हमारे देश में दूध उत्पादन में भैसों का अहम योगदान है. भारत में 23 से अधिक नस्लों की भैंस पाई जाती है. लेकिन सबसे अधिक मांग की बात करें तो कुछ नस्लों का नाम सबसे पहले आता है. भदावरी भी इसी तरह की एक नस्ल है, जो विशेषकर अपने दूध के लिए जानी जाती है. इसके दूध में वसा की मात्रा अत्याधिक होती है. विशेषज्ञों की माने तो इसके दूध में औसतन 8.0 प्रतिशत वसा पाई जाती है. जो शरीर के लिए बहुत लाभदायक है.
इस भैंस के दूध से प्राप्त होने वाला घी की भी विशेष डिमांड है. इनके शारीरिक संरचना की बात करें तो इनका आकार मध्यम और शरीर के बाल हल्के होते हैं. इनकी टांगे विशेष रूप से छोटी लेकिन बहुत मजबूत होती है. चलिए आपको बताते हैं कि किस तरह आपके लिए भदावरी फायदेमंद साबित हो सकती है.
400 किग्रा तक हो सकता है वजन
इन नस्ल की भैंसों का वजन 400 किग्रा तक हो सकता है. सींग आकार में किसी तलवार की तरह दिखाई देते हैं. सबसे खास बात ये है कि अन्य भैंसों के मुकाबले इसे पालने का खर्चा अधिक नहीं है, क्योंकि इनका आहार सामान्य रूप से कम ही होता है.
कठिन परिस्थितियों के अनुरूप ढल जाती हैं ये भैंसे
इन भैंसों की एक खास बात और है. ये अपने आपको कठिन परिस्थितियों के अनुसार आराम से ढाल लेती है. इसलिए अगर चाहे तो इसे छोटे या भूमिहीन किसान भी आराम से पाल सकते हैं. ये अति गर्म या आर्द्र जलवायु में भी रहने में सक्षम है. विशेषज्ञों का मानना है कि अन्य भैंसों के मुकाबले ये कम बीमार पड़ते हैं, क्योंकि इनका स्वास्थ स्तर बेहतर होता है. वहीं इनके बच्चों की मृत्यु दर अन्य भैसों की तुलना में कम होती है.
मूल स्थान
आज के समय में भदावरी भैंस आगरा, इटावा तथा जालौन क्षेत्रों में पाई जाती है. भारत के अलग-अलग राज्यों से पशुपालक इन भैंसों का खरीदने यहां आते रहते हैं. इसके दूध से कई तरह की खाद्य सामाग्री बनती है.
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