मधुमक्खियां न केवल शहद पैदा करती है वरन फसलों की पैदावार बढ़ाकर प्रदेश एवं देश को आर्थिक पौष्टिक खाद्यान्न उपलब्ध कराने में मद्द करती हैं. मधुमक्खियों से मिलने वाला शहद अतिपौष्टिक खाद्य पदार्थ होने के साथ ही दवा भी है. इसी के मद्देनजर केंद्र व राज्य सरकार समय- समय पर मधुमक्खी पालन के लिए सब्सिडी मुहैया कराती रहती है. इसी कड़ी में झारखंड सरकार ने मधुमक्खी पालन के लिए 80 फीसद सब्सिडी देने के लिए निर्णय लिया है.
बता दे कि झारखंड राज्य में शहद का उत्पादन बड़ी मात्रा होता है. इसके लिए राज्य सरकार हर संभव मदद कर रही है. मधु पालकों को मधुमक्खी पालन के लिए सरकार 80 फीसद राशि सब्सिडी देगी. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस योजना के साथ 'मीठी क्रांति योजना' का शुभारंभ किया. गौरतलब है कि सीएम ने कहा कि शहद को बेचने का जिम्मा सरकार का है. 100 करोड़ रुपये इस पर खर्च होगा. फिलहाल 10 करोड़ रुपये स्वीकृत हैं.
बताते चले कि इस मौके पर प्रोजेक्ट भवन में आयोजित सभागार में मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षित लोगों को बुलाया गया था. तत्काल 1207 किसानों को यह बक्से व मधुमक्खी दी गईं. सरकार ने आश्वासन दिया है कि शहद की प्रोसेसिंग के लिए प्लांट लगाया जाएगा. 'मीठी क्रांति' योजना के तहत 10 हजार किसानों को बक्से दिए जाने हैं. सीएम ने इस योजना का उद्घाटन करते हुए कहा कि झारखंड की भौगोलिक स्थिति इसके लिए काफी उपयुक्त है.
मधुमक्खी पालन
मैदानी भाग में इस कार्य को शुरू करने का उपयुक्त समय अक्टूबर और फरवरी में होता है. इस समय एक स्थापित मौन वंशों से प्रथम वर्ष में 20 से 25 किलोग्राम दूसरे वर्ष से 35-40 किलोग्राम मधु का उत्पादन हो जाता है. स्थापना का प्रथम वर्ष ही कुछ महंगा पड़ता है. इसके बाद केवल प्रतिवर्ष 8 या 10 किलोग्राम चीनी एवं 0.500 किलोग्राम मोमी छत्ताधर का रिकरिंग खर्च रहता है. प्रति मौन वंश स्थापित करने में लगभग 2450 रूपये व्यय करना पड़ता है. उद्यान विभाग द्वारा तकनीकी सलाह मुफ्त दी जाती है. मधुमक्खी पालकों की मधुमक्खियों का प्रत्येक 10वें दिन निरीक्षण जो अत्यन्त आवश्यक है, विभाग में उपलब्ध मौन पालन में तकनीकी कर्मचारी से कराया जाता है.
मधु बाहर निकालाना
आधुनिक तरीके से मधु बाहर निकाला जाता है, जिसमें अंडे बच्चे का चैम्बर अलग होता है. शहद चैम्बर में मधु भर जाता है. मधु भर जाने पर मधु फ्रेम सील कर दिया जाता है. शील्ड भाग को चाकू से परत उतारकर मधु फ्रेम से निष्कासक यंत्र में रखने से तथा उसे चलाने से सेन्ट्रीफ्यूगल बल से शहद निकल आता है तथा मधुमक्खियों का पुनः मधु इकट्ठा करने के लिए दे दिया जाता है. इस प्रकार मधुमक्खी वंश का भी नुकसान नहीं होता है तथा मौसम होने पर लगभग पुनः शहद का उत्पादन हो जाता है.
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