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उड़द की बुवाई के लिए अनुकूल मौसम और उन्नत खेती का तरीका, यहां जानें

हमारे देश में उड़द दाल की खेती कई राज्यों में की जाती है. ये ही नहीं इसकी खेती को विश्व में भारत सबसे अधिक होती है. अगर आप भी इसकी खेती करना चाहते हैं, तो यह समय खेती के लिए अनुकूल है, तो आइए इसकी खेती से जु़ड़ी और अधिक जानकारी देते हैं.

लोकेश निरवाल
खेती
उड़द खेती का उन्नत तरीका

उड़द के उत्पादन में भारत सबसे अग्रणी देश है. मुख्य रूप से उड़द की खेती खरीफ के सीजन में की जाती है. बाजार में इसकी मांग सबसे अधिक होती है, क्योंकि उड़द की दाल में लगभग 23 से 27 प्रतिशत तक का प्रोटीन पाया जाता है. यहीं नहीं उड़द की फसल को किसान अपने खेत में खाद के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं.

तो आइए आज इस लेख में उड़द की खेती के बारे में जानते है.

उपयुक्त जलवायु (suitable climate)

उड़द की खेती के लिए गर्मी के मौसम को उत्तम माना जाता है. इसकी फसल की अच्छी वृद्धि के लिए 25 से 35 डिग्री तापमान उत्तम होता है और साथ ही इसकी खेती के लिए थोड़ी अधिक पानी की जरूरत होती है, इसलिए इसे लगभग 700 से 900 मिमी वर्षा वाले क्षेत्रों में उड़द की खेती की जाती है. लेकिन ध्यान रहे की जल अधिक नहीं होना चाहिए.

यह भी पढ़ेः वैज्ञानिकों द्वारा गुखौर में उड़द प्रदर्शन फसलों पर तकनीकी सलाह

देखा जाए, तो उड़द की खेती के लिए बुवाई का उपयुक्त समय मानसून के आगमन पर हो जाता है यानी की जून के अंतिम दिनों में इसकी बुवाई की जानी चाहिए. बुवाई करते समय पौधों की दूरी कम से कम 10 सेमी और बीज को भी लगभग 4 से 6 सेमी गहराई पर बोया जाना चाहिए. उधर, वहीं ग्रीष्मकाल में इसकी बुवाई फरवरी के अंतिम दिनों या फिर अप्रैल की शुरुआत में की जाती है.

 उड़द खेती का उन्नत तरीका (improved method of urad cultivation)

  • उड़द की खेती की सिंचाई की अधिक आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन खेती के दौरान इसकी फसलों में 3से 4 बार जरूर सिंचाई करें. फसल की पहली सिंचाई पलेवा के रूप में और बाकी 20 दिनों के अंतराल पर करनी चाहिए.
  • फसल की अच्छी वृद्धि के लिए समय-समय पर निराई गुड़ाई, कुल्पा व डोरा आदि करते रहना चाहिए.
  • फसल में नींदानाशक वासलिन का भी छिड़काव करना बेहद जरूरी होता है, लेकिन खेत में इसकी मात्रा का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. 800मिली से 1000 मिली प्रति एकड़ 250 लीटर पानी में घोल कर इसका छिड़काव करें.
  • इसकी फसल में खरपतवार की सबसे अधिक खतरा बना रहता है. इसके बचाव के लिए आपको खेत में वासलिन-1किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 1000 लीटर पानी के से खेत में बुवाई से पहले इसका छिड़काव करें और फिर बुवाई के बाद फसल में पेन्डीमिथालीन 25 किग्रा 1000 लीटर पानी की मात्रा में घोलकर इसका छिड़काव करें.  
  • अंत में फसल पर लगभग 15दिनों तक बेहद ध्यान दें.
English Summary: Favorable weather and advanced farming method for sowing of urad Published on: 24 February 2022, 05:01 PM IST

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