1. Home
  2. खेती-बाड़ी

उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में बड़ी इलायची/लार्ज कार्डेमम की खेती

बड़ी इलायची या लार्ज कार्डेमम को मसाले की रानी कहा जाता है. इसका उपयोग भोजन का स्वाद बढाने के लिए किया जाता है लेकिन इसमें औषधिय गुण भी होते है . बड़ी इलायची से बनने वाली दवाईयों का उपयोग पेट दर्द को ठीक करने के लिए , वात , कफ , पित्त , अपच , अजीर्ण , रक्त और मूत्र आदि रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है. इसकी खेती सिक्किम , पश्चिमी बंगाल , दार्जलिंग , और भारत के उत्तर – पूर्वी भाग में अधिक की जाती है . बड़ी इलायची भारत के उत्तर – पूर्वी भाग में प्राकृतिक रूप में पाई जाती है . इसके आलावा नेपाल , भूटान और चीन जैसे देश में भी इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है .

विवेक कुमार राय
cardamom cultivation

बड़ी इलायची या लार्ज कार्डेमम को मसाले की रानी कहा जाता है. इसका उपयोग भोजन का स्वाद बढाने के लिए किया जाता है लेकिन इसमें औषधिय गुण भी होते है . बड़ी इलायची से बनने वाली दवाईयों का उपयोग पेट दर्द को ठीक करने के लिए , वात , कफ , पित्त , अपच , अजीर्ण , रक्त और मूत्र आदि रोगों को ठीक करने के लिए  किया जाता है. इसकी खेती सिक्किम , पश्चिमी बंगाल , दार्जलिंग , और भारत के उत्तर –  पूर्वी भाग में अधिक की जाती है . बड़ी इलायची  भारत के उत्तर – पूर्वी भाग में प्राकृतिक रूप में पाई जाती है . इसके आलावा नेपाल , भूटान और चीन जैसे देश में भी इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है .

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बड़ी इलायची उत्पादन की अपार संभावनाएं

समुद्र तट से 600 - 1500 मीटर तक की ऊंचाई वाले नमी व छाया दार स्थान जहां पर सिंचाई की सुविधा हो बडी इलायची की खेती की जा सकती है. पूर्वी व उत्तरीय ढलान वाले स्थान जो हिमालय के समीप हैं इन स्थानों में अधिक ऊंचाई पर बड़ी इलायची की खेती नहीं करनी चाहिए. दक्षिणी पश्चिमी ढलान वाले स्थान जो हिमालय से दूर है तथा जहां पर नमी व छाया है उन स्थानौ पर अधिक ऊंचाई पर भी बड़ी इलायची की खेती की जा सकती है. बड़ी इलायची की खेती के लिए 20 - 30°c का तापमान सबसे उपयुक्त होता है.

उत्तराखंड में कई स्थानों पर कृषक बड़ी इलाइची की कर रहे हैं व्यवसायिक खेती

 बच्चीराम ढौंढियाल ग्राम कांडई बूगींधार थलीसैंण जनपद पौड़ी गढ़वाल बड़ी इलायची की व्यवसायिक खेती कर रहे है श्री ढौंढियाल जी बड़ी इलायची के उत्पादन के साथ साथ पौधे (सकर्स) हजारौ की संख्या में समीपवर्ती क्षेत्रों के कृषकों को आपूर्ति करते हैं .आप को बड़ी इलायची की व्यवसायिक खेती का लम्बा अनुभव व तकनीकी ज्ञान है जिसे समय समय पर कृषकों से साझा करते रहते हैं. उत्कृष्ट कार्य करने के फलस्वरूप आपको कई सम्मानौं से भी नवाजा गया है.  जगत सिंह नेगी ग्राम पेलिंग ऊखीमठ जनपद रुद्रप्रयाग भी भेषज संघ की प्ररेणा से बड़ी इलायची की व्यवसायिक खेती कर रहे हैं आप बड़ी इलायची के उत्पादन के साथ साथ पौधे बनवा कर भी कृषकों की मांग की पूर्ति करते हैं. आशाराम नौटियाल ग्राम द्वारी घनसाली जनपद टेहरी भी बड़ी इलायची की व्यवसायिक खेती कर अच्छा आर्थिक लाभ कमा रहे हैं.  जय प्रकाश सेमवाल, श्री मुकेश सेमवाल,श्री सूर्य प्रकाश नौटियाल आदि भी विकास खण्ड जखोली जनपद रुद्रप्रयाग में बड़ी इलायची की व्यवसायिक खेती कर रहे हैं. हरीश जोशी ग्राम लोंगा मुल्ली सेरा मयाली विकास खण्ड जखोली जनपद रुद्रप्रयाग से में दिनांक 29 नवम्बर 2015 को मिला श्री जोशी जी ने 2 नाली के खेत में बड़ी इलायची की कास्त की हुई थी उन्होंने 2012 में 100 पौधे लगा कर बड़ी इलायची की खेती की शुरुआत की दो बर्ष बाद याने 2014 से उन्हें उत्पादन प्राप्त होना शुरू हुआ 2015 में उन्हें दो नाली खेत से लगभग 25 किलो ग्राम बड़ी इलायची की उपज प्राप्त हुई जिसे उन्होंने 800 - 1000 रुपए प्रति किलो ग्राम की दर से ऋषिकेश में बेचा. और भी कई अन्य नाम है जो उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में बड़ी इलायची की व्यवसायिक खेती सफलता पूर्वक कर रहे हैं व इस व्यवसाय से जुड़ कर अपनी आजीविका चला रहे हैं.

भूमि का चुनाव एवं मृदा परीक्षण

जीवाँशयुक्त बलुई दोमट नम भूमि जिसमें जल निकास की व्यवस्था हो सर्वोत्तम रहती है. जिस भूमि में बड़ी इलायची की खेती करनी है उस भूमि का मृदा परीक्षण अवश्य कराएं जिससे मृदा का पीएच मान (पावर औफ हाइड्रोजन या पोटेंशियल हाइड्रोजन ) व चयनित भूमि में उपलव्ध पोषक तत्वों की जानकारी मिल सके. पीएच मान मिट्टी की अम्लीयता व क्षारीयता का एक पैमाना है यह पौधों की पोषक तत्वों की उपलब्धता को प्रभावित करता है यदि मिट्टी का पीएच मान कम (अम्लीय)है तो मिट्टी में चूना या लकड़ी की राख मिलायें यदि मिट्टी का पीएच मान अधिक (क्षारीय)है तो मिट्टी में कैल्सियम सल्फेट,(जिप्सम) का प्रयोग करें. भूमि के क्षारीय व अम्लीय होने से मृदा में पाये जाने वाले लाभ दायक जीवाणुओं की क्रियाशीलता कम हो जाती है साथ ही हानीकारक जीवाणुओ /फंगस में बढ़ोतरी होती है साथ ही मृदा में उपस्थित सूक्ष्म व मुख्य तत्त्वों की घुलनशीलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. जिस खेत में बड़ी इलायची की खेती की जा रही है उस खेत की मिटटी में प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन , फास्फोरस और पोटाश का होना बहुत जरूरी है . इसकी खेती अम्लीय दोमट मिटटी में सफलतापूर्वक की जाती है . लेकिन मिटटी में नमी की उचित मात्रा होनी चाहिए . यदि खेत की भूमि का पी. एच. मान 5 से 6 के बीच का हो तो बेहतर होता है . इस तरह की भूमि बड़ी इलायची की वृद्धि के लिए उत्तम होती है .

बड़ी इलायची की किस्मे

1.गोलसे Golsey

2.रामसे  Ramsey

3.सावने  Sawney

4.रामला Ramla

कुछ स्थानीय किस्में भी अच्छा उत्पादन देती है. बड़ी इलायची की खेती आम तोर पर दो तरह से कर सकते हैं एक बड़ी इलायची के पौधे (सकर्स) ले कर सीधे खेत में रोपित करें या बीज लेकर पहले नर्सरी तैयार करें फिर तैयार पौधों को खेत में लगायें.

बड़ी इलायची की नर्सरी तैयार करना

बड़ी इलायची की खेती करने के लिए सबसे पहले हम एक पौधशाला बनाते है . पौधशाला में बीजों को कतारों में बोयें . बीजों को कम से कम 9 से 10 सेंटीमीटर की दुरी पर बोयें . एक नाली खेत में पौधे लगाने के लिए 25 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है. मिट्टी की नमी को बनाएं रखने के लिए इसके ऊपर सुखी घास , पुआल या पत्तियों की एक परत बिछा दें . इसके बीजों में अंकुरण मार्च के महीने में होने लगता है जो अप्रैल से मई के महीने तक चलता है . बीजों में अंकुरण होने के बाद भूमि पर से पुआल , और सुखी घास की परत को हटा देना चाहिए . इसके बाद पौधे की वृद्धि करने के लिए उचित छाया की व्यवस्था करनी चाहिए . इसकी तैयार नर्सरी में हर रोज कम से कम २ बार हल्की सिंचाई करनी चाहिए . जिससे मिटटी में नमी बनी रहे . जब पौध पर 5 या 6 पत्तियां निकल जाये तो इसे खेत में रोपण करने के लिए उपयोग करें . इसकी दूसरी नर्सरी तैयार करें जिसमें रोपाई जुलाई के महीने में करें . दूसरी नर्सरी का निर्माण करने के लिए 80 से 90 सेंटीमीटर लम्बी , 15 सेंटीमीटर चौड़ी और आवशयकता अनुसार ऊंचाई की कतार बनाये . क्यारी बनाते समय इसमें सड़ी हुई गोबर की खाद मिला दें . इसके बाद पहली नर्सरी से पौध को निकालकर दूसरी तैयार नर्सरी में रोपित करें . पौधे को 15 सेंटीमीटर की दुरी पर रोपें . जब इसके पौधे की लम्बाई 45 से 60 सेंटीमीटर की हो जाये और पौधे में से कम से कम 3 या 4 शाखाएं निकल जाये तो इन्हें अगले साल खेत में रोपित करें . इसे रोपने के लिए जुलाई /अगस्त का महिना अति उत्तम होता है .

बड़ी इलायची के पौधों का रोपण

अधिक तर कास्तकार बड़ी इलायची के पौधों से निकलने सकर्स (पौधे)को ही लगाते हैं. इलायची के पौधों का रोपण जुलाई या अगस्त के महीने में करें . नवम्बर दिसम्बर माह में भी पौधों का रोपण किया जा सकता है. बड़ी इलायची का एक पौधा 10 - 12 रुपए में मिल जात है. पौधों को 1.5 x 1.5 याने लाइन से लाइन की दूरी 1.5 मीटर तथा लाइन में पौधे से पौधे की दूरी 1.5 मीटर रखें. पौध रोपण करने से पहले 30 सेंटीमीटर लम्बा , 30 सेंटीमीटर चौड़ा और 30 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा खोद लें . खुदे गड्ढे की मिट्टी में ट्राइकोडर्मा से मिली हुई खूब सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर गड्डे में भर दें . इसके बाद पौधे को रोपित करें . एक नाली याने 200 वर्ग मीटर के खेत में 70 - 80 पौधे लगाने चाहिए. खेत के चारों और बड़े पेड़ होने चाहिए जिससे इसके पौधे को छाया प्राप्त हो सके. छाया में इसकी अधिक वृद्धि होती है और हमे अधिक से अधिक उपज की प्राप्ति होती है . इलायची की खेती आम अमरूद लीची अखरोट , संतरा , बांज आदि वृक्षों के नीचे भी कर सकते है. पौध रोपण के बाद खेत में सूखे पत्तों का खूब पलवार (मल्र्चिंग) बिछायें जिस से खेत में हर समय नमी बनी रहे.समय समय पर आवश्यकता अनुसार सिंचाई व निराई गुड़ाई करते रहे हैं. बड़ी इलायची के पौधों में जून के अन्तिम सप्ताह से फ़ूल आने शुरू होते है उस समय से उपज लेने तक पौधों के चारों ओर सफाई रखना आवश्यक है. एक बार बड़ी इलायची की पौध लगाने पर 10 बर्षों तक इनसे व्यवसायिक उपज ली जा सकती है.

बड़ी इलायची की फसल की कटाई

अक्टुबर/नवम्बर में फसल तैयार हो जाती है. फल आने पर और ऊपर से नीचे फल पकने के बाद फल युक्त शाखा को भूमि से 45 सेंटीमीटर ऊपर से काटना चाहिये . इसके बाद फलों को अलग निकालकर छाया में सुखाना चाहिए .

बड़ी इलायची की उपज की प्राप्ति

बड़ी इलायची का पौधा पहले और दूसरे साल में बढ़ता है और विकसित होता है . तीसरे और चौथे साल में एक नाली खेत से 10 - 12 किलो ग्राम तक की उपज मिल जाती है जिसे बाजार में 800 - 1000 रुपए प्रति किलो की दर से आसानी से बेचा जा सकता है.

बड़ी इलायची का भण्डारण

पूरी तरह से सूखे हुए फलों को पोलीथिन से बने बस्तों में भर दें. इसे किसी लकड़ी से बने हुए बॉक्स में इस तरह से रखे कि इसमें नमी ना जा सके . इसके आलावा हमे इसके फलों को फफूंदी लगने से भी बचाना चाहिए.

डॉ० राजेन्द्र कुकसाल

[email protected]  

बड़ी इलायची की पौध व तकनीकी जानकारी हेतु सम्पर्क कर सकते हैं-

1.श्री बच्ची राम ढौंढियाल -7351976911

2.श्री हरीश जोशी - 9568377206

3.श्री जय प्रकाश सेमवाल - 9759069978

पूर्व लोकपाल मनरेगा

7055505029

बड़ी इलायची की पौध

English Summary: Large cardamom / large cardamom cultivation in hilly areas of Uttarakhand state Published on: 07 August 2019, 05:35 PM IST

Like this article?

Hey! I am विवेक कुमार राय. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News