किसान सीजन के अनुसार अपने खेत में फल और सब्जियों की खेती/Cultivation of Vegetables करते हैं, ताकि वह समय पर अच्छी उपज पाकर लाभ प्राप्त कर सके. बाजार में हमेशा पत्तेदार सब्जियों की मांग काफी अधिक होती है, ऐसे में अगर किसान अपने खेत में पत्तेदार सब्जियों की खेती/Cultivation of Leafy Vegetables करते है, तो वह अपनी आय को सरलता से बढ़ा सकते हैं. लेकिन किसानों को पत्तेदार सब्जियों से अच्छी पैदावार पाने के लिए उनमें लगने वाले रोग व कीट से समय रहते बचाव कर लेना चाहिए.
ऐसे में आइए जानते हैं कि पत्तेदार सब्जियों में लगने वाले कीट व रोग के लक्षण और उनका प्रबंधन/ Pests in leafy Vegetables and their Management कैसे किया जाए.
पत्तेदार सब्जियों में लगने वाले कीट और प्रबंधन
कद्दू लाल भृंग: यह कीट नारंगी पीठ एवं काला उदर का होता है, इसके शिशु पौधे के जड़ों को खाते हैं और वयस्क कीट पत्तियों, फूलों और नए पौधों को क्षति पहुंचाते हैं.
प्रबंधन: पत्तियों के ऊपर सुबह में राख का भुरकाव करें. व्यस्क कीट को संग्रह कर जला दें.
फल मक्खी: यह भूरे रंग का मक्खी, जिसका पिल्लू फलों के भीतरी भाग को खाता है.
प्रबंधन: लाईफ टाईम ट्रैप प्रति हेक्टेयर 8-10 की संख्या में व्यवहार करें. मिट्टी बर्तन में गुड़+ताड़ी+कीटनाशी की दो बूंद डालकर जगह-जगह लटका दें.
पाउडरी फफूंद रोग: यह पौधों को सुखाने वाला फफूंद जनित रोग है, जिसमें पत्तियों पर बहुत छोटे सफेद धब्बे बनते हैं, जो बाद में सफेद चूर्ण का रूप ले लेते हैं.
प्रबंधन: खेत को खरपतवार से मुक्त रखें. सल्फर 80 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.
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डाउनी फफूंद रोग: इस रोग में पत्तियों पर पीले धब्बे नजर आते हैं, जिसमें पत्तियों के नीचे सफेद फफूंद का जाल दिखाई देता है, जो पत्तियों को सुखाकर बढ़वार को रोक देता है.
प्रबंधन: खेत को खरपतवार एवं फसल अवशेष से मुक्त रखें. मैंकोजेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें.
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