कैलेंडुला यह एक वार्षिक पौधा है, इसे मारविला के नाम से भी जाना जाता है. यह पीले और नारंगी रंग का होता है. यह फूल के साथ-साथ एक सुगंधित औषधी भी है. इसका तना सीधा और 25 से 60 सेमी की ऊंचाई तक बढ़ता है. पत्तियों का आकार आयताकार 7 से 14 सेंटीमीटर लंबी और 1 से 4 सेमी चौड़ी होती हैं. यह फूल गर्मियों के दौरान उगते हैं. तो आइये जानते हैं इसकी खेती कैसी की जा सकती है.
कैलेंडुला की खेती का तरीका-
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रोपण
कैलेंडुला का रोपण अप्रैल महीने से शुरु होता है. इन पौधों के बीच की दूरी 20 से 26 सेंटीमीटर की होती है. रोपण के लिए मिट्टी को खूब अच्छी तरह से खोदे और जमीन को समतल बनाए. ऐसा करना बहुत महत्वपूर्ण है, अन्यथा फूलों की संख्या बहुत कम रहेगी. रोपाई के लगभग 1 से 2 महीने के भीतर पौधों में फूल आना शुरू हो जाते हैं.
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जगह
कैलेंडुला की खेती के लिए अधिक घनी जगह या गर्मी बिल्कुल ही अनुकूल नहीं होती है. इसको हल्की गर्म जगहों पर रोपें ताकि फूल अच्छी तरह से खिल सकें.
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खाद
कैलेंडुला के बीज बोने से पहले मिट्टी में अच्छी गुणवत्ता वाली जैविक खाद को डालें. जैविक खाद में अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद, खेत की उपजाऊ मिट्टी और वर्मीकम्पोस्ट आदि हो सकती है. गर्मियों के समय केलैन्डयुला के पौधों में समय-समय पर पानी डालते रहें और पानी देते समय ध्यान रखें कि पानी की तेज धार पौधों की जड़ों पर सीधे जाकर ना लगे.
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रोगों से बचाव
बोट्रीटिस नामक कवक पौधों की पत्तियों पर लग जाता है, जो आर्द्र वातावरण में रहते हैं. इसमें पत्तियां भूरे रंग की होने लगती हैं. इससे बचने के लिए प्रभावित भागों को काटना पड़ता है. इसके अलावा पत्तियां और तने में लाल-भूरे रंग की जंग भी लग जाती है. ऐसे संक्रमण के मामूली संकेत पर आप कवकनाशी के साथ इसका इलाज कर सकते हैं.
व्हाइटफ्लाय भी बहुत छोटे सफेद उड़ने वाले कीड़े हैं. ये पत्तियों पर चिपक जाते हैं और इनकी चिपचिपाहट से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. इसे नियंत्रित करने के लिए आप पौधों के आस-पास एक पीली क्रोमेटिक जाल लगा सकते हैं.
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उपयोग
कैलेंडुला के फूल में एंटीसेप्टिक और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं. हमारे शरीर में घाव या किसी जले हुए स्थान पर इसका तेल लगाना घाव को भरने में मदद करता है. कैलेंडुला के फूल से बनी क्रीम भी शरीर के घाव को भरने में सहायक होती है.
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