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IVF के माध्यम से गाय ने बछड़ी को दिया जन्म, जानिए वैज्ञानिकों ने कैसे किया यह कमाल?

अब तक आपने IVF सिस्टम के जरिए महज इंसानों के बच्चे ही पैदा होते हुए देखे होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि विज्ञान अब इतना उन्नत हो चुका है कि न महज इंसान, बल्कि पशुओं के बच्चे भी IVF तकनीक से प्रजनित किए जा सकते हैं. अगर आपको हमारी बात पर यकीन न हो रहा हो, तो आप खुद ही बिहार एनिमल यूनिवर्सिटी को देख लीजिए, जिस ने यह अद्भुत कमाल कर दिखाया है. बिहार की इस एनिमल यूनिवर्सिटी ने आईवीएफ के जरिए गाय से बछड़ी को जन्म दिया है.

सचिन कुमार
सचिन कुमार
Animal University Bihar
Animal University Bihar

अब तक आपने IVF सिस्टम के जरिए महज इंसानों के बच्चे ही पैदा होते हुए देखे होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि विज्ञान अब इतना उन्नत हो चुका है कि न महज इंसान, बल्कि पशुओं के बच्चे भी IVF तकनीक से प्रजनित किए जा सकते हैं. अगर आपको हमारी बात पर यकीन न हो रहा हो, तो आप खुद ही बिहार एनिमल यूनिवर्सिटी को देख लीजिए, जिस ने यह अद्भुत कमाल कर दिखाया है. बिहार की इस एनिमल यूनिवर्सिटी ने आईवीएफ के जरिए गाय से बछड़ी को जन्म दिया है.

बिहार एनिमल यूनिवर्सिटी

बिहार यूनिवर्सिटी ने खुद इस बात की जानकारी अपने ट्विटर हैंडल पर दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘विश्वविद्यालय के ईटीटी एवं आईवीएफ प्रयोगशाला में पहली बार गाय के बाछी का जन्म हुआ है. यह पूरे बिहार के लिए गौरव की बात है. वर्ष 2019 में भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत भ्रूण प्रत्यारोपण सह आईवीएफ प्रयोगशाला की स्थापना हुई थी. बेशक,ऐसा पहली मर्तबा हुआ है कि बिहार एनिमल यूनिवर्सिटी की पहल के परिणामस्वरूप गाय ने आईवीएफ के जरिए बछड़ी को जन्म दिया है. लेकिन ऐसा करने की कोशिश काफी पहले से चली आ रही है, जिसमें अब जाकर सफलता मिली है. इसके अलावा, एनिमल यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत आईवीएफ के लिए एक प्रयोगशाला भी स्थापित किया जा चुका था.

आखिर क्या है आईवीएफ सिस्टम

आईवीएफ एक वैज्ञानिक तकनीक है, जिससे वे सभी लोग जो किसी कारणवश माता-पिता बनने के सुख से वंचित रह जाते हैं. वे इस तकनीक से माता-पिता बनने का सुख प्राप्त कर सकते हैं. इस तकनीक को सबसे पहले 1978 में इंग्लैंड में उपयोग में लाया गया था. इस तकनीक के तहत महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म को संपर्क में लाया जाता है. जब संयोजन से भ्रूण बन जाता है, तो उसे वापस गर्भाश्य में रख दिया जाता है. पहले यह महज इंसानों के प्रजनन में ही इस्तेमाल में लाया जाता था, लेकिन अब इसे पशुओं के प्रजनन में भी उपयोग में लाया जा रहा है.

कुछ पशु बच्चे पैदा करने में अमसमर्थ होते हैं, जिसको ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा की गई यह पहल काफी कारगर मानी जा रही है. इससे जहां पशुओं की कमी से छुटकारा पा जा सकता है, तो वहीं किसान की आय़ में भी इजाफा देखने को मिलेगा. सरकार ने अपनी इस मंशा क जमीन पर उतारने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना की शुरूआत की गई थी. आइए, इस योजना के बारे में इस लेख में आगे जानते हैं.

राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना

बताते चले कि साल 2019 में केंद्र सरकार ने ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना’ की शुरूआत की थी. इस योजना को शुरूआत करने का मुख्य ध्येय पशुपालकों की आय में इजाफा करना था तथा पशुओं की नस्लों में सुधार करना. वहीं, इस योजना के तहत पशुओं संरक्षित करने की दिशा में कई तरह के कदम उठाए जाते रहे हैं.

English Summary: Bihar animal University gave birth to a calf with the help of IVF Published on: 04 August 2021, 05:18 IST

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