किसान क्रेडिट कार्ड: किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना भारत सरकार की एक पहल है. इसे वर्ष 1998 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक द्वारा लॉन्च किया गया था. यह किसानों को अल्पावधि के लिए ऋण और उपकरण खरीदने और अन्य खर्चों का वहन करने के लिए एक क्रेडिट सीमा प्रदान कर उनकी कृषि आवश्यकताओं, मत्स्य पालन और पशुपालन को पूरा करने में मदद करता है. किसान क्रेडिट कार्ड योजना वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, लघु वित्त बैंकों और सहकारी समितियों द्वारा कार्यान्वित की जाती है.
जरूरी दस्तावेज
किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के लिए आप अपने नजदीकी बैंक में जाकर आवेदन कर सकते हैं. आपको अपने साथ 2 पासपोर्ट साइज फोटो, आईडी प्रूफ में आधार कार्ड/ वोटर कार्ड/ पासपोर्ट, घर का एड्रेस प्रूफ, भू- जोत प्रमाण पत्र और पैन कार्ड की आवश्यता होगी.
वैधता
किसान क्रेडिट कार्ड 3 साल तक के लिए वैध होता है. इसमें 1.60 लाख रुपए तक के कर्ज के लिए जमानत की जरूरत नहीं होती है. यह योजना धारकों के लिए बीमा कवरेज स्थायी विकलांगता या मृत्यु के मामले में 50,000 रुपये तक की राशि की मदद करती है. किसी अन्य प्रकार के मामले में 25,000 रुपये का मुआवजा दिया जाता है.
पात्रता
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आवेदक किसान की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम 75 वर्ष होनी चाहिए. बटाईदार, किरायेदार किसान, या मौखिक पट्टेदार भी केसीसी के लिए पात्रता रखते हैं.
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बटाईदारों, किसानों, काश्तकारों आदि के स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) या संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) भी किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ उठा सकते हैं.
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किसान फसलों के उत्पादन या सहायक गतिविधियों जैसे पशुपालन, मछलीपालन और बागवानी जैसे कार्यों के लिए भी किसान क्रेडिट कार्ड के लिए पात्रता रखते हैं.
उद्देश्य
किसान क्रेडिट कार्ड योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी खेती और अन्य जरूरतों के लिए एक सरल और साधारण तरीके से देश की बैंकिंग प्रणाली से अवगत कराना और उन्हें पर्याप्त और समय पर ऋण के लिए मदद करना है.
क्रेडिट
किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए किसानों को 1.60 लाख रुपये तक का लोन बिना किसी गारंटी के मिल जाता है. इस पर ब्याज की दरें भी काफी कम होती है. किसान इस योजना के तहत 3 साल में 5 लाख रुपये तक का लोन आराम से ले सकते हैं.
ब्याज की दर
वर्तमान समय में एक साधारण लोन पर बैंक के द्वारा 7 से 9 प्रतिशत तक की ब्याज दर पर लोन दिया जाता है, लेकिन किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत पशुपालकों को सिर्फ 2 प्रतिशत तक का ब्याज ही देना होता है. इसके साथ-साथ केंद्र सरकार भी इस पर छूट देती है.
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क्या हैं सुविधाएं
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फसलों की खेती के लिए अल्पावधि ऋण प्रदान करना
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कटाई के बाद का खर्च के लिए ऋण
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उत्पादन विपणन ऋण
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किसान परिवार की खपत की जरुरतें
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कृषि संपत्तियों और कृषि से संबद्ध गतिविधियों के रखरखाव के लिए कार्यशील पूंजी
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कृषि में निवेश ऋण की आवश्यकता
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कृषि स्टार्ट अप की शुरुआत के लिए ऋण
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