यदि आप बेरोजगार है और आपके पास कोई पूंजी नहीं है तो आपको परेशान होने की कोई भी जरूरत नहीं है। आमदनी को बढ़ाने में मशरूम की खेती बेहद ही मददगार साबित हो सकती है। सबसे खास बात यह है कि काफी कम लागत लगाकर इसे शुरू भी किया जा सकता है। दूसरी सबसे खास बात यह है कि इसकी खेती के लिए ज्यादा जमीन की भी जरूरत नहीं है। दरअसल यूपी के बहराइच जिले में युवा रोजगार के तलाश के लिए काफी भटक रहे है इसीलिए उनके पास कोई जरिया नहीं है लेकिन मशरूम की खेती उनके लिए वरदान लेकर आई है। अक्टूबर माह के का दूसरा सप्ताह मशरूम की खेती के लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है।
बटन मशरूम के लिए अनुकूल है माटी
कृषि वैज्ञानिक डॉ. रोहित पांडेय बताते हैं कि वैसे तो मशरूम की ओएस्टर, बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम, रॉयल मशरूम की प्रजाति पाई जाती है। जिले के वातावरण के लिए बटन मशरूम की खेती अनुकूल है।
यह है मशरूम खेती की प्रक्रिया
मशरूम की खेती करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक कंपोस्ट को पॉलिथिन में भरकर एक परत बन जाने के बाद उसमें मशरूम का स्पान रखना है। इस कार्य के लिए फूस की झोपड़ी भी काफी ज्यादा अनुकूल है। इसी झोपड़ी में पॉलिथिन को भी रखना है।
सेहत का भी है खजाना
मशरूम की खेती कर सब्जी की खरीद पर आने वाला खर्च को कम किया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. शेर सिंह कहते हैं कि इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, खनिज लवण व अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। वैसे तो यह हर मौसम में उपलब्ध रहता है लेकिन जाड़े में इसका सेवन करने से रोग प्रतिरोधी क्षमता का भी विकास होता है। बच्चों में कुपोषण दूर करने का भी अच्छा माध्यम है।
लगेगी बहुत कम पूंजी लागत
मशरूम की खेती करने के लिए झोपड़ी का साइज 10 गुणा 10 व ऊंचाई 12 फुट रखने में स्पान, कंपोस्ट समेत अन्य खर्च मिलाकर सात से आठ हजार रुपये की लागत आ सकती है। वैज्ञानिक बताते हैं कि बोआई के 15 से 20 दिन बाद फसल तैयार हो जाएगी। इसके बाद इसकी केवल देखभाल भी करनी होती है। जैसे ही फरवरी का मौसम आ जाता है एक प्लांट से 40 से 50 हजार रूपये महीने आसानी से कमा सकते है। मशरूम की खेती करने के लिए कुल 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। किसान चाहे तो अपने घरों में भी आसानी से इसकी खेती को कर सकते है। ठंड के मौसम में मांग को देखते हुए इसकी बिक्री के लिए ज्यादा भटकना भी नहीं पड़ेगा।
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