चिचिंडा जिसे लोग स्नेक गॉर्ड के नाम से भी जानते हैं. यह सर्प के आकार की एक सब्ज़ी होती है. हरे रंग की इस सब्ज़ी का वैज्ञानिक नाम ट्राइकोसैंथेस कुकुमेरिना (Trichosanthes Cucumerina) है. इसके त्वचा पर सफ़ेद-भूरे रंग की पट्टी होती है. यह कद्दू वर्गीय सब्ज़ी है. अगर आप भी अपने घर के गमले में इसे उगाना चाहते हैं तो इस ख़बर को पूरा पढ़ें...
चिचिंडा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
जनवरी व जुलाई का समय इसे उगाने के लिए सबसे बढ़िया है. इसके लिए बीजो को ½ इंच गहरा लगाना चाहिए, इससे पौधे का विकास अच्छी तरह से होता है. ध्यान रखें कि बुआई से पहले इनके बीजों को कुछ समय के लिए पानी में भिगोकर रख दें. ऐसा करने से बीज बहुत तेज़ी से अंकुरित होते हैं. बात मिट्टी की करें तो एकदम सूखी और गर्म मिट्टी जो रेतीली दोमट मिट्टी हो, सबसे उपयुक्त है. मिट्टी का पीएच मान 5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. इससे ज़्यादा होने पर पौधा प्रभावित हो सकता है. चिचिंडा के दौ पौधों के बीच क़रीब 4 फ़ीट और दो पक्तियों के बीच लगभग 6 फ़ीट की दूरी रखनी चाहिए. ऐसा करने से पौधे आपस में उलझेंगे नहीं और सही से अपने वास्तविक रूप में आ सकेंगे. बुवाई के 40 से 50 दिन बाद आप सब्ज़ी की तुड़ाई कर सकते हैं.
ऐसे लगाएं चिचिंडा की फसल
अपने गार्डेन के गमले या कंटेनर को लेकर उसे ¾ हिस्से तक मिट्टी से भर दें. उसके बाद अंकुरित बीज को मिट्टी में लगा दें. समय-समय पर पानी देते रहे जिससे पौधा सूखने न पाए. उसी कंटेनर का इस्तेमाल करें जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो नहीं तो पानी के जमाव से कीट और बीमारियां लगने का ख़तरा बढ़ जाएगा. पानी ज़्यादा होने से पौधा सड़ भी सकता है.
चिचिंडा की फसल के लिए तापमान
स्नेक गॉर्ड के प्राकृतिक विकास के लिए ज़रूरी है कि तापमान 22 डिग्री सेल्सियस से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच हो. इस सब्ज़ी की ख़ास बात ये है कि ये उष्णकटिबंधीय और शीतोष्णकटिबंधीय दोनों तरह की जलवायु में सही प्रकार से विकास कर सकती है. पौधे को बहुत ज़्यादा ठंड और पाला से बचाना चाहिए.
चिचिंडा की फसल के लिए प्राकृतिक उर्वरक
इस पौधे के लिए आप कई तरह के उर्वरकों का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन कुछ प्राकृतिक उर्वरकों के नाम हम यहां दे रहे हैं-
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नीम का खाद, वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद
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कब्ज़, चर्म रोग, टीबी रोग, सांस की समस्या, हार्ट के लिए चिचिंडा की सब्ज़ी बेहद फ़ायदेमंद है. आपके पास भी अगर पर्याप्त जगह है तो इस सब्ज़ी को उगाकर इसके पोषक गुणों का लाभ उठा सकते हैं.
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