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टमाटर की ये खास किस्में किसानों को बना सकती हैं लखपति! जानें उत्पादन क्षमता और विशेषताएं

टमाटर की खेती के लिए सितंबर से नवंबर माह आदर्श समय माना जाता है. झारखंड के चतरा, पलामू और रामगढ़ जिले के किसान इस अवधि में बड़े पैमाने पर टमाटर की बुवाई करते हैं. ऐसे में आइए हम आपको टमाटर की कुछ उन्नत किस्मों के बारे में बताते हैं-

KJ Staff
tamato farming
टमाटर की ये खास किस्में किसानों को बना सकती हैं लखपति (Image Source- freepik)

देश में बदलते मौसम, बढ़ती मांग और आधुनिक खेती की तकनीकों ने सब्जी उत्पादन में बड़ा बदलाव किया है. टमाटर, जो भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है, अब सिर्फ खुले खेतों में नहीं बल्कि पॉलीहाउस और ग्रीनहाउस जैसी उन्नत तकनीकों के जरिए भी बड़ी मात्रा में उगाया जा रहा है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), पूसा, ने किसानों को ध्यान में रखते हुए टमाटर की दो महत्वपूर्ण किस्में विकसित की हैं—पूसा रक्षित (DTPH-60) और पूसा चेरी टमाटर-1 ये किस्में न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ाती हैं बल्कि गुणवत्ता और लंबी अवधि तक टिकाऊपन की वजह से बाजार में अच्छी कीमत भी दिला सकती हैं. ऐसे में आइए टमाटर की इन खास किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

पूसा रक्षित (DTPH-60) की खेती

पूसा रक्षित (DTPH-60) टमाटर की एक उन्नत संकर किस्म है. यह किस्म विशेष रूप से नियंत्रित वातावरण, यानी पॉलीहाउस परिस्थितियों में खेती के लिए उपयुक्त पाई गई है. पूसा रक्षित की सबसे बड़ी विशेषता इसकी उपज क्षमता है. एक पॉलीहाउस (100 मीटर) से औसतन 15 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है. इसके फल आकार में गोल और रंग में गहरे लाल होते हैं, जिनका औसत वजन लगभग 100 ग्राम होता है. स्वाद की दृष्टि से भी यह किस्म श्रेष्ठ है क्योंकि पके हुए फलों का TSS (टोटल सॉल्यूबल सॉलिड) 5.1° ब्रिक्स पाया गया है, जिससे इसका स्वाद संतुलित और बेहतर हो जाता है. साथ ही, फलों में लाइकोपीन की मात्रा 6.0 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होती है, जिससे इनका रंग गाढ़ा लाल और आकर्षक दिखाई देता है. फल का गूदा लगभग 8 मिमी मोटा होता है, जो फलों को मजबूती प्रदान करता है. बता दें कि इस फसल की अवधि 7-8 महीनों तक रहती है. लगातार मांग को देखते हुए पूसा रक्षित पॉलीहाउस किसानों के लिए लाभदायक और टिकाऊ विकल्प है.

टमाटर पूसा चेरी टमाटर-1

पूसा चेरी टमाटर-1 भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित देश की पहली देशज चेरी टमाटर किस्म है. इसकी बुवाई मुख्य रूप से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में की जाती है. यह किस्म खासतौर पर हरितगृह (ग्रीनहाउस) और पॉलीहाउस परिस्थितियों के लिए उपयुक्त पाई गई है. इस किस्म की सबसे बड़ी विशेषता इसका असीमित बढ़वार वाला स्वभाव है, जिससे पौधे लंबे समय तक उत्पादन देते हैं. लता की लंबाई औसतन 9 से 12 मीटर तक पहुंच सकती है. पत्तियां हल्की हरी और मध्यम रोमिल होती हैं, जबकि तना मजबूत पाया गया है. एक पौधे पर औसतन 18 से अधिक पुष्प गुच्छ आते हैं, जिससे अच्छी फलन क्षमता प्राप्त होती है और फलों का आकार छोटा, गोल और गहरे लाल रंग का होता है.

औसत फल का वजन करीब 13 ग्राम होता है और प्रति पौधा लगभग 22 किलोग्राम उत्पादन मिलता है. सामान्यतः फसल की अवधि 9 से 10 माह तक रहती है, जिससे लंबे समय तक निरंतर उत्पादन संभव है. वहीं पोषण की दृष्टि से भी यह किस्म विशेष है. इसमें लाइकोपीन की मात्रा 5.40 मिग्रा. प्रति 100 ग्राम और एस्कॉर्बिक अम्ल 20.7 मिग्रा. प्रति 100 ग्राम पाई जाती है. इसके अलावा फलों में 10.4° ब्रिक्स तक मिठास होती है. जड़ सूत्रकृमी के प्रति सहनशील होने से यह किसानों के लिए अधिक लाभदायक विकल्प है.

English Summary: top 3 tomatoes varieties of tomatoes will make farmers millionaires Published on: 30 September 2025, 10:13 PM IST

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