Tomato Cultivation: टमाटर की खेती पूरे देश में सफलतापूर्वक की जा रही है. उत्तर प्रदेश एवं बिहार में जाड़ों का मौसम टमाटर के लिए बहुत ही अनुकूल है. जाड़ों में टमाटर की सबसे बड़ी समस्या पाला है. टमाटर की खेती हेतु आदर्श तापमान 20 से 28 डिग्री से.ग्रे. है. 20-25 डिग्री से.ग्रे तापक्रम पर टमाटर में लाल रंग का पिगमेंट/Red Pigment in Tomatoes सबसे अच्छा विकसित होता है,जिसकी वजह से से जाड़ों में टमाटर के फल मीठे और गहरे लाल रंग के होते हैं. तापमान 40 डिग्री से.ग्रे से अधिक होने पर अपरिपक्व फल एवं फूल गिर जाते हैं. उचित जल निकास वाली बलुई दोमट भूमि जिसमे पर्याप्त मात्रा मे जीवांश (ऑर्गेनिक मैटर/Organic Matter) उपलब्ध हो.
टमाटर की उन्नत किस्में/Advanced Varieties of Tomatoes
अगर हम टमाटर की उन्नत किस्मों/ Varieties of Tomatoes की बात करें तो इसमें कई किस्में आती है. जैसे - अर्का सौरभ, अर्का विकास, ए आर टी एच 3, ए आर टी एच 4, अविनाश 2, बी एस एस 90, को. 3, एच एस 101, एच एम 102, एच एस 110, सिलेक्शन 12, हिसार अनमोल (एच 24 ), हिसार अनमोल (एच 24 ) हिसार अरुण (सिलेक्शन 7 ), हिसार लालिमा (सिलेक्शन-7 ) हिसार लालिमा (सिलेक्शन 18 ), हिसार ललित (एन टी 8 ) कृष्णा, के एस 2, मतरी, एम.टी एच 6 ), एन ए 601, नवीन, पूसा 120, पंजाब छुहारा (ई सी 55055 X पंजाब ट्रोपिक), पंत बहार, पूसा दिव्या, पूसा गौरव, पूसा संकर 1, पूसा संकर 2, पूसा संकर 4, पूसा रुबी, पूसा शीतल, पूसा उपहार, रजनी, रश्मी, रत्न, रोमा और रुपाली आदि.
बीज की मात्रा और बुवाई
एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल उगाने के लिए नर्सरी तैयार करने हेतु लगभग 300 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है. संकर किस्मों के लिए बीज की मात्रा 150-200 ग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहती है. जाड़ों में टमाटर की खेती/ Tamatar ki kheti के लिए आवश्यक है की नर्सरी सितंबर अक्टूबर में उगाई जाय. बुवाई पूर्व थाइरम/मेटालाक्सिल+ मैन्कोजेब मिश्रित फफूंदनाशक से बीजोपचार अवश्य करें ताकि अंकुर पूर्व फफूंद का आक्रमण रोका जा सके.
नर्सरी मे बुवाई हेतु 1X 3 मी. की ऊठी हुई क्यारियां बनाकर फॉर्मल्डिहाइड द्वारा स्टरलाइजेशन कर लें अथवा कार्बोफ्यूरान 30 ग्राम प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मिलाएं. बीजों को बीज कार्बेन्डाजिम/ट्राइकोडर्मा प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित कर 5 से.मी. की दूरी रखते हुये कतारों में बीजों की बुवाई करें. बीज बोने के बाद गोबर की खूब अच्छी तरह से सड़ी खाद या बारीक मिट्टी से ढक दें एवं फौबारे से पानी का छिड़काव करें. बीज उगने के बाद डायथेन एम-45/मेटालाक्सिल+ मैन्कोजेब मिश्रित फफूंदनाशक से छिड़काव 8-10 दिन के अंतराल पर करना चाहिए, 25 से 30 दिन का सीडलिंग खेतों में रोपाई से पूर्व कार्बेन्डाजिम @1.5 ग्राम/लीटर या ट्राइकोडर्मा @10ग्राम /लीटर पानी के घोल में पौधों की जड़ों को 20-25 मिनट तक डुबाकर उपचारित करने के बाद ही पौधों की रोपाई करें. पौध को खेत में 75 से.मी. की कतार की दूरी रखते हुए 60 से.मी के फासले पर पौधों की रोपाई करें.
मेड़ों पर चारों तरफ यदि संभव हो तो गेंदा की रोपाई करें,जिससे टमाटर में लगने वाले कीड़ों की उग्रता में भारी कमी आती है. टमाटर की खेती के लिए 20 से 25 टन खूब सड़ी गोबर की खाद एवं 150 किलो नत्रजन,75 किलो फास्फोरस एवं 75किलो पोटाश तथा यदि वहां की मिट्टी में बोरोन की कमी हो तो बोरेक्स 0.3 प्रतिशत का छिड़काव करने से फल अधिक लगते हैं. जाड़ों में 10-15 दिन के अन्तराल पर हल्की सिंचाई करें. अगर संभव हो सके तो सिंचाई ड्रिप इर्रीगेशन द्वारा करनी चाहिए.
टमाटर में फूल आने के समय पौधों में मिट्टी चढ़ाना एवं सहारा देना आवश्यक होता है. टमाटर की लम्बी बढ़ाने वाली किस्मों को विशेष रूप से सहारा देने की आवश्यकता होती है. पौधों को सहारा देने से फल मिट्टी एवं पानी के सम्पर्क मे नही आ पाते जिससे फल सड़ने की समस्या नहीं होती है. सहारा देने के लिए रोपाई के 30 से 45 दिन के बाद बांस या लकड़ी के डंडों में विभिन्न ऊंचाइयों पर छेद करके तार बांधकर फिर पौधों को तारों से सुतली बांधते हैं. इस प्रक्रिया को स्टेकिंग कहा जाता है. आवश्यकतानुसार फसलों की निराई-गुड़ाई करें. फूल और फल बनने की अवस्था मे निराई-गुड़ाई नहीं करनी चाहिए.
जब फलों का रंग हल्का लाल होना शुरू हो उस अवस्था मे फलों की तुड़ाई करें तथा फलों की ग्रेडिंग कर कीट व व्याधि ग्रस्त फलों दागी फलों छोटे आकार के फलों को छाँटकर अलग करें. ग्रेडिंग किये फलों को प्लास्टिक के कैरेट में भरकर अपने निकटतम सब्जी मंडी या जिस मंडी मे भेजते है. टमाटर की औसत उपज 400-500 क्विंटल/है. होती है तथा संकर टमाटर की उपज 700-800 क्विंटल/है. तक हो सकती है.
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