कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से पकी फसलों के खतरों को देखते हुए हम आर्गेनिक पदार्थों का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं. हालाँकि पूरी तरह से आर्गेनिक चीज़ें उपलब्ध होना मुश्किल है लेकिन फिर भी हम कम से कम उन चीज़ों से तो परहेज़ कर ही सकते हैं जिन्हें उगने में कम रासायनों का इस्तेमाल किया गया हो.
अमेरिकी कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार खीरा में तकरीबन 86 हानिकारक कीटनाशक अवशेष पाए गए हैं. इनमें से 10 कैंसर का कारण हो सकते हैं, 32 हार्मोन्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं. जबकि 17 न्यूरोटोक्सिन और 10 प्रजनन तंत्र के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि धोने के बाद भी खीरे में ये रसायन रह सकते हैं. हालंकि इसकी परत को छीलने से इसकी संभावना कम रहती है. शोध में इस बात की भी संभावना जताई गयी है कि इस तरह के हानिकारक पेस्टीसाइड अन्य सब्जियों में भी हो सकते हैं. यही कारण है कि पौधों से रोगजनकों को खत्म करने के लिए प्राकृतिक और जैविक खेती का विकल्प और भी महत्वपूर्ण हो गया है.
चमकदार पदार्थ पौटेशियम फॉस्फफाइट (केपीआई) का इस्तेमाल इसी तरह के हानिकारक कैमिकल्स को खत्म करने के लिए किया जाता है. हाल ही में खीरे के पौधों से घातक फफूंदी को हटाने में इसे प्रभावी पाया गया है.
इस नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने स्यूडोपरोनोस्पोरा क्यूबेन्सिस के साथ खीरे के पौधों को लगाया और अलग-अलग अवस्था में केपीआई का इस्तेमाल किया. इसके नमूनों की जाँच में रोगजनक-इनोक्यूलेटेड और विशेष रूप से क्लोरोफिल उत्पादन से संबंधित गतिविधियों में कमी पाई गई. साथ ही इसके इस्तेमाल के बाद पत्तियों में लगे फफूंद में भी उल्लेखनीय कमी देखने को मिली.
रोहताश चौधरी, कृषि जागरण
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