कृषि एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो दुनिया भर के लोगों को भोजन समेत कई अन्य उत्पाद प्रदान करता है. हालांकि, खेती एक चुनौतीपूर्ण और अप्रत्याशित व्यवसाय है, और किसान इसे आमदनी का अच्छा सोर्स बनाने के लिए अनवरत प्रयासरत रहते हैं और कुछ न कुछ ईजाद करते रहे हैं. वही कुछ किसान इसमें सफल भी हुए हैं. उन्हीं किसानों में से एक छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के रहने वाले डॉ राजाराम त्रिपाठी हैं जिन्होंने खेती का एक ऐसा मॉडल विकसित किया है जिसकी मदद से किसान महज कुछ सालों में आसानी से करोड़पति बन सकते हैं.
दरअसल, प्रगतिशील किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी ने नेचुरल ग्रीन हाउस का एक अद्भुत मॉडल तैयार किया है जिसका पेटेंट भी उन्होंने हासिल कर लिया है. राजाराम त्रिपाठी द्वारा विकसित नेचुरल ग्रीन हाउस मॉडल से किसान प्रति एकड़ 8-10 सालों में कई करोड़ रुपये कमा सकते हैं. ऐसे में आइए प्रगतिशील किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी द्वारा विस्तार से जानते हैं आखिर क्या है नेचुरल ग्रीन हाउस मॉडल? नेचुरल ग्रीन हाउस मॉडल किसानों के लिए फायदेमंद क्यों है? और नेचुरल ग्रीन हाउस में खेती करके किसान करोड़पति कैसे बन सकते हैं?
नेचुरल ग्रीन हाउस मॉडल क्या है?
कृषि जागरण से बातचीत में डॉ राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत ऐसे किसान हैं जिनके पास जमीन का रकबा चार एकड़ से कम है. ऐसे में ये किसान कम से कम जमीन में ज्यादा से ज्यादा उत्पादन कैसे लें? इसको ध्यान में रखते हुए मैंने पर्यावरण से जोड़ते हुए पेड़ लगाकर एक नेचुरल ग्रीन हाउस का एक ऐसा मॉडल तैयार किया है जिसमें पाली हाउस से किसानों को जो लाभ मिलता है वह सभी लाभ मिलने के साथ ही अतिरिक्त कई और लाभ भी मिलते हैं.
दरअसल, नेचुरल ग्रीन हाउस का यह मॉडल पेड़ों की छाया से फसलों को सुरक्षा प्रदान करता है, धूप से बचाता है और बीमारी से भी बचाता है. वही नेचुरल ग्रीन हाउस विशेष टेक्नोलॉजी में तैयार होता है. इसको तैयार करने के लिए आस्ट्रेलियन टीक का पौधा लगाया जाता है जो कि बाबुल के पेड़ से तैयार हुआ है जिसकी खेती रेगिस्तान में भी आसानी से की जा सकती है, और जहां पर जल की समुचित व्यवस्था है वहां पर भी आसानी से की जा सकती है. वही इस विशिष्ट टेक्नोलॉजी को नेशनल पेटेंट के लिए हमने अप्लाई किया था और आपको मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि वह स्वीकार कर लिया गया है.
नेचुरल ग्रीन हाउस के फायदे
प्रगतिशील किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी ने आगे बताया कि नेचुरल ग्रीन हाउस तैयार करने के लिए आस्ट्रेलियन टीक का पौधा लगाया जाता है जोकि नाइट्रोजन फिक्सेशन करता है. यह अपने 5 मीटर एरिया में नाइट्रोजन देता है. वही नेचुरल ग्रीन हाउस मॉडल में जो पेड़ लगाए जाते हैं वह लगभग 10 प्रतिशत एरिया कवर करते हैं बाकी जो एरिया होता है उसमें इंटरक्रॉपिंग आसानी से की जा सकती है. ऐसे में इसमें इंटरक्रॉपिंग (यह एक बहुफसलीय प्रथा है जिसमें एक ही खेत में एक साथ दो या दो से अधिक फसलों की खेती होती है) करने पर फसलों को अलग से नाइट्रोजन नहीं देना पड़ता है. इसके अलावा, नेचुरल ग्रीन हाउस पर्यावरण को भी सुधारता है, क्योंकि वह पेड़ों से बना होता है.
पाली हाउस से बेहतर है नेचुरल ग्रीन हाउस
प्रगतिशील किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी ने आगे बताया कि आमतौर पर एक एकड़ जमीन में पाली हाउस लगाने के लिए लगभग 40 लाख रुपये की जरूरत पड़ती है जिसमें नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड 20 लाख रुपये अनुदान देता है. फिर भी एक एकड़ में पाली हाउस लगाने के लिए किसानों को 20 लाख रुपये की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा पाली हाउस प्लास्टिक और लोहे का बने होने की वजह से 7 से 8 साल में खराब होने लगता है लेकिन जो नेचुरल ग्रीन हाउस में आस्ट्रेलियन टीक का पौधा लगता है वह 8 से 10 सालों में लगभग तीन से चार करोड़ रुपये का हो जाता है. एक तरफ पाली हाउस का 40 लाख रुपया जीरो रुपये में कन्वर्ट हो जाता है, लेकिन दूसरी तरफ नेचुरल ग्रीन हॉउस में लगा 2 लाख रुपया 3 से 4 करोड़ रुपये हो जाता है.
प्रगतिशील किसान डॉ राजाराम त्रिपाठी ने आगे कहा कि मेरा मानना है कि यह जो मॉडल है आने वाले वक्त में पूरे विश्व के लिए एक अच्छा मॉडल साबित होगा. नेचुरल ग्रीन हाउस में आमतौर पर हम किसी भी फसल की खेती करेंगे वह ऑर्गेनिक खेती होगी और साथ ही साथ उत्पादन भी ज्यादा होगा.
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