2050 तक दुनिया की आबादी 9.7 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है. और इन्हें खिलाना एक बड़ी चुनौती. जिसका सामना करने के लिए अभी हम बिलकुल भी तैयार नहीं हैं. औद्योगिक विकास और शहरीकरण (Industrial Development and Urbanization) के कारण हम हर दिन कृषि योग्य भूमि खो रहे हैं. 2015 में वैज्ञानिकों ने बताया कि पृथ्वी ने पिछले 40 वर्षों में अपनी कृषि योग्य भूमि का एक तिहाई हिस्सा खो दिया है.
बढ़ती आबादी के साथ-साथ लगातार सिमटती कृषि योग्य भूमि के कारण भोजन की बढ़ती मांग हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. कई लोगों का मानना है कि वर्टिकल खेती (Vertical Farming) इस चुनौती का जवाब हो सकता है.
वर्टिकल फार्मिंग क्या है? (What is Vertical Farming?)
सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थों को एक स्तर पर खेती करने की बजाय खड़ी खेती करने को वर्टिकल फार्मिंग कहते हैं. इसकी खेती कहीं भी की जा सकती है चाहे वो ग्रीनहाउस (Greenhouse or Polyhouse) हो या आपकी बिल्डिंग. इसकी खेती से जगह की काफी बचत होती है और आने वाले समय की यह फ्यूचर फार्मिंग टेक्निक्स में से एक है.
ज्यादातर ग्रीनहाउस में ही वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) की जाती है. इसमें तापमान, प्रकाश, आर्द्रता और गैसों का कृत्रिम नियंत्रण खाद्य पदार्थों और दवाओं के उत्पादन को हाउस के अंदर संभव बनाता है.
वर्टिकल फार्मिंग कैसे काम करती है (How vertical farming works)
इसे समझने में चार महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं:
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भौतिक लेआउट (Physical layout)
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प्रकाश व्यवस्था (Lighting arrangement)
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बढ़ते माध्यम (Growing medium)
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स्थिरता की विशेषताएं (Features of stability)
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वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) का प्राथमिक लक्ष्य प्रति वर्ग मीटर अधिक खाद्य पदार्थों का उत्पादन करना है. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए, एक टावर में ढेर सारी परतों में फसलों की खेती की जाती है.
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इनहॉउस में प्रकाश के सही स्तर को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी के सही संयोजन का उपयोग किया जाता है. रोटेटिंग बेड जैसी तकनीकों का उपयोग प्रकाश दक्षता में सुधार के लिए किया जाता है.
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मिट्टी के बजाय, एरोपोनिक (Aeroponics), एक्वापोनिक (Aquaponics) या हाइड्रोपोनिक (Hydroponics) उगाने वाले माध्यमों का उपयोग किया जाता है. पीट काई या नारियल की भूसी और इसी तरह के गैर-मिट्टी के माध्यम वर्टिकल फार्मिंग में बहुत आम हैं.
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वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) पद्धति खेती की ऊर्जा लागत को ऑफसेट करने के लिए विभिन्न स्थिरता सुविधाओं का उपयोग करती है. खास बात यह है कि इस तरह की फार्मिंग में 95% कम पानी का उपयोग होता है.
वर्टिकल फार्मिंग के लाभ (Benefits of vertical farming)
कम पानी और जगह का होता है उपयोग (Uses less water and space)
वर्टिकल कृषि तकनीक से किसान 95 प्रतिशत कम पानी और 99 प्रतिशत कम भूमि का उपयोग कर सकते हैं. आप साल भर की रोलिंग या सतत फसल के माध्यम से पारंपरिक खेतों की फसल की पैदावार 240 गुना पैदा कर सकते हैं. यह अनुमान है कि 2050 तक दुनिया की लगभग 80 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में रहेगी. जिससे इन क्षेत्रों में भोजन की अधिक मांग बढ़ेगी और वर्टिकल फार्मिंग इस बढ़ी हुई मांग को पूरा करने का एक तरीका प्रदान करती है.
पूरे साल बढ़ा उत्पादन (Production increased throughout the year)
वर्टिकल फार्मिंग में साल भर लगातार उत्पादन में वृद्धि प्रदान करती है. अब वो दिन गए जब कुछ फल और सब्जियां केवल मौसमी उपलब्ध थीं. इसके बजाय, वर्टिकल फ़ार्म मौसम या जलवायु पर बहुत कम निर्भरता के साथ साल भर सभी प्रकार की फ़सलें पैदा करने में सक्षम है.
पर्यावरणीय प्रभावों को समाप्त करता है (Eliminate environmental impacts)
इंडोर वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) पारंपरिक खेती से जुड़े व्यावसायिक खतरों को भी काफी कम कर सकती है. इनडोर खेती वन्यजीवों तक पहुंच की अनुमति नहीं देती है, जिससे किसानों और देशी प्रजातियों के बीच संघर्ष समाप्त हो जाता है. यह किसानों को खतरों और बीमारियों जैसे मलेरिया, जहरीले रसायनों, और अन्य चुनौतियों के लिए उजागर नहीं करता है.
वर्टीकल फार्मिंग की चुनौतियां (Challenges of vertical farming)
हालांकि, हर चीज की तरह वर्टीकल फार्मिंग (Vertical Farming) की भी अपनी कमियां हैं. वर्टिकल कृषि प्रणाली की स्थापना के लिए शुरू में अधिक लागत एक बहुत बड़ी समस्या है. इसके अलावा कम्प्यूटरीकृत और निगरानी प्रणाली, रिमोट कंट्रोल सिस्टम और सॉफ्टवेयर, स्वचालित रैकिंग और स्टैकिंग सिस्टम, प्रोग्राम करने योग्य एलईडी लाइटिंग सिस्टम, जलवायु नियंत्रण प्रणाली इत्यादि जैसे स्वचालन के साथ पुरे सिस्टम को खड़ा करने की लागत भी अच्छी खासी लगती है.
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