कुसुम एक औषधीय गुणों वाला फूल है इसका बीज, छिलका, पत्ती, पंखुड़ियां, तेल, शरबत सभी का उपयोग दवाएं बनाने में होता है इसके फूलों के तेल का उपयोग उच्च रक्तचाप और हृदय रोगियों के लिए लाभदायक होता है कुसुम के तेल का उपयोग साबुन, पेंट, वार्निश, लिनोलियम और इनसे संबधित पदार्थो को तैयार करने में भी होता है इतना ही नहीं यह पानी की कमी वाले क्षेत्रों में भी आसानी से उग सकता है इसकी खेती सीमित सिंचाई अवस्था में होती है इसका पौधा आराम से 120 -130 दिनों में उत्पादन देना शुरू कर देता है इसकी खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रही है.
सिंचाई - कुसुम के पौधों को सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती. इसके पौधों की पहली सिंचाई बीज रोपाई के लगभग 30-40 दिन में करनी चाहिए. फिर उसके बाद पौधों की एक या दो सिंचाई फूल खिलने के बाद करना चाहिए ताकि पौधे से पैदावार अधिक मात्रा में मिल सके.
तुड़ाई - कुसुम के पौधों की पत्तियों में काफी कांटे होते हैं, इसलिए दस्ताने पहनकर सुबह के समय कटाई करें क्योंकि इस समय कांटे मुलायम होते हैं फिर पौधों की डालियां सूखने पर निचली डालियों की पत्तियों को हटा देते हैं. फसल की कटाई करने के बाद 2-3 दिनों तक धूप में सुखाया जाता है बाद में डंडे की मदद से कुसुम की मडाई का काम करते हैं.
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मुनाफा- एक हेक्टेयर में बढ़िया तरीके से कुसुम की खेती की जाए तो आराम से 9-10 क्विंटल तक की उपज मिलती है. इसके बीज, छिलका, पत्ती, पंखुड़ियाँ, तेल, शरबत सभी से बाजार में अच्छी कीमतों मिलती हैं. जिससे किसान बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.
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