गिलोय झुंड में उगने वाला एक पौधा है, इसकी शाखाएं गठिली तथा तना आकार में काफी मोटा होता है. इसके तने पर गहरे रंग के दाग-धब्बे बने होते हैं. गिलोय की पत्तियां अंडाकार होती हैं. इस पौधे का मुख्यत: उपयोग दवाइयां और औषधि बनाने में होता है. इसको अन्य नामों जैसे- अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि से भी जाना जाता है. गिलोय से तैयार दवाइयों का उपयोग बुखार, पीलिया, चर्म रोग, अपच और कैंसर जैसी बीमारियों के उपचार में किया जाता है.
खेती करने की विधियां
मिट्टी
गिलोय की पैदावार बलुई दोमट मिट्टी में की जाती है. खेतों में इसे लगाने से पहले मिट्टी को खूब अच्छी तरह से भुरभुरा कर लें, ताकि पौध का विकास आसान तरीके से हो सके. इसकी पैदावार के लिए 25 से 28 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
पौधों के रोपण का तरीका
गिलोय के पौधों की अच्छी तरह ले कटिंग करके खेतों में लगाया जाता है. पौधों को जमीन में लगाने और उनके बीच की दूरी को 3 मीटर तक रखा जाता है. इसको उगाने के लिए लकड़ी के खपच्चियों की आवश्यकता होती है. इसको अन्य पेड़ों के साथ भी आसानी से उगाया जा सकता है. गिलोय के काटे गए तने को 24 से 48 घंटे के भीतर ही रोपाई कर देनी होती है. जून और जुलाई का महीना इसकी खेती के लिए प्रमुख माना जाता है.
सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
गिलोय के पौधे में किसी भी प्रकार से कीटों का संक्रमण नहीं लगता है. इसकी जड़ों में बीमारियां नहीं लगती हैं. इस पौधे में खुद की ही कीट नियंत्रण क्षमता होती है, फिर भी समय-समय पर इस पर कीटनाशक का छिड़काव करते रहना चाहिए. खरपतवार से बचने के लिए इसके आस-पास की जमीन की हमेशा निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए.
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पैदावार
गिलोय की प्रति हेक्टेयर लगभग 800 किलोग्राम तक की पैदावार की जा सकती है. इसका शुष्क अवस्था में वजन लगभग 300 किलोग्राम तक होता है. वर्तमान समय में इसकी औषधियों की दुनिया में बहुत मांग है. आप इसको ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीको से बेचकर काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आप दवाई बनाने वाली कम्पनियों के साथ-साथ मंडी में जाकर खरीददारों से सम्पर्क कर अपनी पैदावार से मनचाहा पैसा कमा सकते हैं. इस व्यापार से शुरुआत में आप 20000 से 25000 रुपये हर महीनें कमा सकते हैं.
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