गेहूं भारत की प्रमुख रबी फसलों में से एक है. देश के अधिकांश क्षेत्र में चावल-गेहूं फसल प्रणाली का पालन किया जाता है. कई बार धान की फसल की कटाई में देरी से गेहूं की फसलों की बुवाई में भी देरी होती है. जिसको देखते हुए IIWBR (पहले DWR), करनाल ने ब्रेड गेहूं की किस्म DBW 107 विकसित की.
जिसे 2014 में देर से बोई गई. बता दें कि इसे NEPZ की सिंचित स्थिति के लिए जारी किया गया था, जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट्स शामिल हैं. किसान भाई गेहूं की पछेती किस्म की बुवाई से बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.
गेहूं की किस्म DBW 107 की उपज क्षमता
DBW 107 गेहूं की बेहतरीन किस्मों में से एक है. बता दें कि गेहूं की यह किस्म देर से बोई जाती है. आंकड़ें देखें तो इसकी उपज क्षमता 68.7 क्विंटल/हेक्टेयर है. साथ ही इसकी बीज उपज क्षमता 41.30 क्विंटल/हेक्टेयर है. DBW 107 गेहूं की यह किस्म बुवाई के महज 109 दिन बाद पक कर तैयार हो जाती है तथा इसके पौधे की ऊंचाई - 89 सेमी (86-91 सेमी) होती है.
DBW 107 गेहूं की खासियत
DBW 107 गेहूं के 1000 दानों का वजन 39.09 ग्राम है, इसका रंग एम्बर है और आयताकार आकार है. DBW 107 ब्राउन रस्ट (ACl-3.7) और लीफ ब्लाइट (औसत स्कोर: 24 में प्राकृतिक, 36 में कृत्रिम) के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है. इस किस्म में 12.8 फीसदी प्रोटीन के साथ बेहतर चपाती और रोटी के गुण हैं.
यह भी पढ़ें: HD 3226 गेहूं की खास किस्म, 79.60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज क्षमता
DBW 107 गेहूं में 44.6 पीपीएम एफई, 35.7 पीपीएम जेडएन और 4.15 पीपीएम पीला रंगद्रव्य है. संक्षेप में, DBW 107 में गुणों का एक अच्छा संयोजन है जो इसे चावल-गेहूं, आलू-गेहूं और मटर-गेहूं की फसल के रोटेशन के लिए उपयुक्त बनाता है. जिससे किसानों को अधिकतम लाभ मिलता है.
Share your comments