उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के रहने वाले आसिफ ने मछली की खेती शुरु की और उन्होंने आज पूरे जिले के लोगों के लिए एक मिसाल खड़ी कर दी है. आसिफ रियल एस्टेट सेक्टर में काम करते थे और उनका परिवार गांव में खेती करता था. पिछले कई सालों से परिवार को खेती में भारी नुकसान हो रहा था, जिस कारण खेती में हुए नुकसान को बचाने के लिए उन्होंने नए विकल्पों की तलाश शुरु की.
इस दौरान आसिफ अपने एक करीबी दोस्त परवेश के संपर्क में आया, जो आरएएस तकनीक का उपयोग करके मछली पालन कर अच्छी कमाई करता है. उससे प्रभावित होकर आसिफ ने भी मछली का व्यवसाय शुरु करने का सोचा. आसिफ के लिए मछली पालन का बिजनेस पूरी तरह से ही नया था. उसे कोई जानकारी भी नहीं थी. उसने मत्स्य विभाग द्वारा आयोजित ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लिया और नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज से 'कृषि उद्यमिता में स्टार्ट-अप और इनोवेशन' में सर्टिफिकेशन कोर्स प्राप्त किया.
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इस ट्रेनिंग के बाद उन्होंने प्रति एकड़ के खेत में 1.50 लाख रुपये के स्टॉकिंग डेंसिटी के साथ 15 तालाबों का निर्माण कराया और 6 से 8 महीनों में इन तालाबों से 62 टन मछली का कर डाला. मछली पालन की सफलता को देखते हुए उन्होंने अपनी अन्य कृषि भूमि को तालाबों में बदलने का फैसला लिया.
आसिफ ने पश्चिम बंगाल से 3 रुपये प्रति बीज की दर से मछली के बीज खरीदे और इन्हें 20-25 दिनों के लिए नर्सरी में रखा और फिर 120 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बाजार में बेच दिया. उन्होंने सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाया और मत्स्य विभाग से 30 किलोवाट सोलर प्लांट, एरेटर और तालाबों में सोलर पंप लगाने के लिए सरकार से 6 लाख रुपये की सब्सिडी का लाभ भी उठाया. आज आसिफ सिद्दीकी मछली पालन कर साल भर में 210 टन मछली के उत्पादन के साथ 8.40 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं और गांव के लोगों को रोजगार देने का भी काम कर रहे हैं.
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