कोरोना महामारी के कारण चल रहे लॉकडाउन में अफीम किसानों पर संकट मंडराने लगा है। हर साल अप्रैल में नारकोटिक्स विभाग में जमा हो जाने वाला काला सोना यानी अफीम की फसल अब तक किसानों के घरों में ही रखी है। जिले के लगभग 18 हजार किसानों सहित संसदीय क्षेत्र के करीब 37 हजार किसान अफीम जमा कराने के लिए सरकार के आदेश की बाट जोह रहे हैं। घरों में रखी अफीम अब सूखने लगी है। जिससे उसका वजन भी कम होता जा रहा है। अफीम का वजन कम होने की चिंता अब किसानों को सताने लगी है। वहीं घरों में रखी अफीम की रखवाली के लिए किसान रात में जाग रहे हैं। जल्द से जल्द अफीम तोल कराने के लिए किसान ग्वालियर अधिकारी और नीमच डीएनसी में आवेदन भी कर चुके हैं लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अब तक अफीम किसानों की सुध नहीं ली गई।
मन्दसौर जिले में हर साल मौसम अनुकूल होने के साथ अफीम की फसल भी तैयार रहती है । मालवा क्षेत्र में नीमच, मंदसौर, रतलाम जिलों में करीब 37 हजार किसानों ने अफीम की खेती की है।
मालवा क्षेत्र में अफीम काश्तकारी के आंकड़े
- नीमच जिले में 14 हजार 618 किसानों ने की खेती
- मंदसौर जिले में 18 हजार 929 किसानों ने की खेती
- रतलाम जिले के जावरा में 3 हजार 777 किसानों की खेती
- मप्र ओर राजस्थान को मिलाकर क़रीब 80 हज़ार अफ़ीम के लाइसेंस हैं
- 2018-19 की तुलना में 2798 किसान बढ़े
अफीम नीति 2018-19 में मप्र में करीब 34 हजार किसानों को अफीम की खेती का अधिकार मिला था। लाइसेंस (पट्टे) जारी हुए थे। अफीम नीति 2019-20 में प्रदेश में पट्टेदार किसानों की संख्या करीब 37 हजार हो गई है। इस तरह पूर्व की तुलना में प्रदेश में 2 हजार 798 पट्टेदार किसान बढ़ गए हैं।
अफीम सूखने से लेकर रखवाली करने की दोतरफा परेशानी
मंदसौर नीमच क्षेत्र अफीम की अच्छी पैदावार के लिए शुमार है। अफीम किसानों द्वारा उत्पादित अफीम को एक माह बीत जाने के बाद भी नार्कोटिक्स विभाग द्वारा नही खरीदे जाने के कारण दो तरफा परेशानियों का सामना किसानों को करना पड़ रहा है। जिसका मुख्य कारण कोरोना वायरस का संक्रमण है। हर साल 20 अप्रेल तो तोल हो जाता है। लेकिन इस महामारी के कारण अब तक अफीम तोल नही हुआ। किसानों का कहना है कि केन्द्र सरकार जल्द ही तोल का आदेश या इससे संबंधित कोई गाइडलाइन जारी करे।
औसत कम हो या खराब होने पर जिम्मेदार कौन?
किसानों ने बताया कि लॉकडाउन के चलते डीएनसी द्वारा अफीम नहीं खरीदे जाने से अफीम की प्रगाढ़ता खत्म होती जा रही है और इसमें जल्दी सूखने की प्राकृतिक खूबी भी होती है। जिसके चलते अफीम का वजन भी कम होता जा रहा है। किसानों का कहना है ऐसे में अफीम की औसत कम होने और इसके खराब होने पर जिम्मेदार कौन होगा। किसानो को डर भी है कि कहीं उनका अफ़ीम का लाइसेंस (पट्टा) निरस्त न हो जाए। इस मामले में अफ़ीम अधिकारी ग्वालियर ओर नीमच डीएनसी को किसान सूचना और आवेदन भी दे चुके हैं।
लगातार संपर्क में हूं, जल्द निराकरण होगा
मंदसौर के किसान नेता और अफीम काश्तकार अमृतराम पाटीदार का कहना है कि अफ़ीम वित्तमंत्रालय के अधीन रहता है। वो समय समय पर अपने निर्देश जारी करता है लेकिन कोरोना के चलते वित्तमंत्रालय, गृह मंत्रालय अधीन हो गया है। किसान नेता लगातार सम्पर्क में हैं। जल्द ही किसानों की समस्या का निराकरण हो जायेगा। आपको बता दें कि मप्र और राजस्थान को मिलाकर करीब 80 हज़ार अफीम के लाइसेंस हैं।
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