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अक्टूबर में लगाएं मटर की ये टॉप 2 हाई यील्डिंग किस्में, मिलेगा 10 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन!

Green Pea Farming: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने मटर की दो उन्नत किस्में, पूसा श्री (जी.पी-17) और पूसा प्रबल (जी.पी-473) विकसित की हैं। ये किस्में रोग प्रतिरोधी, अधिक उपज देने वाली और विभिन्न जलवायु में अनुकूल हैं। किसान इनसे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और बाजार में अच्छी कीमत पा सकते हैं।

KJ Staff
pea farming
मटर की ये टॉप 2 हाई यील्डिंग किस्में (Image source- AI generate)

देश के किसानों की आय को दोगुना करने और सब्ज़ी उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) समय-समय पर नई और उन्नत किस्में विकसित करता रहा है. कुछ ऐसी ही मटर की दो उन्नत किस्में पूसा श्री जी.पी –17 और पूसा प्रबल जी.पी– 473 भी हैं जो किसानों के बीच तेजी से लोकप्रियता हासिल की हैं. इन किस्मों की खासियत यह है कि ये रोग प्रतिरोधी होने के साथ-साथ उच्च उत्पादन देने वाली हैं और अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में अच्छी तरह पनपती हैं. ऐसे में आइए इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानते हैं-

पूसा श्री (जी.पी–17)

पूसा श्री (जी.पी – 17) मटर की एक अगेती परिपक्व और रोग प्रतिरोधी किस्म है, जिसे खासतौर पर उत्तर भारत के मैदानी और निचले पर्वतीय क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है. यह किस्म हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो रही है. इसकी औसत उपज लगभग 4.5 टन प्रति हेक्टेयर है, जो इसे व्यावसायिक खेती के लिए उपयुक्त बनाती है. इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी जल्दी पकने की क्षमता है. यदि किसान समय पर इसकी बुवाई करें, तो वे बाज़ार में शुरुआती फसल बेचकर ऊंचे दाम कमा सकते हैं. साथ ही, इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक है, जिसके कारण किसानों को बार-बार दवा का छिड़काव करने की ज़रूरत नहीं होती. इससे खेती की लागत घट जाती है और किसानों का मुनाफा बढ़ जाता है.

मुख्य विशेषताएं -

  • अगेती परिपक्व किस्म

  • फ्यूसेरियम (उक्ठा) रोग प्रतिरोधी

  • उच्च तापमान सहनशीलता

  • उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए भी उपयुक्त

  • निचले पर्वतीय इलाकों में अक्टूबर महीने में अगेती बुवाई के लिए सर्वश्रेष्ठ

  • हरी रंग की फलियां जिनमें 5-6 दाने प्रति फली होते हैं.

पूसा प्रबल (जी.पी – 473)

पूसा प्रबल (जी.पी.-473) मटर की एक नई और उन्नत किस्म है, जिसे खासतौर पर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के किसानों के लिए विकसित किया गया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी अधिक उपज क्षमता है. जहां परंपरागत किस्में जैसे पूसा श्री (जी.पी.-17) लगभग 4.5 टन प्रति हेक्टेयर की औसत उपज देती हैं, वहीं पूसा प्रबल किसानों को लगभग 9.0 से 10.0 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देने में सक्षम है. इस किस्म की एक और प्रमुख विशेषता इसकी लंबी फलियां और अधिक दाने हैं, जो बाजार में इसकी मांग को और भी बढ़ा देते हैं. किसान इसे उगाकर न केवल अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत हो सकते हैं. बेहतर उपज और आकर्षक दानों की वजह से यह किस्म घरेलू और निर्यात, दोनों बाजारों के लिए उपयुक्त मानी जा रही है. पूसा प्रबल किसानों के लिए उच्च उत्पादन और लाभकारी खेती का नया विकल्प साबित हो रही है.

मुख्य विशेषताएं –

  • मध्यम परिपक्वता किस्म

  • चूर्णिल असिता व उक्ठा रोग रोधी

  • हरे रंग की लंबी फलियां

  • प्रत्येक फली में 7-9 दाने

  • छिलकान प्रतिशतता: 52%

बाजार और मुनाफा

भारत में मटर की मांग हमेशा ऊंची रहती है. हरी मटर सर्दियों के मौसम में रसोई की जरूरी सब्जी होती है, जबकि सूखी मटर का उपयोग स्नैक्स और अन्य खाद्य उद्योगों में होता है. इस लिहाज से किसान यदि उन्नत किस्मों की खेती करें तो उन्हें स्थानीय मंडियों और बड़े बाजारों में अच्छी कीमत मिल सकती है. वहीं पूसा श्री से किसान जल्दी उत्पादन लेकर बाजार में ऊंचे दाम कमा सकते हैं. वहीं पूसा प्रबल की अधिक उपज और आकर्षक फलियां थोक मंडियों और प्रोसेसिंग यूनिट्स में आसानी से बिक सकती हैं.

English Summary: pea varieties top 2 high yielding pea varieties yield of up to 10 tonnes per hectare Published on: 01 October 2025, 05:00 PM IST

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