भारत की सबसे प्रमुख फसलों में से एक गेहूं को बारिश और ओलों से बहुत नुकसान झेलना पड़ता है. इतना ही नहीं उत्पादन कम होने से किसानों के साथ ही सरकार को भी मुश्किल होती है इसलिए किसानों को जलवायु परिवर्तन के अनुरूप फसलों की खेती करने की सलाह दी जा रही है ताकि देश में गेहूं का उत्पादन कम होने से परेशानी का सामना ना करना पड़े.
खरीफ सीजन में मौसम की मार झेलने के बाद किसान अब गेहूं की उन किस्मों की तलाश में हैं, जिनमें मौसम की अनिश्चितताओं का असर ना पड़े. गेहूं की फसल तमाम जोखिमों के बावजूद अच्छा उत्पादन दे सके ऐसे में आपको गेहूं की ऐसी किस्मों की जानकारी दे रहे हैं जो बारिश और ओलों को आसानी से झेल सकती हैं. कुदरत 8 विश्वनाथ और कुदरत विश्वनाथ ये गेहूं की दो किस्में किसानों के लिए वरदान से कम नहीं हैं इन किस्मों को वाराणसी के किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी ने विकसित किया है.
कुदरत-8 विश्वनाथ
कृषि के विकास, विस्तार और आधुनिक तकनीक आने से गेहूं की हाइब्रिड किस्मों से खेती का चलन आ गया है लेकिन पुराने समय से ही गेहूं की देसी किस्म ज्यादा टिकाऊ और क्वालिटी का उत्पादन दे रही है इन्हीं किस्मों में शामिल है गेहूं की कुदरत 8 विश्वनाश, जो बुवाई के 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस प्रजाति के पौधों की ऊंचाई करीब 90 सेमी और लंबाई 20 सेमी होती है इस किस्म के गेहूं का दाना मोटा और चमकदार होता है जिससे प्रति एकड़ 25- 30 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं. जलवायु परिवर्तन के दौर में इस किस्मों की भारी डिमांड है क्योंकि घटते-बढ़ते तापमान में गेहूं की क्वालिटी के साथ-साथ उत्पादन पर असर पड़ रहा है. इसलिए कई राज्यों के हजारों किसान कुदरत 8 विश्वनाश किस्म की खेती से अच्छे परिणाम हासिल कर रहे हैं.
कुदरत विश्वनाथ
बता दें गेहूं की कुदरत विश्वनाश किस्म भी प्रकाश सिंह रघुवंशी ने ही विकसित की है, इस खास किस्म की बुवाई नवंबर से लेकर 10 जनवरी तक कर सकते हैं सबसे अच्छी बात ये है कि सर्दियों में ओलावृष्टि और मौसम बदलने पर बारिश और आंधी के खिलाफ भी गेहूं की कुदरत विश्वनाथ फसल ढाल बनकर खड़ी रहती है गेहूं का तना मोटा और मजबूत होता है जिसकी पत्तियां लंबी चौड़ी और बालियां 9-10 इंच लंबी होती हैं बेहद कम लागत और जोखिमों के साथ किसान इन किस्मों से काफी अच्छा उत्पादन हासिल कर सकते हैं.
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प्रगतिशील किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी
जानकारी के लिए बता दें कि प्रकाश सिंह रघुवंशी खुद की कुदरत कृषि शोध संस्था चलाते हैं जो टड़िया, जाक्खिनी, जिला वाराणसी, उत्तर प्रदेश में है मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक प्रकाश सिंह रघुवंशी करीब फसल की 300 प्रजातियां विकसित कर चुके हैं जिनसे खेती करके हजारों किसान अच्छी पैदावार ले रहे हैं. शुरुआत में प्रकाश सिंह ने देसी किस्में विकसित करके किसानों को मुफ्त बीजों का वितरण किया और देसी बीजों से खेती के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया.
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