मक्के की खेती किसानों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. मक्के में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और विटामिन, जो शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी हैं और विभिन्न बीमारियों से बचाव में मदद करते हैं. इसके अलावा, मक्के की मांग साल भर बनी रहती है. ऐसे में, अगर किसान IMH 226 किस्म का चुनाव करते हैं, तो रबी सीजन में उन्हें अच्छा मुनाफा मिल सकता है.
1. उच्च उपज देने वाली किस्म
रबी सीजन में मक्के की इस किस्म की खेती करने पर किसान उच्च उपज प्राप्त कर सकते हैं. सामान्य परिस्थितियों में यह किस्म लगभग 9.89 टन प्रति हेक्टेयर तक की उपज देती है. पारंपरिक मक्का किस्मों की तुलना में यह किस्म अधिक मुनाफा दिलाने में सक्षम है.
2. रोग प्रतिरोधक क्षमता
IMH 226 किस्म में तना छेदक, पत्ती झुलसा और रस्ट जैसी बीमारियों से लड़ने की क्षमता है. इसे जैविक रूप से इन बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी बनाया गया है. इस कारण यह टिकाऊ होने के साथ-साथ उच्च उत्पादन भी देती है.
3. विशेष क्षेत्रीय अनुकूलता
IMH 226 मुख्य रूप से उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए तैयार की गई है. यह किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में रबी सीजन में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है. यह ठंडी और शुष्क जलवायु में भी बंपर पैदावार देने में सक्षम है.
4. आर्थिक रूप से लाभकारी
IMH 226 केवल उच्च उत्पादन ही नहीं देती, बल्कि कम रोग-प्रभाव, कम कीटनाशक उपयोग और उच्च उपज के कारण किसानों को अधिक नेट रिटर्न भी देती है. यही कारण है कि यह किस्म उत्तर भारत के किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है.
खेती के सुझाव:
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बीज की बुवाई नवंबर के पहले पखवाड़े में करें; यह मौसम इस किस्म की बुवाई के लिए उपयुक्त है.
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फसल की वृद्धि अवधि में संतुलित उर्वरक और पर्याप्त सिंचाई का ध्यान रखें ताकि फसल अच्छी पैदावार दे.
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समय-समय पर फसल की निगरानी करें ताकि रोग या कीट नियंत्रण समय पर किया जा सके.
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