Dairy Farming Subsidy:  ग्रामीण भारत की रीढ़ माने जाने वाले किसान और पशुपालक आज आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. मध्यप्रदेश सरकार ने इन किसानों और पशुपालकों को डेयरी व्यवसाय से जोड़ने के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना शुरू की है. इस योजना का उद्देश्य है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए, किसानों की आय बढ़ाई जाए और युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलें.
सरकार इस योजना के तहत पात्र किसानों को डेयरी यूनिट स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान कर रही है. यह योजना न केवल दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजन और महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देगी. ऐसे में आइए इस योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं-
योजना का मुख्य उद्देश्य
डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना का मुख्य उद्देश्य है कि राज्य के पशुपालकों को संगठित डेयरी व्यवसाय की ओर प्रेरित किया जाए. जहां पहले किसान सिर्फ खेती पर निर्भर थे, वहीं अब वे दूध उत्पादन और दुग्ध उत्पादों के जरिए भी आय का स्थायी स्रोत बना सकते हैं.
सरकार इस योजना के माध्यम से किसानों को आधुनिक डेयरी तकनीक, अच्छे नस्ल के पशु और पशु स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा दे रही है.
योजना के तहत मिलने वाले लाभ
इस योजना के तहत 25 दुग्धारू पशुओं की एक यूनिट यानी इकाई स्थापित की जाएगी.
हर इकाई में या तो गौवंश या भैंसवंश शामिल हो सकती है.
एक इकाई की औसत अनुमानित लागत 42 लाख रुपये तय की गई है.
अधिकतम 8 इकाइयां स्थापित की जा सकती हैं.
इस योजना में हितग्राही वर्गों को विशेष छूट भी दी जा रही है -
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अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के लिए परियोजना लागत का 33% सब्सिडी
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अन्य वर्गों के लिए परियोजना लागत का 25% सब्सिडी
 
इससे पशुपालकों को शुरुआती निवेश में राहत मिलेगी और वे डेयरी व्यवसाय को आत्मविश्वास के साथ शुरू कर सकेंगे.
कौन-कौन आवेदन कर सकता है
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इस योजना के लिए मध्यप्रदेश का स्थायी निवासी होना जरूरी है.
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आवेदक की उम्र 21 वर्ष से अधिक होनी चाहिए.
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इसके अलावा, आवेदक के पास 50 एकड़ कृषि भूमि होनी चाहिए, जो डेयरी संचालन के लिए आवश्यक है.
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जो पशुपालक पहले से किसी दुग्ध संघ से जुड़े हैं या दूध आपूर्ति कर रहे हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी.
 
ऋण और सहायता की प्रक्रिया
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एक लाभार्थी एक बार में एक या एक से अधिक इकाइयां (अधिकतम 8 इकाइयां या 200 पशु) ले सकता है.
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दो ऋणों के बीच कम से कम दो वर्ष का अंतराल अनिवार्य होगा.
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जो लाभार्थी इस योजना के तहत डेयरी संचालन शुरू करेंगे, उन्हें ऋण की समाप्ति या अधिकतम 7 वर्षों तक डेयरी चलाना आवश्यक रहेगा.
 
प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग
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योजना के तहत केवल आर्थिक सहायता ही नहीं, बल्कि ट्रेनिंग और तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान किया जाता है.
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राज्य सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से किसानों को डेयरी प्रबंधन, पशु पोषण, टीकाकरण, दुग्ध प्रसंस्करण और विपणन की जानकारी दी जाती है.
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इससे नए उद्यमियों को आधुनिक डेयरी संचालन में दक्षता मिलती है.
 
“पहले आओ, पहले पाओ” का सिद्धांत
सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि योजना में पारदर्शिता और न्यायसंगत वितरण बना रहे. इसीलिए लाभार्थियों का चयन “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर किया जा रहा है. इसका अर्थ है कि जो भी पात्र आवेदक सबसे पहले आवेदन करेगा, उसे प्राथमिकता दी जाएगी. इसलिए इच्छुक किसान और पशुपालक जल्द से जल्द आवेदन करें ताकि उन्हें मौका मिल सके.
योजना का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
डेयरी क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ है. डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना से न केवल दूध उत्पादन बढ़ेगा बल्कि ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार भी सृजित होगा. गांवों में मिल्क कलेक्शन सेंटर, फीड यूनिट, और छोटे डेयरी उत्पाद प्रसंस्करण केंद्र स्थापित होंगे, जिससे स्थानीय बाजार में भी वृद्धि होगी. महिलाएं भी इस योजना से जुड़कर आर्थिक स्वतंत्रता हासिल कर सकती हैं.
कैसे करें आवेदन
इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन पूरी तरह ऑनलाइन है.
इच्छुक लाभार्थी को पोर्टल पर जाकर आवेदन करना होगा.
पोर्टल पर आवेदन करने से पहले आवेदक को अपने आवश्यक दस्तावेज जैसे –
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आधार कार्ड
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भूमि संबंधी प्रमाण पत्र
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बैंक पासबुक
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फोटो
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जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो)
तैयार रखना होगा.
 
पारदर्शी चयन प्रक्रिया
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सरकार ने योजना की चयन प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और ऑनलाइन बनाया है.
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सभी आवेदन पोर्टल पर दर्ज होंगे और पात्रता मानदंडों के अनुसार स्क्रीनिंग की जाएगी.
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इसके बाद संबंधित जिला पशुपालन अधिकारी द्वारा सत्यापन कर अंतिम सूची तैयार की जाएगी.