देश में किसान खेती के बाद ज्यादातर पशुपालन (Animal Husbandry) पर निर्भर हैं जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है. ऐसा देखा जाता है कि हर किसान के पास एक न एक गाय या भैंस तो जरूर होती है. लेकिन क्या आपको पता है कि इनके आहार में अच्छी गुणवत्ता (Good Quality Diet) लाने से यह आपको 4 गुना अधिक मुनाफा दिला सकती हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं (Cowpea) लोबिया की. लोबिया पशुओं को खिलाने वाली एक ऐसी फसल यानी हरा चारा है जिससे दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ (Increase Milk Production Capacity) जाती है.
लोबिया उगाने के लिए टिप्स (Tips for Growing Cowpea)
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Cowpea महत्वपूर्ण तेजी से बढ़ने वाली फलियां है, जो फसल चक्र में अच्छी तरह से फिट होती है.
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यह गर्मी की जलवायु के लिए अनुकूलित है और सभी प्रकार की मिट्टी पर उगाया जा सकता है.
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रेतीले दोमट से लेकर भारी दोमट तक, अगर वे अच्छी तरह से सूखा हो तो इसका बेहतर उत्पादन मिल जाता है.
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इसी के साथ यह जलजमाव की स्थिति के लिए अतिसंवेदनशील है.
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इसे अकेले या गैर-फलियां जैसे ज्वार और मक्का के साथ बोया जा सकता है.
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यदि सिंचाई उपलब्ध हो तो भारत में इस फसल को फरवरी और मार्च के महीनों में उगाया जा सकता है.
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और फिर हरा चारा मई/जून की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान उपलब्ध कराया जा सकता है.
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वर्षा सिंचित फसल के रूप में इसकी बुवाई जुलाई में की जाती है.
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इसकी फसल आमतौर पर तीन महीने में तैयार हो जाती है.
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Cowpea अकेले बोने से प्रति हेक्टेयर 200-300 क्विंटल चारा मिलता है.
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एक आदर्श फलियां और अनाज चारा मिश्रण का उत्पादन करने के लिए जब मक्का, ज्वार और बाजरा के साथ बोया जाता है तो मिश्रित फसल के रूप में इसकी काफी संभावनाएं होती हैं.
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यह देखा गया है कि हरी फली की उपज लगभग 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
लोबिया में पोषक तत्व (Nutrients in Cowpea)
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लोबिया का उपयोग चारे की फसल के रूप में जैसे हरा चारा, घास बनाने, चराई और ज्वार या मक्का के साथ मिश्रण बनाने के लिए भी किया जाता है.
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अनाज का उपयोग मानव भोजन के साथ-साथ पशु आहार के रूप में भी किया जाता है.
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Cowpea का उपयोग हरी खाद की फसल के रूप में और वृक्षारोपण में कवर फसल के रूप में भी किया जाता है.
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लोबिया के चारे का आहार मूल्य अधिक होता है. यह कम फाइबर सामग्री और पशुओं को खिलाने में न्यूनतम अपव्यय के कारण सोयाबीन जैसी अन्य फलियों से बेहतर है.
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लोबिया के शुरुआती ताजी पत्तियों और डंठल में 0% कच्चा प्रोटीन, 3.0% ईथर का अर्क और 26.7% कच्चा फाइबर होता है. कुल पचने योग्य पोषक तत्व जल्दी में 59.0% और लोबिया के परिपक्व चारे में 58.0% होता है. कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा 1.40 और 0.35% होती है.
लोबिया दूध उत्पादन में है कारगर (Cowpea is effective in milk production)
खास बात यह है की Cowpea फसल को खिलाने से गाय एक दिन में आराम से 7 लीटर तक का दूध उत्पादन कर सकती है. वहीं इसका उपयोग दोहरे उद्देश्य वाली फसल के रूप में किया जा सकता है, यानी हरे रंग की परिपक्व फली को मानव उपभोग के लिए हटा दिया जाता है और बचे हुए चारे का उपयोग मवेशियों के चारे के रूप में किया जाता है.
जब इसका उपयोग किया जाता है, तो अवशिष्ट फसल एक उत्कृष्ट चारा बनाती है जो कि किसी भी फलियों के साथ तुलनीय होती है और दैनिक 6 से 7 किलोग्राम तक विकास और दूध उत्पादन का समर्थन कर सकती है.
हानिकारक कारक (Harmful factor of Cowpea)
लोबिया के चारे में सामान्य फलियों की तुलना में निम्न स्तर के पोषक तत्व और पेट फूलने वाले कारक होते हैं. हालांकि, Cowpea के बीजों में ट्रिप्सिन इनहिबिटर, लेक्टिन और टैनिन जैसे पोषण-विरोधी कारक होते हैं.
लोबिया की महत्वपूर्ण किस्में (Important varieties of cowpea)
Cowpea की अहम किस्मों में ईसी-4216, यूपीसी-287, यूपीसी-5286, जीएफसी-1, जीएफसी-2 और जीएफसी-4 शामिल है.