भैंसों का रंग आमतौर पर काला होता है लेकिन ये आपको ग्रे रंग की भी देखने को मिल सकती हैं.
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इसके शरीर का आकार अन्य नस्लों की भैंसों की तुलना में काफी बड़ा और मजबूत होता है.
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जाफराबादी भैंस के सींग लंबे व घुमावदार होते हैं.
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इसके कान लंबे, खुर काले, सिर और गर्दन का आकार भारी तथा पूंछ का रंग काला होता है.
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जाफराबादी भैंस के माथे पर सफेद निशान होते हैं जो इसकी असली पहचान मानी जाती है.
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इसका मुंह दिखने में छोटा होता है और त्वचा मुलायम व ढीली होती है.
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जाफराबादी भैंस रोजना 20 से 30 लीटर तक दूध दे सकती है. जबकि, एक ब्यांत में ये भैंस 1800 से 2000 लीटर तक दूध देती है.
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इसके शरीर का औसतन वजन 750-1000 किलोग्राम तक होता है.
संतुलित चारे से बढ़ेगा दुध उत्पादन
भैंस के आहार और आराम का बहुत खयाल रखना पड़ता है. इन्हें आराम देना बेहत जरूरी है. क्योंकि इसका असर दूध उत्पादन पर देखा जाता है. आहार में संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है. आहार में दाना और चारे में एक संतुलन होना चाहिए. हरा चारा जितना जरूरी है उतना ही दाना भी जरूरी है. ऐसे में आहार को संतुलित बनाएं. इसके लिए जाफराबादी भैंस को कई चीजें दी जाती हैं. बड़ी दुधारू भैंस को हर दिन कम से कम तीन-चार किलो दाना जरूर देना चाहिए. दाने के रूप में गेहूं, जौ, बाजरा, मक्का या अन्य अनाज की दलिया दी जा सकती है. दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए खाने के अलावा चोकर भी खिला सकते हैं.
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