भारत एक कृषि प्रधान देश है. ये खेती के साथ-साथ पशुपालन के लिए भी दुनिया भर में मशहूर हैं. यहां के किसानों के लिए खेती जितनी महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण पशुपालन भी है. यहां पर खेती को लाभदायक व्यवसाय के तौर पर देखा जाता है. साथ ही पशुपालन को भी एक लाभदायक व्यवसाय के तौर पर देखा जाता है. पशुपालन को किसानों के लिए एक ऐसा व्यवसाय माना जाता है जिसमें घाटा होने की संभावना बहुत कम होती है. आज के समय में यह व्यवसाय पूर्ण रुप से विकसित हो रहा है. इस क्षेत्र में आज के समय में कईं नई वैज्ञानिक पद्धतियां विकसित हो गई हैं जो किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रही है. लेकिन इसकी वजह से पशुओं की कई नस्लें दिनोंदिन ख़त्म होती जा रही है.
गौलाऊ (गौवलाऊ) गाय गायों की नस्ल की एक ऐसी ही गाय है जिसकी नस्ल वैज्ञानिक पद्धति और पर्यावरण के वजह से ख़त्म होने के कगार पर है. आज के समय में तकरीबन 300 गौलाऊ गाय महाराष्ट्र के वर्धा के तीन तहसीलों (आरवी, आष्टी, कारंजा ) में बची है. बाकि अन्य राज्यों से इसकी नस्ल ख़त्म हो चुकी है. वैसे गाय की इस नस्ल को बचाने के लिए स्थानीय लोग काफी मेहनत कर रहे है. इस नस्ल को बचाने के लिए महाराष्ट्र के प्रफुल्ल और पुष्पराज समेत कई लोगों ने मिलकर 'गौवलाऊ ब्रीडर्स एसोसिएशन' बनाया है जिसके तहत वो लोगों के पास जाकर इस गाय के गुणों को बताकर जागरूकता फैला रहे है. सीमन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के साथ ही ज्यादा दाम में इस गाय का दूध और घी खरीदकर लोगों को इसे पालने के लिए प्रोत्साहित कर रहें है. इसके लिए हाल ही में एक मेला (गौवलाऊ पशु प्रर्दशनी ) का आयोजन किया था.
गौलाऊ गाय की विशेषता (Characteristic of Gaulau Cow)
गौलाऊ गाय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह गाय ज्यादा से ज्यादा तापमान में रह लेती हैं. यह जल्दी बीमार नहीं पड़ती है. इस गाय का घी बहुत ही गुणकारी है. जिसकी बाजार में कीमत तक़रीबन 15 सौ रुपये लीटर है. इसका दूध 60 रुपये लीटर बाजारों में बिक जाता है. इस गाय के बैल खेती में काफी कारगर होते है. इस गाय की कीमत औसतन 40-45 हजार रूपये होती है और यह औसतन 7 से 8 लीटर दूध देती है.
महाराष्ट्र के रहने वाले प्रफुल्ल और पुष्पराज कालोकार के मुताबिक इस गाय का जिक्र उपनिषद में भी है. उनके मुताबिक उपनिषद में इस बात का जिक्र किया गया है कि 'अगर शरीर का कोई हिस्सा जल गया हो तो इस गाय का घी लगाने पर काफी आराम मिलता है. गौरतलब है कि इस गाय को ज्यादातर छूटा (मैदान में खुला छोड़ देना) ही रखा जाता है. और इसके चारे में पहुना, ज्वारी, कटर आदि का इस्तेमाल किया है.
इस गाय के बारें में और अधिक जानकारी के लिए आप इनसे संपर्क कर सकते है (For more information about this cow, you can contact him)
नाम- प्रफुल्ल
गांव- चांदनी पोस्ट-पिपंल खुठा
तहसील- आरवी
जिला- वर्धा महाराष्ट
मुख्य व्यवसाय- पशुपालन
नाम- पुष्पराज कालोकार
पता - विदर्भ जिला -वर्धा
मुख्य व्यवसाय- पशुपालन (गौवलाउ गाय, नागपुरी भैस )
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