आज के समय में ज्यादातर किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालन भी कर रहे हैं. लेकिन देखा जाए तो इस बदलते मौसम में पशुओं में बीमारियों का खतरा अधिक होता है. पशुपालक के पास अगर एक स्वस्थ पशु होगा, तो वह उसे अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकता है. पशुपालकों की लाख कोशिशों के बाद भी पशुओं में कई तरह की बीमारी हो जाती हैं और उस बीमारी को पशुपालक सही से समझ नहीं पाते हैं और जब तक पशु उन बीमारियों को समझ पाते हैं काफी देर हो जाती है.
इसी क्रम में आज हम पशुपालकों के लिए पशुओं में होने वाली बीमारियों की पहचान कैसे करें इसकी जानकारी लेकर आए हैं.
पशुओं में बीमारी की ऐसे करें पहचान?
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अगर आप पशुओं की बीमारियों को नहीं पहचान पाते हैं तो घबराएं नहीं आज हम आपके इनकी बीमारियों की पहचान करने के कुछ सरल तरीकों के बारे में बताएंगे.
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सबसे पहले आप पशुओं की चाल यानी की उनकी गति पर ध्यान दें. अगर आपका पशु सामान्य से अलग गति में चल रहा हैं, तो ऐसे में आपका पशु बीमार है.
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पशु अगर सही तरीके से चारा नहीं खा रहा है और जुगाली नहीं कर रहे हैं, तो ऐसे में भी आपका पशु बीमार है.
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पशु के दूध की मात्रा में कमी आने का कारण है कि पशु बीमार है.
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पशु पूरे दिन सुस्त रहता है और त्वचा पर सूखापन देखने को मिलता है, तो यह पशु के बीमार होने के संकेत है.
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अगर पशु का शारीरिक तापमान अधिक व कम है और सांस लेने में परेशानी आ रही है, तो समझ जाएं कि पशु बीमार है.
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पशु के नाक, कान और आंखों से पानी आना भी पशु के बीमार होने के संकेत हैं.
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अक्सर देखा गया है कि कुछ पशु लंगड़ाकर चलते हैं, तो यह भी पशु में एक बीमारी के लक्षण है.
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इसके अलावा पशु का अचानक वजन कम होना, सूखी हुई थुके करना भी पशु में बीमारी के संकेत हैं.
पशुओं को बीमारियों से बचाव के तरीके
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रोग का पता लगने पर पशु को अन्य स्वस्थ पशुओं से दूर कर देना चाहिए.
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पालकों को दूध निकालने के बाद हाथ और मुंह साबुन से धोना चाहिए.
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प्रभावित क्षेत्र को सोडियम कार्बोनेट घोल पानी मिलाकर धोना चाहिए.
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डॉक्टर की सलाह लेकर पशु को तुरंत टीका लगवाने के साथ नियमित उपचार करवाना चाहिए
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जिस जगह पर ग्रस्त पशु को रखते हों, वहां ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव कर दें.
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