दुनिया में सुपारी उत्पादन के मामले में भारत पहले स्थान पर है. आंकड़ों के मुताबिक दुनिया का करीब 50 फीसदी सुपारी का उत्पादन भारत में होता है. इसका इस्तेमाल पान, गुटखा मसाला के रूप में होता है. भारतीय घरों में धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान भी सुपारी का उपयोग होता है. सुपारी में कई औषधीय गुण भी होते हैं, जो कई बीमारियों की रोकथाम में मददगार हैं मांग अधिक होने के कारण और अपने गुणों के कारण सुपारी बाजार में अच्छी कीमतों पर बिकती है. इसके पेड़ नारियल की तरह 50 -60 फीट लंबे होते हैं. जो 5-8 सालों में फल देना शुरू कर देते हैं. इतना ही नहीं एक बार खेती करने के बाद लगातार 70 साल तक मुनाफा कमा सकते हैं.
उपयुक्त मिट्टी और जलवायु- सुपारी की खेती किसी भी तरह की भूमि में हो सकती है, जैविक सामग्री युक्त दोमट चिकनी मिट्टी में सुपारी का अच्छा उत्पादन होता है, भूमि 7- 8 PH मान के बीच होनी चाहिए. खेती को भू-मध्य रेखा के 28 डिग्री उत्तर और 28 डिग्री दक्षिणी क्षेत्रों में करना अच्छा माना जाता है. भारत में केरल, असम, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में सुपारी की खेती ज्यादा होती है.
खेत की तैयारी- सुपारी की खेती में भुरभुरी मिट्टी की जरूरत पड़ती है, इसलिए खेत की सफाई कर अच्छी तरह से जुताई करना चाहिए. जुताई के बाद खेत में पानी लगाकर सूखने के लिए छोड़ दें फिर जब खेत का पानी सूख जाए तो रोटावेटर लगाकर अच्छे से जुताई करने से खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है. अब भुरभुरी मिट्टी में पाटा लगाकर भूमि को समतल करें इसके बाद सुपारी के पौधों की रोपाई के लिए 2.7 x 2.7 मीटर की दूरी पर पंक्तियों में गड्डे तैयार करें, सभी गड्डे 90 x 90 x 90 CM आकार के होने चाहिए. इन गड्डो में ही सुपारी के पौधों को लगाते हैं.
सुपारी का पौध रोपण- सुपारी के पौधों की खेती बीज से पौधे को तैयार करने यानी की नर्सरी तकनीक से की जाती है इसके बीजों को क्यारियों में तैयार करते हैं फिर इन पौधों को नर्सरी से निकालकर खेत में रोपा जाता है. यह सभी पौधे 12- 18 माह पुराने अवश्य होने चाहिए पौध रोपाई के लिए खेत में जुताई कर जल निकासी के लिए नालिया बना दी जाती हैं. फिर पंक्तियों में तैयार गड्डो में सड़ी गोबर की खाद और कम्पोस्ट खाद को मिट्टी के साथ अच्छे से मिलाकर गड्डो में भरें इन पौधों को जून से जुलाई के महीने में लगाना अच्छा होता है.
सिंचाई- इसके अलावा पौधों को विशेष सिंचाई की जरूरत नहीं होती, पौध सिंचाई नवंबर से फरवरी माह के बीच और मार्च से मई माह के दौरान सप्ताह में एक बार की जानी चाहिए, सुपारी की फसल में खरपतवार नियंत्रण गुड़ाई से की जाती है. इसके पौधों को साल में 2-3 गुड़ाई की ही जरूरत होती है.
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खेती से मुनाफा- सुपारी के पौधें करीब 5-8 सालों के बीच पैदावार देना शुरू कर देते हैं इसके फलों की तुड़ाई तभी करनी चाहिए जब इसका तीन-चौथाई हिस्सा जाए. बाजार में सुपारी अच्छे रेट पर बिकती है कीमत तकरीबन 400 रूपए से लेकर 600 रूपए प्रति किलो तक होती है इस हिसाब से अगर एक एकड़ में किसान सुपारी की खेती करते हैं तो बंपर मुनाफा कमा सकते हैं खेत में पेड़ों की संख्या के हिसाब से मुनाफा लाख से करोड़ तक भी पहुंच सकता है.
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