आजकल किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन की तरफ रूख कर रहे हैं. इस तरह आय का अतिरिक्त साधन भी उपलब्ध होता है. इस क्रम में हरियाणा और पंजाब (Haryana-Punjab) का नाम काफी आगे है. यहां किसान खेती के साथ पशुपालन में भी काफी तरक्की कर अपनी पहचान बना रहे हैं.
इस बीच एक समस्या देश के कई राज्यों के किसान और पशुपालकों के सामने खड़ी हो रही है. अभी भी कई राज्यों के किसान व पशुपालक में आधुनिक ज्ञान व जागरूकता की कमी है. इस कारण दुधारू पशुधन में प्रजनन संबंधी विकार व अन्य समस्याएं आ रही हैं. इस समस्या का समाधान करने के लिए लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा व पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार सलाह दी गई है.
किसान व पशुपालकों के लिए सलाह
विश्वविद्यालय का कहना है कि किसान व पशुपालकों को पशुओं को चारे पर विशेष ध्यान देना चाहिए. वरना ऐसी स्थिति में खनिज की कमी आ जाती है और पशु घातक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं.
पोषक तत्वों से पशु होते हैं बीमार
अधिकतर किसान एक साल में 2 या 3 फसलों की खेती करते हैं, इसलिए खेत के अंदर पोषक तत्वों की कमी आ जाती है. इससे चारे वाली फसलों का उत्पादन भी कम होता है, साथ ही उनमें पोषक तत्वों की कमी होती है. इसका सीधा असर पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है. बता दें अगर किसान चारे वाली फसल को उगाने के लिए रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilizers) का अधिक उपयोग करते हैं, तो यह काफी हानिकारक साबित हो सकता है.
बता दें कि अगर पहले जमीन में किसी तत्व की कमी आती है, उसके बाद पौधों के अंदर और फिर पशुओं में कमी आती है. यह चक्र चलता है.
गोबर का कम प्रयोग करने से दिक्कत
मौजूदा समय में कई किसान खेती में गोबर की खाद का कम प्रयोग कर रहे हैं, इसलिए पशुओं में पोषक तत्वों की कमी की आ रही है. सूत्रों की मानें, तो हरियाणा के कई जिले के पशुओं के अंदर पोषक तत्वों की कमी पाई गई है.
आपको बता दें कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की पशु-पोषाहार प्रयोगशाला में वैज्ञानिकों द्वारा पशुओं के बाल व खून के नमूने की जांच की गई. इस जांच में पता चला कि पशुओं में कैल्शियम, फास्फोरस मैगनीज, तांबा व जस्ते की कमी है.
पशुओं में यह कमी 50 से 90 प्रतिशत तक पाई गई, जो पशुओं के अंदर प्रजनन की समस्या पैदा कर रहा है. इतना ही नहीं, इससे पुशों के अंदर दूध उत्पादन की कमी भी आ रही है. इस समस्या से छुटकारा पाने का आसान तरीका यह है कि आप जमीन में पोषक तत्वों की कमी न आने दें. इसके साथ ही पशुओं को खिलाने वाले चारे में सभी उपयुक्त पोषक तत्व मौजूद हों.