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बैंगन की टॉप 3 हाई-यील्ड किस्में: 70 दिन में हो जाती हैं तैयार, 50 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन - जानें खासियतें

सितंबर बागवानी के लिए सुनहरा मौका होता है - न ज्यादा गर्मी, न ज्यादा सर्दी। ऐसे मौसम में बैंगन की खेती 'सोने पर सुहागा' साबित हो सकती है। अगर किसान 'पूसा संकर-20', 'पूसा उन्नत' और 'पूसा वैभव' जैसी उन्नत किस्में अपनाएं, तो पैदावार दोगुनी हो सकती है और मुनाफा भी बढ़ेगा।

KJ Staff
brinjal farming
बैंगन की टॉप 3 किस्में (Image Source- Shutterstock)

सितंबर का महीना बैंगन की खेती के लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकता है. आप जानते ही हैं भारतीय थाली में बैंगन की खास जगह है और यह सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ इसमें पोषण भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. किसानों के लिए यह कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल मानी जाती है. वहीं, विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर किसान सितंबर में बैंगन की उन्नत किस्मों जैसे पूसा संकर 20, पूसा उन्नत और पूसा वैभव की खेती करें तो उपज और आय दोनों ही उल्लेखनीय रूप से बढ़ जाती हैं.इन किस्मों से न सिर्फ उत्पादन ज्यादा मिलता है, बल्कि बाजार में भी इनकी भारी मांग रहती है. ऐसे में आइए इन तीनों किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

बैंगन की उन्नत किस्म पूसा संकर (DBHL-20)

किसानों के लिए बैंगन की नई संकर किस्म पूसा संकर 20 (DBHL-20) वर्ष 2015 में पेश की गई थी. इसकी खेती पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान कर सकते हैं. यह किस्म औसतन 50 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है, जो किसानों के लिए लाभकारी है. इसके फल लंबे, चिकने और गहरे बैंगनी रंग के होते हैं, जिनका औसत भार 80 से 90 ग्राम होता है. पौधे कांटे रहित, ऊर्ध्व शीर्ष वाले होते हैं तथा पत्तियों और शाखाओं पर हल्का बैंगनी वर्णक पाया जाता है. फल चमकीले और आकर्षक होने से बाजार में इसकी अधिक मांग रहती है.

बैंगन की उन्नत किस्म पूसा उन्नत (DBHL-211)

बैंगन की उन्नत किस्म पूसा उन्नत की खेती दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में की जा सकती है. यह औसतन 50 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है. किसानों के लिए इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह किस्म सिर्फ 70 दिन में तैयार हो जाती है, यानी जल्दी बाजार में पहुंचकर बेहतर दाम दिलाती है. इसके लंबे, चमकदार बैंगनी फल औसतन 120-125 ग्राम वजनी होते हैं और इनका बाजार मूल्य अधिक मिलता है. साथ ही, हरे कैलेक्स और कांटों की अनुपस्थिति से तोड़ाई और पैकिंग में समय व श्रम की बचत होती है.

बैंगन की उन्नत किस्म पूसा वैभव (DBPR-23)

बैंगन की उन्नत किस्म पूसा वैभव DBPR-23 किसानों और उपभोक्ताओं के लिए वरदान साबित हो रही है. इस किस्म की खेती पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे प्रमुख क्षेत्रों में  की जाती है. वहीं, पूसा वैभव की सबसे बड़ी विशेषता इसकी अधिक उत्पादन क्षमता है और ये किस्म लगभग 55-60 दिन में तैयार हो जाती है. साथ ही इसकी औसत उपज 41.0 टन प्रति हेक्टेयर आंकी गई है. इस किस्म के पौधे मध्यम आकार के होते हैं और इनके पत्तों पर हल्के बैंगनी रंग की मध्य शिरा और जाल पर आकर्षक वर्णक दिखाई देता है. इसके फूल भी मध्यम आकार के और बैंगनी रंग के होते हैं.फल गोलाकार, लगभग 15 सेंटीमीटर लंबे और 7.5 सेंटीमीटर व्यास के होते हैं. इनका रंग गहरा और चमकीला बैंगनी होता है. सबसे अहम बात यह है कि डंठल हरे और कांटों से रहित होते हैं, जिससे तोड़ाई में आसानी रहती है. प्रत्येक फल का औसत वजन करीब 250 ग्राम होता है और फल एकल लगते हैं. साथ ही यह उक्ठा रोग, वायरस समूह और छोटी पत्ती जैसी प्रमुख बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी भी है.

English Summary: top three brinjal varieties Pusa Unnat Pusa Sankar Pusa Vaibhav of brinjal will give bumper profits in a short time Published on: 29 September 2025, 02:20 PM IST

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