Success Story: चायवाला से उद्यमी बने अजय स्वामी, मासिक आमदनी 1.5 लाख रुपये तक, पढ़ें सफलता की कहानी ट्रैक्टर खरीदने से पहले किसान इन बातों का रखें ध्यान, नहीं उठाना पड़ेगा नुकसान! ICAR ने विकसित की पूसा गोल्डन चेरी टमाटर-2 की किस्म, 100 क्विंटल तक मिलेगी पैदावार IFFCO नैनो जिंक और नैनो कॉपर को भी केंद्र की मंजूरी, तीन साल के लिए किया अधिसूचित एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! सबसे अधिक दूध देने वाली गाय की नस्ल, जानें पहचान और खासियत
Updated on: 13 August, 2021 12:00 AM IST
COW

आजकल किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन की तरफ रूख कर रहे हैं. इस तरह आय का अतिरिक्त साधन भी उपलब्ध होता है. इस क्रम में हरियाणा और पंजाब (Haryana-Punjab) का नाम काफी आगे है. यहां किसान खेती के साथ पशुपालन में भी काफी तरक्की कर अपनी पहचान बना रहे हैं.

इस बीच एक समस्या देश के कई राज्यों के किसान और पशुपालकों के सामने खड़ी हो रही है. अभी भी कई राज्यों के किसान व पशुपालक में आधुनिक ज्ञान व जागरूकता की कमी है. इस कारण दुधारू पशुधन में प्रजनन संबंधी विकार व अन्य समस्याएं आ रही हैं. इस समस्या का समाधान करने के लिए लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा व पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार सलाह दी गई है.

किसान व पशुपालकों के लिए सलाह

विश्वविद्यालय का कहना है कि किसान व पशुपालकों को पशुओं को चारे पर विशेष ध्यान देना चाहिए. वरना ऐसी स्थिति में खनिज की कमी आ जाती है और पशु घातक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं.

पोषक तत्वों से पशु होते हैं बीमार

अधिकतर किसान एक साल में 2 या 3 फसलों की खेती करते हैं, इसलिए खेत के अंदर पोषक तत्वों की कमी आ जाती है. इससे चारे वाली फसलों का उत्पादन भी कम होता है, साथ ही उनमें पोषक तत्वों की कमी होती है. इसका सीधा असर पशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है. बता दें अगर किसान चारे वाली फसल को उगाने के लिए रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilizers) का अधिक उपयोग करते हैं, तो यह काफी हानिकारक साबित हो सकता है. 

बता दें कि अगर पहले जमीन में किसी तत्व की कमी आती है, उसके बाद पौधों के अंदर और फिर पशुओं में कमी आती है. यह चक्र चलता है.

गोबर का कम प्रयोग करने से दिक्कत

मौजूदा समय में कई किसान खेती में गोबर की खाद का कम प्रयोग कर रहे हैं, इसलिए पशुओं में पोषक तत्वों की कमी की आ रही है. सूत्रों की मानें, तो हरियाणा के कई जिले के पशुओं के अंदर पोषक तत्वों की कमी पाई गई है.

आपको बता दें कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की पशु-पोषाहार प्रयोगशाला में वैज्ञानिकों द्वारा पशुओं के बाल व खून के नमूने की जांच की गई. इस जांच में पता चला कि पशुओं में कैल्शियम, फास्फोरस मैगनीज, तांबा व जस्ते की कमी है.

पशुओं में यह कमी 50 से 90 प्रतिशत तक पाई गई, जो पशुओं के अंदर प्रजनन की समस्या पैदा कर रहा है. इतना ही नहीं, इससे पुशों के अंदर दूध उत्पादन की कमी भी आ रही है. इस समस्या से छुटकारा पाने का आसान तरीका यह है कि आप जमीन में पोषक तत्वों की कमी न आने दें. इसके साथ ही पशुओं को खिलाने वाले चारे में सभी उपयुक्त पोषक तत्व मौजूद हों.

English Summary: animals getting sick due to lack of nutrients
Published on: 13 August 2021, 03:43 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now