हाइड्रोपोनिक खेती का चलन लगातार बढ़ता जा रहा है. हमारे कई किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर हाइड्रोपोनिक खेती की तरफ जा रहे हैं. इतना ही नहीं, हाइड्रोपोनिक खेती में हो रहे मुनाफे ने कइयों की जिंदगी को एकदम बदल दिया है, इस तरह की खेती की वजह से हो रहे भारी मुनाफे को देखते हुए हाइड्रोपोनिक तकनीक की तरफ दूसरे किसानों का भी रुझान हो रहा है. झारखंड और राजस्थान समेत कई ऐसे राज्य हैं, जहां हाइड्रोपोनिक खेती जोरों पर है.
दिल्ली के चार दोस्तों ने हाइड्रोपोनिक खेती कर एक मिसाल कायम किया है. चार दोस्तों दीपक कुकरेजा, ध्रुव खन्ना, उल्लास सम्राट और देवांशु शिवानी ने हाइड्रोपोनिक खेती के जरिए 700 टन फल और सब्जियां की फसलों की उगाई. चारों ने 30 लाख रुपये से ज्यादा का मुनाफा कमाए.
क्या है हाइड्रोपोनिक खेती? (What is Hydroponic Farming?)
हाइड्रोपोनिक खेती पानी, बालू या कंकड़ों में की जाती है. नियंत्रित जलवायु में बिना मिट्टी के पौधे उगाने की तकनीक को हाइड्रोपोनिक कहते हैं. इस तकनीक के जरिए फसल पानी और उसके पोषण स्तर के जरिए बढ़ती है. जानकारी के अनुसार हाइड्रोपोनिक खेती में पारंपरिक खेती की अपेक्षा मात्र 10 फीसदी पानी की जरूरत पड़ती है.
कहां हो रही हाइड्रोपोनिक खेती? (Where is hydroponic farming happening?)
हाइड्रोपोनिक खेती अधिकतर पश्चिमी देशों में की जा रही है, लेकिन भारत में भी हाइड्रोपोनिक खेती की धूम है. राजस्थान जैसे शुष्क क्षेत्रों के किसान इस ओर ज्यादा आकर्षित हैं. यहीं नहीं गोवा में भारत सरकार की मदद से हाइड्रोपोनिक तकनीक के जरिए हरा चारा उत्पादन इकाई की स्थापना की गई है.
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हाइड्रोपोनिक खेती के लाभ (Benefits of hydroponic farming)
हाइड्रोपोनिक खेती बिना मिट्टी के की जाती है.
हाइड्रोपोनिक खेती में कम पानी की आवश्यकता होती है.
हाइड्रोपोनिक खेती में उत्पादन की गुणवत्ता अधिक होती है.
इसमें मिट्टी के प्रदूषण से बचा जा सकता है.
ऐसे शुरू करें हाइड्रोपोनिक खेती (How to start hydroponic farming)
हाइड्रोपोनिक खेती करने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती है. इस विधि से 2 या फिर 10 प्लांटर के सिस्टम से खेती शुरू कर सकते हैं. आप चाहें तो हाइड्रोपोनिक के जरिए गोभी, तुलसी, पालक, शिमला मिर्च समेत कई तरह की फल और सब्जियां उगा सकते हैं.
पौधों की देखभाल (care of plants)
पारंपरिक खेती हो या हाइड्रोपोनिक खेती, पौधों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है. हाइड्रोपोनिक खेती में पौधों को थोड़ी दूरी पर लगाएं ताकि आगे बढ़ सके. जल प्रवाह की जांच करते रहें. साथ ही पौधों में कोई समस्या आने पर जल्द उपचार करें या सलाह लें.
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कीट और रोग (Pests and diseases)
पौधों में कई तरह की बीमारियों हो जाती हैं. कभी पत्ते पीले होते हैं, तो कभी पौधों में कीट लग जाते हैं. इससे बचाव के लिए कीटनाशक का प्रयोग करें. नहीं तो पास के कृषि विज्ञान केंद्र जाकर सलाह ले सकते हैं.
कटाई (Harvesting)
फसलों की कटाई के लिए सुबह का समय अनुकूल होता है. ठंडे मौसम में फसलों की कटाई से फसल ताजा रहती है.
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