देश के कई हिस्सों में दिंसबर के अंत तक गन्ने, धान की देर से कटाई या मौसम की मार के कारण गेहूं की समय पर बुवाई नहीं हो पाती. ऐसे में जनवरी का महीना किसानों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है. इस चुनौती का सामना किसान सही किस्मों का चुनाव कर अच्छी पैदवार कर सकते हैं.
वहीं किसान भाई भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा विकसित गेंहू की इन किस्मों पीबीडब्ल्यू 550, डीबीडब्ल्यू 234, एचडी 3086, डीबीडब्ल्यू 316, एचआई 1634 की खेती करते हैं, तो बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.
आइए आगे इस आर्टिकल में जाने गेंहू की इन टॉप 5 किस्मों के बारे में-
1. PBW 550 (पीबीडब्ल्यू 550)
गेंहू की यह किस्म गन्ने की कटाई के बाद बुवाई के लिए उपयुक्त मानी जाती है. साथ ही गेंहू की यह किस्म किसानों को अच्छी उपज देने में सक्षम किस्म है, जिससे किसान औसतन 22-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार पा सकते हैं और इस किस्म की खास बात यह है कि यह कम पानी में भी बढ़िया उत्पादन दे सकती है.
2. DBW 234 (डीबीडब्ल्यू 234)
DBW 234 देर से बुवाई के लिए एक भरोसेमंद किस्म मानी जाती है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यह किस्म कम सिंचाई में भी संतोषजनक परिणाम देती है. यही कारण है कि उत्तर भारत के कई हिस्सों में किसान इसे तेजी से इसलिए अपना रहे हैं, क्योंकि यह किस्म 126-134 दिनों में किसानों को 35-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार दे सकती है अनुकूल परिस्थितियों में साथ ही इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी बताई जाती है, जिससे फसल का जोखिम कम हो जाता है.
3. HD 3086 (एचडी 3086)
गेंहू की यह किस्म उच्च उत्पादन के लिए जानी जाने वाली किस्म है. अगर इन राज्यों पंजाब, हरियाणा, यूपी,एमपी के किसान इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो वह इस फसल से 140-145 दिनों के भीतर 81 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक अच्छी उपज पा सकते हैं. साथ ही गेंहू की यह किस्म किसानों के बीच काफी लोकप्रिय इसके दाने की गुणवत्ता की वजह से जिससे बाजारों में भी इसकी मांग बनी रहती है.
4. DBW 316 (डीबीडब्ल्यू 316)
पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे क्षेत्रों के लिए ICAR द्वारा अनुशंसित यह किस्म देर से बुवाई के लिए उपयुक्त है. इन राज्यों में अक्सर धान की कटाई देर से होती है, जिससे गेहूं की बुवाई जनवरी तक खिसक जाती है. DBW 316 ऐसी परिस्थितियों में यह किस्म 68 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है और इस किस्म में उच्च पोषण मूल्य (प्रोटीन और जिंक) इसे बाजार में अधिक मूल्य दिला सकता है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सकती है.
5. HI 1634 (एचआई 1634)
मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के किसानों के लिए HI 1634 एक अच्छी किस्म मानी जाती है. इसे समय पर या थोड़ा देर से बोया जा सकता है. इसकी खासियत यह है कि यह गर्मी को अपेक्षाकृत बेहतर ढंग से सहन कर लेती है और इस किस्म से किसान भाई औसत उपज लगभग 51.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पा सकते हैं.
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