बांस की खेती के सहारे किसान भाई अच्छा लाभ कमा सकते हैं. इसकी खेती को बढ़ावा देने हेतु केंद्र सरकार भी कई तरह की पहल कर रही है. ऐसे में आइये जानते हैं, इस लेख में बांस के उत्पादन की प्रक्रिया क्या है और इसके उत्पादन से आप कितना लाभ कमा सकते हैं?
भारत में बांस का वार्षिक उत्पादन लगभग 3.2 मैट्रिक टन हैं और प्रति हेक्टेयर, औसत लगभग 0.33 टन है. बैम्बूसा टूल्डा, बाल्कोवा, डेंड्रोकैलेमस से 2.8 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है. कछारी भूमि में डेन्ड्रोकेलेमस स्ट्रिक्टस को पौध शालाओं से प्रतिरोपित करने पर, शीयम और यूकेलिप्टस प्रजातियों की तुलना में, उच्चतम वार्षिक आय प्राप्त की जा सकती है. शुद्ध बांस रोपणों में गहन संवर्धनिक क्रियाएं करने और उर्वरक देने पर उत्पादन में भारी वृद्धि होती है.
बांस उत्पादन एवं लाभ
सघन बांस रोपण (6 x 5 मीटर) करने पर एक हेक्टेयर भूमि में लगभग 330 पौधों को लगाया जा सकता है. रोपण पर प्रथम वर्ष में लगभग 8000/- रूपये तथा बाद में 800/- रूपये प्रति वर्ष निराई-गुड़ाई आदि पर व्यय होते हैं.
विस्तृत विश्लेषण निम्न है:-
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प्रजाति – डेन्ड्रोकेलेमस स्ट्रिक्टस
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बीजभार – 32,000 प्रति किलोग्राम
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पूरी – 6 x 5 मीटर की पूरी अर्थात प्रति हेक्टेयर 30 पौधे
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खेत की माप – 1 हेक्टेयर
रोपण पर प्रथम वर्ष में लागत :
क्रमांक |
कार्य |
रू./हेक्टेयर |
1 |
स्थल की तैयारी एवं बाड़ /पेरा |
2400.00 |
2 |
गड्ढ़े खोदने की लागत 60 x 60 x 60 सें.मी. 300 गड्ढ़े |
1650.00 |
3 |
पौधशाला पर पौध उगाने सहित लागत 330 पौधे |
1650.00 |
4 |
पौधा रोपण एवं गड्ढ़े का परिधिकरण |
330.00 |
5 |
सुरक्षा |
1500.00 |
6 |
सिंचाई अक्टूबर से मई |
1500.00 |
7 |
उर्वरक, जीव एवं फफंदू नाशक दवाई |
165.00 |
|
कुल |
9195.00 |
बांस की एक कोठी तीसरे वर्ष में औसतन 5-9 कल्लों का उत्पादन प्रतिवर्ष प्रारंभ कर देती है. यदि एक हेक्टेयर रोपण क्षेत्र में जीवित बांस कोठियों की संख्या 90 प्रतिशत तथा प्रति कोठी औसत उत्पादन 7-8 कल्ले प्रतिवर्ष हो तो एक वर्ष में कुल लगभग 2080 कल्ले उत्पादित होंगे.
बांस के महत्त्वपूर्ण उपयोग
बांस नालों की शक्ति, उनकी सीधाई और हल्केपन के साथ-साथ कठोरता, आकार की सीमा, खोखलापन, लम्बे तन्तु और आसानी से काम में आने के गुणों के अनुसार बांस को विभिन्न उपयोगों में लाया जाता है. अचार, सकती, और कढ़ी में काम आने वाले कोमल अंकुर हो या दंत कुरेदनियों से लेकर तथाकथित बांस– घरों के उपयोग में आने वाले बांस हो, बांस की बहुमुखी उपयोगिता सर्वसिद्ध है. बांस के एक से लेकर हजारों उपयोग बहुत पहले से ज्ञात एवं प्रचलित है.
कुछ परम्परागत प्रमुख उपयोग इस प्रकार है- मकान निर्माण, कृषि उपकरण, टोकरे, टोकरियाँ, चटाईयाँ, धनुष,पूल, झाड़ू, ब्रश, टोपी, झोपड़ी, फ़र्नीचर, ताबूत, कंधा, पंखे, ध्वजदण्ड, बांसुरी, टोप, हस्तकला, हुक्के की नली, पतंग, सीढ़ीयां,अगरबत्ती, माचिस की तीलियां, संगीत उपकरण, कलम, खेल-कूद का सामान, दीवारें एवं चार दीवारी की मरम्मत आदि. संक्षेप में मानव जीवन में बांस की उपयोगिता जन्म से लेकर मृत्यु तक है.
बांस का उत्पादन एवं खर्च
बांस के 22 वर्षीय जीवन चक्र के लिए आरंभिक लागत (9195.00 रूपये) के अतिरिक्त निराई-गुड़ाई आदि पर (8000/- रूपये प्रति वर्ष) 12,800/- रूपये खर्च होंगे. यदि इतना ही धन ब्याज के रूप में देय मानकर कुल ब्याज में सम्मिलित कर लिया जाए, तो 22 वर्षों में कुल खर्च (9195 + 12800) x2 = 4,39,900/- रूपये होगी. जिसमें से (4,39,900 – 43,990) 3,95,910/- रूपये शुद्ध लाभ होगा. अत: बांस की कटाई शुरु होने पर एक हेक्टेयर बांस रोपण से लगभग 20,000/- रूपये की प्रतिवर्ष शुद्ध बचत होगी. बांस सघन रोपण के बीच उगायी जाने वाली अन्य फसलों से होने वाली आय को उपरोक्त लाभ में सम्मिलित नहीं किया गया है.
बांस बिक्री:
बांस की बिक्री स्थानीय हाट- बाजार या गाँव में ही की जा सकती है. गाँव अथवा घर में बिक्री करने से पूर्व किसानों के लिए बाजार में बांस भाव ज्ञात कर लेना हितकारी होता है. यदि किसानों के पास लगभग 5 टन से अधिक बांस विक्रय हेतु उपलब्ध हो तो, वह स्थानीय कागज मील/कारखानों से क्रय हेतु सम्पर्क कर सकते हैं.
लेखक- डॉ. योगेश सुमठाणे,
सहायक प्रोफेसर, सह वैज्ञानिक,
वन उत्पाद एवं उपयोगिता विभाग बांदा
कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा, उत्तर प्रदेश
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