वर्षा ऋतु में मवेशियों की वैज्ञानिक देखभाल एवं प्रबंधन Vermicompost Subsidy: वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगाने पर किसानों को मिलेगा 50 हजार रुपये अनुदान, जानें कैसे उठाएं लाभ! खुशखबरी! 1 से 7 जुलाई तक मनाया जाएगा फसल बीमा सप्ताह, ऐसे कराएं किसान रजिस्ट्रेशन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 4 July, 2020 12:00 AM IST
Cattle Farming

भारत में गाय और भैंस नस्लों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है. नेलोर मवेशी, ब्राह्मण मवेशी, गेज़रैट मवेशी, और ज़ेबू मवेशियों की सबसे लोकप्रिय नस्लें हैं जो भारत और दक्षिण एशिया से उत्पन्न हुई हैं. भारत में दुधारू गायों की सबसे अच्छी नस्लों में साहीवाल, गिर, राठी, थारपारकर और लाल सिंधी शामिल हैं. आज हम आपको अपने इस लेख में अच्छे दूध उत्पादन के साथ भारत में सबसे अच्छी गाय की नस्लों के बारे में बताएंगे. हमें उम्मीद है कि यह जानकारी डेयरी किसानों या फिर उसका व्यवसाय करने की सोचने वालों के लिए काफी उपयोगी होगी.

लाल सिंधी (Lal Sindhi)

लाल सिंधी ज्यादातर पड़ोसी देश पाकिस्तान के कराची और हैदराबाद जिले में पाई जाती हैं.इसे सिंधी और लाल कराची भी कहा जाता है. इसकी दूध की पैदावार 1100 से 2600 किलोग्राम तक होती है.रेड सिंधी का व्यापक रूप से क्रॉसब्रीडिंग कार्यक्रमों में उपयोग किया जाता है.

गिर (Gir)

यह मवेशी नस्ल गुजरात के दक्षिण काठियावाड़ के गिर के जंगलों से निकलती है और यह राजस्थान और महाराष्ट्र के निकटवर्ती इलाकों में पाई जाती है. इसे भदावरी, देसन, गुजराती, सोरठी, काठियावाड़ी और सुरती के नाम से भी जाना जाता है. गीर मवेशियों के सींग अजीब तरह से घुमावदार होते हैं, जो देखने में 'आधा चाँद' से लगते है. इसकी दूध की पैदावार 1200 से 1800 किलोग्राम प्रति लीटर होती है. इसे  इसकी कठोरता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए पहचाना जाता है.

सहिवाल (Sahiwal)

साहिवाल की उत्पत्ति अविभाजित भारत के मोंटगोमरी क्षेत्र (अब पाकिस्तान में) में हुई थी. मवेशियों की इस नस्ल को लोला, लैंबी बार, तेली, मोंटगोमरी और मुल्तानी के नाम से भी जाना जाता है. साहीवाल देश की सबसे अच्छी देसी डेयरी नस्ल है. इसकी औसत दूध उपज 1400 से 2500 किलोग्राम प्रति लीटर है. यह हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे भारत के कई हिस्सों में पाई जाती है.

ये खबर भी पढ़ें: Top Profitable Goat Breeds : बकरी पालन से आमदनी बढ़ाने के लिए करें इन प्रजातियों का पालन !

कंकरेज (Kankrej)

यह मवेशी नस्ल कच्छ के दक्षिणपूर्व रण, गुजरात और पड़ोसी राजस्थान (बाड़मेर और जोधपुर जिले) से उत्पन्न हुई है. इन मवेशियों का रंग सिल्वर-ग्रे से लेकर आयरन-ग्रे / स्टील ब्लैक होता है. कंकरेज काफी लोकप्रिय है क्योंकि यह तेज, शक्तिशाली मवेशी है. इसका उपयोग जुताई और कार्टिंग के लिए किया जाता है. यह गाय भी अच्छे दूध देने वाली होती हैं और  लगभग 1400 किलोग्राम  उपज देती हैं.

राठी (Rathi)

राठी एक अन्य दुधारू पशु है जो राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह नस्ल साहीवाल रक्त के प्रसार के साथ साहीवाल, लाल सिंधी, थारपारकर और धन्नी नस्लों के समामेलन से विकसित हुई है. यह मवेशी कुशल और अच्छे दूध देने वाले होते हैं. वे 1560 किलोग्राम दूध का उत्पादन करते हैं और दुग्ध उत्पादन 1062 से 2810 किलोग्राम तक होता है.

English Summary: High Demanding Cattle Breeds: Breeds of Desi cows of India which are always in demand
Published on: 04 July 2020, 01:18 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now