छत्तीसगढ़ राज्य के पशुपालक गोबर बेचकर जबरदस्त कमाई कर रहे हैं. दरअसल, राज्य सरकार ने गोधन न्याय योजना शुरू की है. जिसके जरिये सरकार किसानों और पशपालकों से गोबर खरीद रही है. जैविक खाद या वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए गोबर की खरीददारी की जा रही है. जिससे कई पशुपालकों की आर्थिक स्थिति अच्छी हो रही है. यह राज्य में ग्रामीण विकास एवं आर्थिक मॉडल का अच्छा उदहारण है. पहले यहां के पशुपालक कंडे बनाने में इसका उपयोग करते थे. जिससे उन्हें मामूली रकम मिलती थीं या न के बराबर आमदनी होती थी.
15 दिन मिलता है भुगतान
इस योजना के पहले चरण में राज्य की दौ हज़ार से ज्यादा गौशालाओं को जोड़ा गया. वहीं अब इसका लाभ आम पशुपालक ले रहे हैं. 46 हज़ार से ज्यादा पशुपालकों ने गाय और भैंस का गोबर सरकार बेचा. सभी को 1.65 करोड़ रुपयों की राशि का ऑनलाइन भुगतान किया गया. गोबर की खरीदारी के लिए विभिन्न केंद्रों का निर्माण किया गया. कांकेर, दंतेवाड़ा समेत राज्य के अलग-अलग हिस्सों के किसान गोबर बेचकर कमाई कर रहे हैं. जिनका भुगतान महज 15 दिन में हो जाता है. वहीं राज्य के कुछ हिस्सों में गोबर का उपयोग करके मूर्तियां और दीपक बनाए जा रही है. जिसे बाजार में बेचकर अच्छी कमाई की जा रही है.
ऐसे बनती है खाद
कुछ स्वयं सहायता समूह की सहायता से खाद का निर्माण किया जा रहा है. बिलासपुर की नोडल अधिकारी कीर्ति का कहना है कि खरीदे गए खाद को एक टंकी में स्टोर किया जाता है. प्रत्येक टंकी में तक़रीबन चार टन गोबर स्टोर हो जाता है. उसके बाद इस टंकी में केंचुआ डाला जाता है. जिससे एक महीने में खाद तैयार हो जाती है. खाद तैयार करने वाली स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाता है. उन्हें खाद की गुणवत्ता का परीक्षण करने समेत अन्य विषयों को प्रशिक्षण मिलता है. बता दें कि राज्य में 1.5 करोड़ (पशु गणना के अनुसार) मवेशी हैं, जिनमें 48 लाख नर और 50 लाख मादा हैं. इस योजना से लगभग साढ़े चार लोग लोगों रोजगार देने का लक्ष्य है.
योजना के लिए आवेदन
इस योजना का लाभ वही ले सकता है जो छत्तीसगढ़ राज्य का मूल निवासी है. वहीं इसके लिए पशुपालकों रजिस्ट्रेशन कराना होगा. रजिस्ट्रेशन के आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर और पशुओं का फोटो आवेदन के साथ केंद्र पर जमा कराना होगा. बता दें कि योजना जरूरतमंद और निचले तबके के लोगों के लिए है. इसलिए जमींदारों और व्यापारियों को इस योजना का लाभ नहीं मिलता है. योजना के मुताबिक पशुपालकों को एक किलो गोबर का दो रुपए का भुगतान किया जाता है. वहीं पशुपालक जैविक या कम्पोस्ट खाद बनाकर भी सरकार को बेच सकता है. खाद को सरकार 8 रुपए किलो खरीदती है.