केंद्र सरकार ने रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 2-7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की है. वहीं, कुछ खरीफ फसलों की शुरुआती कटाई के बाद कुछ जगहों पर रबी फसलों की बुआई शुरू हो गई है. मालूम हो कि रबी सीजन की दो प्रमुख फसलें गेहूं और मसूर की एमएसपी में अधिकतम 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. जबकि, पिछले दो सालों में इन दोनों ही फसलों का उम्मीद से कम उत्पादन हुआ है. वहीं, रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं का एमएसपी 2024-25 मार्केटिंग सीजन (अप्रैल-मार्च) के लिए 150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 2,275 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो अभी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल है.
रबी फसलों की बुआई का मौसम अक्टूबर से शुरू होता है, जबकि कटाई का मौसम अप्रैल में शुरू होता है. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं किस रबी फसल का कितना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा है-
रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)
सरसों का एमएसपी 3.7 प्रतिशत बढ़ाकर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल, चना का एमएसपी 2 प्रतिशत बढ़ाकर 5,440 रुपये प्रति क्विंटल, मसूर का 7.1 प्रतिशत बढ़ाकर 6,425 रुपये प्रति क्विंटल, जौ का 6.6 प्रतिशत बढ़ाकर 1,850 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है और कुसुम 2.7 प्रतिशत बढ़कर 5,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है.
मालूम हो कि गेहूं का नया एमएसपी इसकी उत्पादन लागत (ए2+एफएल) का 102 प्रतिशत है, जो अनुमानित 1,128 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि मसूर का एमएसपी लागत 3,405 रुपये प्रति क्विंटल का 89 प्रतिशत है. सरसों के मामले में, यह 2,855 रुपये प्रति क्विंटल लागत का 98 प्रतिशत है, और चना एमएसपी 3,400 रुपये प्रति क्विंटल लागत का 60 प्रतिशत है.
ए2, ए2+एफएल और सी2 क्या है?
ए2 लागत में किसानों के फसल उत्पादन में किए गए सभी तरह के नकदी खर्च शामिल होते हैं. इसमें बीज, खाद, केमिकल, मजदूर लागत, ईंधन लागत, सिंचाई आदि लागतें शामिल होती हैं. ए2+एफएल लागत में नकदी लागत के साथ ही परिवार के सदस्यों की मेहनत की अनुमानित लागत को भी जोड़ा जाता है. वहीं सी2 लागत में फसल उत्पादन में आई नकदी और गैर नकदी के साथ ही जमीन पर लगने वाले लीज रेंट और जमीन के अलावा दूसरी कृषि पूंजियों पर लगने वाला ब्याज भी शामिल होता है.
रबी फसलों का बढ़ा हुआ एमएसपी सुनिश्चित करेगा लाभकारी मूल्य
सरकार ने एक बयान में कहा, अगले साल के एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 में एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत (ए2+एफएल) का न्यूनतम 1.5 गुना तय करने की घोषणा के अनुरूप है. इसमें कहा गया है, "रबी फसलों का बढ़ा हुआ एमएसपी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करेगा और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करेगा."
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सरकार खाद्य सुरक्षा बढ़ाने, किसानों की आय बढ़ाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए तिलहन, दलहन और श्रीअन्न (मिलेट्स) की ओर फसल विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है.
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