कोरटेक एग्री एंड बायो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 2007 में स्थापित किया गया था. इसे कोरटेक के नाम से भी जाना जाता है. भारत में रासायनिक उत्पाद बनाने वाली कंपनियों में कोरटेक (Coretech) एक प्रतिष्ठित नाम है. यह विगत कई दशकों से भारतीय कृषि को मजबूत बनाने के लिए अनवरत प्रयासरत है. मौजूदा वक्त में कोरटेक किस तरह के उत्पाद बना रही है, कंपनी की पहुँच किन – किन राज्यों में है. इसके अलावा कंपनी के कौन से उत्पाद किसानों के बीच मशहूर है. यह जानने के लिए कृषि जागरण की कोरटेक एग्री एंड बायो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर इंद्रजीत सिंह से बातचीत हुई. पेश है उनसे बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-
1. आप अपने और अपनी कंपनी के बारें में बताइए?
हमारी कंपनी कोरटेक एग्री एंड बायो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली स्थित कंपनी है. जिसे हमनें 2008 में स्थापित की थी. लेकिन मेरा कृषि क्षेत्र में जो अनुभव है वो 1992 से है. तो 1992 से लेकर आज 2020 तक पिछले 28 साल से हम कृषि जगत को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से सेवा कर रहे है. हम किसानों से जुडी जितनी भी समस्याएं है उन्हें बहुत बारीकी से पिछले 28 सालों से देख रहे है. 16 साल काम करने के बाद मैंने 2008 में कोरटेक की स्थापना की.
जेनरिक एग्रो केमिकल जिसे हम कीटनाशक कहते है उससे हमने शुरुआत किया था. लेकिन 4 सालों के बाद जब हमनें बिलकुल जमीनी स्तर पर काम किया, किसानों से बातचीत की उनकी समस्याएं देखी और जानी तो हमें यह एहसास हुआ की किसानों को थोड़ा-सा जैविक खेती के लिए जागरूक करना पड़ेगा. ताकि उन्हें यह पता चल सकें कि जैविक खेती क्या होती है और किस तरह से कीटनाशकों का कम इस्तेमाल करके वो अपने फसलों को बचाने के साथ ही अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है. उसके लिए हमनें एक अपनी डेवलपमेंट टीम बनाई. शुरुआत में इस टीम में हम 8 लोग थे, लेकिन आज हम 20 लोग है. आज कोरटेक में 20 लोगों की डेवलपमेंट टीम है. जो किसानों के पास जाकर उन्हें शिक्षित करती है और समझाती है. क्योंकि, किसानों को अभी तक इस बात का डर होता है कि अगर वो कीटनाशक और उर्वरक का कम इस्तेमाल करेंगे तो उनके फसलों को नुकसान हो सकता है. तो सभी किसान आमतौर पर इस नुकसान से बचते हैं. इसलिए हम उन्हें यह बताते है कि जैविक तरीके से खेती करने पर किसी भी तरह का नुकसान नहीं है. अगर आप खेती के दौरान कम कीटनाशक और उर्वरक का इस्तेमाल करते है तो भी आपकी फसल की पैदावार अच्छी होती है. फसल की चमक अलग होती है. अगर आप जैविक और केमिकल तरीके से तैयार की गई फसल को एक साथ रखते है तो उनके बीच अंतर आप आसानी से देख सकते है. उसके स्वाद में अंतर होता है. जैविक तरीके से उपजाएं गए फसलों की मंडी में अच्छी कीमत भी मिलती है. आज किसानों का रुझान जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है और वो जैविक खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं.
2. आप किन– किन फसलों के लिए अपने उत्पाद बनाते है?
हमारे उत्पाद हर तरह की फसलों पर काम करते है. हमारे उत्पाद हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओड़िसा और छत्तीसगढ़ राज्यों में ज्यादा इस्तेमाल किये जाते है. इन सभी राज्यों में एक फसल सामान्य है वो धान है. इसके अलावा गेहूं उत्तर भारत में होती है. इसकी पैदावार ओड़िसा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ कम होती है. हमारा उद्देश्य सभी फसलों के लिए उत्पाद बनाना है. जैसे- सब्जियों में शिमला मिर्च की कुछ जगहों पर अच्छी पैदावार होती है. हमारा मुख्य लक्ष्य शिमला मिर्च है. हमनें उस पर काफी काम किया है. जिसका हमें अच्छा नतीजा भी मिला है. खासतौर पर उत्तरप्रदेश के किसानों के द्वारा जो सब्जियां उगाई जाती है उनमें हमें शिमला मिर्च की खेती में बाकी राज्यों के मुकाबले काफी अच्छी पैदावार देखने को मिली है. इसके साथ अगर हम बात करें, धान कि तो हम धान की फसल पर भी बहुत ज्यादा ध्यान देते है. हमारे धान के जो किसान है उन्हें हमारे उत्पादों से बहुत फायदा होता है. अभी तक हमनें वेस्ट बंगाल के सिलीगुड़ी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में चाय के बागानों पर काम किया है. हमारी कंपनी ने चाय तोड़ने वाली महिलाओं के लिए एक ऐसा उत्पाद तैयार किया है जिसका नाम हमनें लहर है. उसके इस्तेमाल करने से पत्ते बड़े, चौड़े व नर्म होते है. जिससे महिलाओं को चाय के पत्ते तोड़ते हुए उँगलियाँ छिलने व उँगलियों पर जख्म होने की समस्या से काफी हद तक राहत मिलेगी और जिससे वे ज्यादा मात्रा में पत्तों की तोड़ाई भी कर सकेंगी.
3. बजट 2020 में महिला किसानों के लिए क्या खास रहा?
मुझें इतनी जानकारी नहीं है की क्या ख़ास रहा, लेकिन जिन क्षेत्रों में हमनें काम किया हमनें यह देखा कि वहां जो महिला किसान काम कर रही है या मजदूरी कर रही है उनकी ज्यादा तादाद खासतौर पर ओडिसा, छत्तीसगढ़ में है. बाकि उन्हें किस तरह के फायदे हुए हमें इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन हम लोगों ने वहां जो महिला किसान काम करती है या फिर हमारे उत्पादों का इस्तेमाल करती है. उन्हें हम डिस्काउंट रेट पर उत्पाद उपलब्ध करवाते है. जिससे उन्हें खेती करने में काफी राहत मिलती है.
4. कृषि जागरण के मंच से किसानों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे?
मेरा पहला और आखिरी संदेश यहीं है कि शहरों में हम अकसर सुनते है कि फलों व सब्जियों में रंगों का या फिर फलों को मीठा करने के लिए अलग-अलग तरह के रसायन/ डाई का इस्तेमाल करते है. खासतौर पर तरबूज और अनार में. तो मैं किसानों को यहीं संदेश देना चाहूँगा कि इस तरह के काम करने की नौबत क्यों आती है? आप जब खेती करते हो आपके द्वारा उपजाई गई फसल/फल है अगर मीठा नहीं है तो आप उसे मीठा करने की कोशिश करते हो. उसके अंदर रंग अच्छा नहीं आ रहा या फिर लाल नहीं है तो आप उसे लाल करने के लिए रासायनिक रंगों का इस्तेमाल करते हों. इस तरह कि रासायनिक चीजों का इस्तेमाल करके आप लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हो, यह काम नहीं करना चाहिए. इसके बिना भी जो पहले अच्छी खेती होती थी, वो आज भी हो सकती है. जो भी जैविक उत्पाद कंपनियां बनाती है, आप उनका इस्तेमाल करें. उसके इस्तेमाल करने से आप काफी हद तक अच्छा मुनाफा कमायेंगे. इसलिए इस तरह के काम न करें. क्योंकि, इससे कहीं न कहीं नुकसान हम सभी का है. इसलिए हमें इससे बचना चाहिए.
साक्षात्कारता- मनीशा शर्मा (कृषि जागरण)
ई मेल- [email protected]
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