बिहार में गेंहू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इन क्षेत्र जिन में रोहतास मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, पटना, भोजपुर और नालंदा जैसे इलाकों के किसान गेंहू की खेती प्रमुख रुप से करते हैं, खासकार बिहार का जिला रोहतास उत्पादन में सबसे आगे रहता हैं.
वहीं, दिसंबर के महीने में अभी भी ऐसे किसान है, जिन्होंने अभी तक गेंहू की बुवाई नहीं की है, तो घबराएं नहीं और माह के आखिरी हफ्ते में गेंहू की इन टॉप 3 DBW 187, PBW 752 और PBW 373 वेराइटीज़ की बुवाई कर दें, ताकि आप इन किस्मों से 1 हेक्टेयर में 60 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकें.
गेंहू की टॉप 3 किस्में-
1. DBW 187: देर से बुवाई के लिए बेहतर विकल्प
गेंहू की यह किस्म एक उन्नत किस्म है, जिसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन और आयरन की मात्रा पाई जाती है. साथ ही यह किस्म पीला रतुआ (Yellow Rust) और गेहूं ब्लास्ट (Wheat Blast) जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधी है, जिससे फसल सुरक्षित रहती है. अगर किसान इस किस्म की बुवाई करते हैं , तो वह 120 दिनों में 61.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अधिकतम 82 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज आसानी से पा सकते हैं.
2. PBW 752: गर्मी सहन करने वाली किस्म
बिहार के किसान इस फसल की बुवाई 28 दिसंबर तक कर सकते हैं. साथ ही इस किस्म की यह खासियत है कि इसमें गर्मी सहन करने की क्षमता आधिक होती है, जो देर से बोई गई फसल के लिए बेहद ही जरुरी है. इसके अलावा गेंहू की इस किस्म की बुवाई किसान अगर करते हैं, तो वह इससे केवल 120 से 130 दिनों प्रति 49.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से 65.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज पा सकते हैं. साथ ही गेंहू की यह किस्म किसानों को बदलते मौसम में भी अधिक पैदावार देती है.
3. PBW 373: बिहार के किसानों के लिए उपयुक्त
PBW 373 गेंहू की यह किस्म बिहार के उन किसानों के लिए अच्छा विकल्प है, जिन्होंने अभी तक गेंहू की बुवाई नहीं की है और वह गेंहू की किस्मों की तलाश कर रहे हैं कि कौन-सी किस्म से मिलेगा देर से बुवाई करने में अधिक उत्पादन. ऐसे में बिहार के किसान इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो वह मात्र 126-134 दिनों में 41-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की अच्छी उपज लें सकते हैं.
किसानों को क्या होगा फायदा?
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किसान अगर इन किस्मों को अपनाते है, तो वह देरी से बुवाई करके अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं.
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इन किस्मों की बुवाई करने से रोगों से बचाव के कारण कम दवा और खर्च कम आएगा.
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किसानों को इन किस्मों से उच्च प्रोटीन और ग्लूटेन के कारण बाजारों में भी अच्छा दाम मिल जाएगा.
साथ ही यह किस्म केवल बिहार में ही नहीं उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों के लिए भी अच्छा विकल्प है, जो इन राज्यों के किसानों को भी देर से बुवाई करने के बाद भी बढ़िया पैदावार दें सकती है.
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