गन्ना एक मुख्य नकदी फसल है जो कि चीनी का मुख्य स्रोत है. विश्व स्तर पर गन्ने की खेती 20.10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है, जिसका उत्पादन लगभग 1,318 मिलियन टन के आस पास है और उत्पादकता 65.5 टन प्रति हेक्टेयर है.
भारत, दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है तथा गन्ने की उपज में इसे दूसरा स्थान प्राप्त है. भारत में गन्ने की फसल की अनुमानित उत्पादकता 77.6 टन प्रति हेक्टेयर है तथा उत्पादन लगभग 306 मिलियन टन है, जो ब्राजील (758 मिलियन टन) से कम है, लेकिन अन्य देशों की तुलना में अधिक है. गन्ने की खेती बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है और विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. गन्ने की खेती के लिए यदि नीचे लिखी गई उन्नत कृषि क्रियाओं को अपनाया जाए तो गन्ने की उपज काफी बढ़ाई जा सकती है.
बिजाई का समय:
बसन्तकालीन बिजाई मध्य फरवरी से मार्च के अन्त तक की जा सकती है तथा शरदकालीन बिजाई सितम्बर के दूसरे पक्ष से अक्टूबर के पहले पक्ष तक.
बीज की मात्रा:
लगभग 35-45 क्विंटल बीज गन्ना प्रति एकड़ की बिजाई के लिए इस्तेमाल करें.
बीज का उपचार:
बिजाई से पहले गन्ने के बीज पोरियों को कार्बेन्डाजिम के घोल में पाँच मिनट तक डुबोकर उपचार करें (100 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 100 लीटर पानी में घोलकर 35 क्विंटल बीज गन्ना). बीज गन्ना (नर्सरी) वाले खेत की बिजाई से पहले नम गर्म शोधन मशीन में 54 डिग्री सेल्सियस तापमान पर एक घंटे के लिए उपचार करें.
खेत की तैयारी:
खेत तैयार इस प्रकार की जाये कि मिट्टी भुरभुरी हो जाये और खेते में ढेले बिल्कुल न रहें. बिजाई के लिए 2-2.5 फुट पर खूड़ बनाएं. यदि गन्ना फसल के साथ अन्त: फसले लेनी हो तो बिजाई 3 फुट पर करें. ज़मीन के नीचे सख्त सतह को तोड़ने के लिए, बिजाई से पहले 1.5x1.5 मीटर की दूरी पर चिज़लर को 1.5 फुट गहराई पर चलाने से गन्ने की अच्छी पैदावार ली जा सकती है.
खाद कितनी, कब और कैसे:
मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का प्रयोग करने से कम लागत में अधिक पैदावार ली जा सकती है.
नौलफ (बंसतकालीन):
नौलफ गन्ना फसल के लिए सामान्य तौर 60 किलोग्राम नत्रजन (यूरिया 135 किलो), 20 किलो फास्फोरस (125 किलो सुपर फास्फेट) तथा 20 किलो पोटाश (35 किलो मुरेट आफ पोटाश) प्रति एकड़ की सिफारिश है. बंसतकालीन फसल में पूरा फास्फोरस, पूरा पोटाश व 1/3 नत्रजन बिजाई के समय खूड़ों में, 1/3 नत्रजन दूसरी तथा 1/3 नत्रजन चौथी सिंचाई के साथ डालें.
निराई गुडाई:
बिजाई के 7-10 दिन बाद गुडाई करके सुहागा लगा दे. खरपतावार की स्थिति के अनुसार 2-3 बार गोडाई करनी चाहिए.
रासायनिक खरपतार नियंत्रण:
गन्ने के खेत में मोथा, दूब, संकरी एवं चौडी पत्ती वाले घास एवं बरू खरपतवार होते है. इनकी रोकथाम के लिए एट्राजीन 50 % (घुलनशील पाऊडर) 1.6 किलोग्राम मात्रा को प्रति एकड़ 250-300 लीटर पानी में घोलकर बिजाई के तुरन्त बाद छिड़काव करे. यदि बिजाई के समय एट्राजीन नहीं डाल पाते तब पहली सिंचाई के बाद गोड़ाई करके दूसरे पानी के दो दिन बाद एट्राजीन 50% ई.सी. 1.6 कि.ग्रा. प्रति एकड़ का खड़ी फसल में छिड़काव करें. इससे गन्ना फसल पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता. चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए 1 किलो 2-4 डी (80% सोडियम नमक) 250 लीटर पानी में बिजाई के 60 दिन बाद प्रति एकड़ स्प्रे करें.
सिंचाई:
गन्ने की अधिक पैदावार के लिए पहली सिंचाई बिजाई के 6 सप्ताह बाद करें. इसके अलावा मानसून से पहले हर 10-12 दिन के अंतराल पर और मानसून के बाद हर 20-25 दिन के अंतराल पर फसल में सिंचाई करें. आमतौर पर बसंतकालीन गन्ने की खेती में 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है. 4 सिंचाई बारिश से पहले व दो सिंचाई बारिश के बाद करनी चाहिए. तराई क्षेत्रों में बरसात के पहले 2-3 सिंचाई पर्याप्त होती है और बरसात में सिर्फ 1 सिंचाई पर्याप्त होती है.
मिट्टी चढ़ाना:
मई के महीने में हल्की मिट्टी तथा मानसून शुरू होने से पहले मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए. गन्ने को गिरने से बचाने के लिए दो बार गुड़ाई करके पौधों पर मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए. इस काम को अप्रैल-मई तक कर देना चाहिए, क्योंकि इससे मिट्टी में वायु संचार, नमी धारण करने की क्षमता, खरपतवार नियंत्रण और कल्ले विकास में प्रोत्साहन मिलता है.
बंधाई:
अगस्त एवं सितम्बर के महीने में गन्ने को गिरने से बचाने के लिए बंधाई करनी चाहिए.
हानिकारक कीड़ों की रोकथाम
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बुजाई के समय दीमक तथा फलसुआ की रोकथाम के लिए दो लीटर क्लोरपायरीफॉस को 350-400 लीटर पानी में घोलकर बिजाई के समय बीज टुकड़ों पर छिड़काव करें.
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जून माह के अन्तिम सप्ताह से जुलाई माह के पहले सप्ताह में पोटी बेधक के लिए कार्बोफ्यूरॉन 13 कि.ग्रा. प्रति एकड़ गूड़ों में डालकर सिंचाई करें या अप्रैल माह से मई माह के पहले सप्ताह में रेनेक्सीपीयर 20 एस.सी. 150 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से 350-400 लीटर पानी के साथ छिड़काव करके सिंचाई करें.
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अगस्त माह में अगर जड़ बेधक की समस्या दिखाई दे तो क्लोरपायरीफॉस 2 लीटर प्रति एकड़ 350-400 लीटर पानी में घोलकर सिंचाई के साथ दें.
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समेकित कीट नियंत्रण अपनायें.
बीमारियों का प्रबंधन
रोगरोधी किस्मों का चुनाव, रोग रहित स्वस्थ बीज का उपयोग तथा समेषित उपाय अपनाकर गले की फसल को बीमारियों से बचाया जा सकता है.
कीटों एवं बीमारियों की रोकथाम:
दीमक, कसुंआ व जड़ बेधक कीट
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2.5 लीटर क्लोरपाईरीफॉस अथवा 600 मि.ली. फिप्रोनिल 5% एस० सी० प्रति एकड़ 600-1000 ली. पानी में घोलकर फव्वारे से बीज व मिट्टी का उपचार करें
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150 मि.ली. इमीडाक्लोपरिड (कोन्फीडर / इमीडागोल्ड) 200 एस.एल. को 250-300 ली. पानी में स्प्रे
बेधक कीट
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प्रति एकड़ 150 मिलीलीटर कोरोजन 20% ई.सी. को 400 लीटर पानी में मिलाकर
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10-12 दिन के अंतराल पर 20,000 ट्राईकोग्रामा द्वारा परजीवीकृत अण्डे. प्रति एकड़ के हिसाब से खेतों में छोड़े.
सफेद मक्खी
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800 मि.ली. मेटासिस्टॉक्स 25% ई.सी. या 600 मि.ली. डाईमेथोएट 30% ई.सी. को 400 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.
लाल सड़न
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रोगग्रस्त झुण्डों को निकाल दें.
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खेत में पानी इकट्ठा न होने दें.
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फसल को जल्दी काटकर पिड़ाई कर दें और उन खेतों में पेड़ी न लें.
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रोग रोधी किस्म लगाएं.
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वर्षा के मौसम में बीमारियों का प्रसार तेजी से होता है इसलिए रोग ग्रस्त फसल के खेतों की मेड़ बन्दी करें.
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गन्ने की कोएस-8346 किस्म को बार बार एक जगह पर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इस किस्म में रोग अधिक लगता है.
कंडुआ (स्मट)
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रोग रहित खेत से बीज लें.
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रोगी पौधों को निकाल कर नष्ट करें.
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नम उष्म विधि से उपचारित बोज से पैदा हुई नर्सरियों से ही बोने के लिए बीज लें.
उकठा रोग
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उकठा रोग से बचने के लिए बिजाई के समय स्वस्थ पोरिया ही बीजे.
रोगी खेत में कम से कम तीन साल तक फसल चक्र अपनाये.
घसैला रोग
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बीज गन्ने को 54 डिग्री सैन्टीगेग्रड पर नर्म गर्म शोधन मशीन में 2 घंटे तक रखने के बाद बिजाई करें. खेत में पाये जाने वाले ग्रसित पौधों को नष्ट कर दें. रोगग्रस्त फसल से पेड़ी ना लें. तीन-टायर बीज नर्सरी कार्यक्रम अपनाएं.
अतः किसान भाइयों से यह अनुरोध किया जाता है कि वे कृषि विश्वविध्यालय द्वारा फसलों की समग्र सिफारिरशें के हिसाब से अपनी फसल का उत्पादन करें.
लेखक:
डॉ सुरेंद्र कुमार
कृषि विकास अधिकारी
कृषि और किसान कल्याण विभाग
(पूर्व में कृषि विभाग),हरियाणा सरकार
संपर्क करें, नंबर 9466486507,8708677324
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