Sapota Cultivation: चीकू की खेती देश के कई हिस्सों में की जाती है. यह काफी लोकप्रिय फल है. अगर आप इसकी खेती करते हैं तो बाजार में आपको काफी अच्छा मुनाफा मिल सकता है. चीकू का फल खाने में स्वादिष्ट होने के अलावा यह विटामिन-बी, सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज और मिनरल से भरपूर होता है. चीकू की खेती के दौरान इसमें कई हानिकारक कीट और रोग लग जाते हैं. आज हम आपको इसमें लगने वाले रोगों के रोकथाम के बारे में बताने जा रहे हैं.
चीकू में होने वाले रोग
धब्बा रोग
यह रोग चीकू की पत्तियों पर लगता है और यह गहरे जामुनी भूरे रंग का होता हैं साथ ही बीच से सफेद रंग का होता हैं. यह पौधे की पत्तियों के अलावा तने और पंखुड़ियों पर भी लगता है. इससे बचाव के लिए पत्तों पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड की 500 ग्राम मात्रा को छिड़काव करना चाहिए.
तने का गलना
यह एक फंगस से होने वाली बीमारी है. इसके कारण पौधे के तने और शाखाओं में सड़न आने लगती है. इससे बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम और Z-78 की मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर इसकी जड़ों पर छिड़काव करना चाहिए.
एंथ्राक्नोस
यह रोग पौधे के तने और शाखाओं पर गहरे रंग के धंसे हुए धब्बे के रुप में देखा जाता है. इसके लगने से पौधे की पत्तियां झरने लगती है और धीरे-धीरे पूरी शाखा गिर जाती है. इससे बचाव के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड और एम-45 को पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
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पत्ते का जाला
इस रोग से चीकू के पेड़ के पत्तों पर जाला लग जाता है और फिर यह गहरे भूरे रंग का हो जाता है. इससे पत्ते सूख जाते हैं और टहनियां भी गिरने लगती है. इससे बचाव के लिए कार्बरील और क्लोरपाइरीफॉस को मिलाकर 10 से 15 दिनों के अंतराल पर पौधे पर छिड़काव करना चाहिए.
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