तेज़ी से बढ़ते हमारे ग्रह के लिए खाद्य सुरक्षा एक प्रमुख चिंता है. संसाधन कम होते जा रहे हैं और जनसंख्या बढ़ती जा रही है इसलिए बेहतर कृषि और सुरक्षित खाद्य भंडारण के लिए स्मार्ट समाधान जरुरी हैं. नया और छोटा देश होने के बावजूद इज़रायल ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. 1950 के दशक से ही इजरायल ने अपनी रेगिस्तानी जमीन को ना सिर्फ अपनी जरूरतों की पूर्ति हेतु खेती के मुफीद बनाया है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय विकास में सहयोग के लिए दूसरे मुल्कों को भी व्यापक स्तर पर अपनी तकनीकें साझा की हैं.
कृषि क्षेत्र में हाल की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण प्रगति ड्रिप सिंचाई को ही माना जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। हालाँकि ड्रिप सिंचाई की अवधारणा इजरायल से पहले भी अस्तित्व में थी लेकिन इजरायली जल अभियंता(वॉटर इंजीनियर) 'सिम्का ब्लास' ने इस दिशा में क्रांतिकारी बदलाव किये। उन्होंने अपनी खोज में पाया कि धीमी और संतुलित ड्रिप, उल्लेखनीय वृद्धि में सहायक है. उन्होंने एक ऐसी टयूबिंग विकसित की जिससे पौधों के जरुरी और प्रभावी हिस्सों पर धीरे-धीरे पानी छोड़ा जाता है. 1 9 65 में किबूटज़ हैट्टेरिम ने अपने आविष्कार के आधार पर एक नया उद्योग, 'नेटफिम' बनाया।
इजरायली ड्रिप और सूक्ष्म सिंचाई तकनीक ने दुनिया भर में तेज़ी से अपनी जगह बनाई है. यहाँ के नये ड्रिप मॉडल स्वयं सफाई(सेल्फ क्लीनिंग) में सक्षम और गुणवत्ता और दबाव के बावजूद पानी के प्रवाह की दर एकसमान बनाए रखते हैं.
यह तकनीक विदेशों में खाद्य आपूर्ति को किस तरह प्रभावित कर रही है इसका एक ताजा उदाहरण 'टिपा' है. यह इजरायल द्वारा विकसित एक खास किट है. जिससे सेनेगल में 700 किसान परिवारों को ऊसर जमीन होने के बावजूद सालाना तीन फसल प्राप्त करने की सहूलियत हुई है. एक वक़्त था जब ये लोग पानी की कमी के चलते साल में बमुश्किल एक ही फसल ले पाते थे.
दरअसल, 'टीपा' गुरुत्वाकर्षण के इस्तेमाल पर आधारित एक साधारण ड्रिप सिंचाई प्रणाली है. यह ऐसे इलाकों में काम करती है जहाँ पानी की आपूर्ति कम या बिल्कुल नहीं होती. केन्या, दक्षिण अफ्रीका, बेनिन और नाईजीरिया जैसे देशों में बड़े पैमाने इस प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है.
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