
प्याज की मांग दुनियाभर में पूरे साल बनी रहती है। इसमें औषधीय गुणों के साथ-साथ एंटी-डायबिटिक विटामिन भी पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होते हैं। प्याज का उपयोग अचार, सूप और सब्ज़ी आदि बनाने में बड़े पैमाने पर किया जाता है। देश के कई राज्यों जैसे दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और बिहार में इसकी खेती की जाती है। यदि किसान भाई ‘पूसा सोना’, ‘पूसा शोभा’ और ‘पूसा ऋद्धि’ जैसी उन्नत किस्मों की बुवाई करें, तो वे प्रति हेक्टेयर लगभग 31 टन तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आइए, जानते हैं प्याज की इन तीन प्रमुख किस्मों के बारे में –
पूसा रिध्दि (Sel.-338)
पूसा रिद्धि प्याज की एक नई और उन्नत किस्म है. यह किस्म किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि इसमें उपज ज्यादा और गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है. पूसा रिद्धि की खेती ठंडे मौसम में की जाती है. इसकी बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर तक होता है. यह किस्म लगभग 120 से 150 दिनों में तैयार हो जाती है और किसान 31 टन प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन कर सकते हैं.
पूसा सोना (Sel.-126)
पूसा सोना प्याज की एक उन्नत और उच्च उत्पादन वाली किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), में विकसित किया गया है और इसकी उपज अधिक होती है. इस किस्म के अनुमोदित क्षेत्र हैं दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और जम्मू कश्मीर आदि. पूसा सोना किस्म किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. इस किस्म की बुवाई करके किसान 25 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन कर सकते हैं और अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं.
पूसा शोभा (Sel.-126)
प्याज की एक उन्नत और उच्च उपज देने वाली किस्म है. यह किस्म दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त पाई गई है. इस प्याज की औसत उपज लगभग 25 टन प्रति हेक्टेयर होती है. इसके कंद सख्त, चपटे और गोल आकार के होते हैं, जो भंडारण, प्रसंस्करण और निर्यात के लिए बहुत उपयुक्त हैं. एक कंद का वजन लगभग 70 से 100 ग्राम तक होता है. अगर किसान पूसा शोभा प्याज किस्म की खेती करते हैं तो अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
पूसा सोना, पूसा शोभा और पूसा रिद्धि प्याज की खेती के फायदे
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), द्वारा विकसित पूसा सोना, पूसा शोभा और पूसा रिद्धि प्याज की किस्में किसानों के लिए विशेष रूप से लाभकारी हैं. इनकी खेती से न केवल उच्च उत्पादन मिलता है, बल्कि बेहतर गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण किसान आर्थिक रूप से भी मजबूत बनते हैं.
किसानों को कितना होगा लाभ
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बेहतर भंडारण क्षमता: पूसा किस्मों की प्याज 3–4 महीने तक सुरक्षित रहती है. इससे किसान उसे अच्छे दाम पर बेच सकते हैं और बाजार की कीमतों में उतार-चढ़ाव का लाभ उठा सकते हैं.
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रोग प्रतिरोधक: ये किस्में बैंगनी धब्बा, तना गलन जैसी सामान्य बीमारियों के प्रति काफी हद तक सुरक्षित हैं. इससे लागत कम होती है और पैदावार बेहतर रहती है.
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आकर्षक रूप और स्वाद: पूसा सोना, पूसा शोभा और पूसा रिद्धि का आकार, रंग और मीठा स्वाद बाजार में ग्राहकों को बहुत भाता है, जिससे बिक्री आसानी से होती है.
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कम लागत, अधिक लाभ: इन किस्मों की खेती में सिंचाई और खाद की कम आवश्यकता होती है, फिर भी उपज अच्छी होती है. इसका सीधा फायदा किसानों की आय में वृद्धि के रूप में होता है.
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